कंसीव करने से पहले जरूर करवाएं ये टेस्ट: बच्चों का होगा गंभीर बीमारियों से बचाव
punjabkesari.in Wednesday, Jul 02, 2025 - 02:45 PM (IST)

नारी डेस्क: अगर आप मां बनने की योजना बना रही हैं तो गर्भधारण से पहले अपनी सेहत का खास ख्याल रखना बेहद जरूरी है। विशेषज्ञों के अनुसार, प्रेग्नेंसी से पहले दो अहम टेस्ट कराना चाहिए। जेनेटिक और हार्मोनल टेस्ट। ये दोनों जांचें न केवल आपकी सेहत की स्थिति समझने में मदद करती हैं, बल्कि आने वाले बच्चे को आनुवंशिक और हार्मोनल बीमारियों से बचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। आइए जानते हैं इन टेस्टों के बारे में विस्तार से।
क्यों है गर्भधारण से पहले टेस्ट करवाना जरूरी?
गर्भधारण से पहले टेस्ट कराना एक स्वस्थ गर्भावस्था की तैयारी का अहम हिस्सा है। यह टेस्ट संभावित आनुवंशिक और हार्मोनल जोखिमों का पता लगाते हैं जो आपके बच्चे के स्वास्थ्य या गर्भावस्था के परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं। इससे जोड़ों को सही निर्णय लेने और जरूरी सावधानी बरतने का मौका मिलता है ताकि वे आने वाले बच्चे को गंभीर बीमारियों से बचा सकें।
प्री-प्रेग्नेंसी जेनेटिक टेस्ट (Genetic Test)
जेनेटिक टेस्ट का उद्देश्य यह जांचना होता है कि क्या माता-पिता में कोई वंशानुगत बीमारी का जीन मौजूद है, जो उनके बच्चे में भी आ सकता है। इसे कैरियर स्क्रीनिंग (Carrier Screening) भी कहा जाता है।
इस टेस्ट से पता चलता है कि आप या आपका साथी ऑटोसोमल रिसेसिव या एक्स-लिंक्ड जैसे आनुवांशिक विकारों के वाहक तो नहीं हैं। इनमें कुछ प्रमुख बीमारियां हैं। फ्रैजाइल एक्स सिंड्रोम (Fragile X Syndrome): यह एक एक्स-लिंक्ड बीमारी है जो मानसिक अक्षमता और विकास में देरी का कारण बन सकती है। थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया: ये रक्त से जुड़ी गंभीर बीमारियां हैं जो बच्चों को जन्मजात हो सकती हैं। इसके अलावा 100 से अधिक आनुवांशिक बीमारियों की पहचान के लिए व्यापक स्क्रीनिंग (Expanded Carrier Screening) की जाती है। इस टेस्ट के जरिए जोड़ों को पता चलता है कि वे किन रोगों के संभावित वाहक हैं, जिससे वे प्रजनन से पहले सही फैसले ले सकते हैं जैसे IVF के दौरान प्री-इंप्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग (PGT) कराना।
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प्री-प्रेग्नेंसी हार्मोनल टेस्ट (Hormonal Tests)
हार्मोनल टेस्ट प्रजनन क्षमता और शरीर के अंदर हार्मोनल संतुलन की जांच करते हैं। गर्भधारण में हार्मोनल असंतुलन कई बार गर्भधारण में बाधा डालता है या गर्भावस्था को जोखिम में डालता है।
कुछ जरूरी हार्मोनल टेस्ट
थायरॉइड फंक्शन टेस्ट (TSH, Free T4): थायरॉइड हार्मोन की कमी या अधिकता से प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है। गर्भधारण से पहले TSH का स्तर 2.5 mIU/L से कम होना चाहिए।
प्रोलैक्टिन (Prolactin): बढ़ा हुआ प्रोलैक्टिन ओव्यूलेशन को रोक सकता है, जिससे गर्भधारण में दिक्कत होती है।
एंटी-मुलरियन हार्मोन (AMH): यह हार्मोन आपकी अंडाशय की क्षमता को दर्शाता है, खासकर 30 वर्ष से ऊपर या अनियमित मासिक धर्म वाली महिलाओं के लिए जरूरी।
फॉलिकल स्टिम्युलेटिंग हार्मोन (FSH) और ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH): ये हार्मोन भी ओवरी की सेहत और फर्टिलिटी का मूल्यांकन करते हैं।
साथ ही, विटामिन D और B12 की कमी को भी जांचना चाहिए क्योंकि इनकी कमी गर्भधारण और बच्चे के विकास पर नकारात्मक असर डाल सकती है।
डायबिटीज टेस्ट: गर्भावस्था से पहले रक्त शर्करा का परीक्षण जरूरी है ताकि गर्भकाल में जटिलताएं न हों।
पुरुषों के लिए टेस्टोस्टेरोन टेस्ट: पुरुषों की फर्टिलिटी के लिए जरूरी।
पीसीओएस जांच: महिलाओं में पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) का पता लगाने के लिए, क्योंकि यह फर्टिलिटी प्रभावित करता है।
गर्भधारण से पहले ये जेनेटिक और हार्मोनल टेस्ट जोखिमों को कम करने, संभावित बीमारियों की पहचान करने और स्वस्थ गर्भावस्था की योजना बनाने में बेहद मददगार साबित होते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि आपका बच्चा एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण में बढ़े। गर्भधारण की योजना बनाते समय डॉक्टर से सलाह अवश्य लें और समय पर ये आवश्यक टेस्ट कराएं ताकि आप और आपका बच्चा दोनों स्वस्थ रहें।
नोट: हर महिला या जोड़े के लिए सभी टेस्ट जरूरी नहीं होते, इसलिए व्यक्तिगत स्थिति के अनुसार डॉक्टर से परामर्श कर टेस्ट करवाना उचित होगा।