इस महिला के पेट में नहीं लीवर में पल रहा है बच्चा, भारत में इस तरह का पहला मामला
punjabkesari.in Tuesday, Jul 29, 2025 - 06:09 PM (IST)

नारी डेस्क: कुछ बच्चों का जन्म चमत्कार से कम नहीं होता है। उत्तर प्रदेश के मेरठ से एक ऐसी घटना सामने आई है जिसे चमत्कार ही कहना सही रहेगा। यहां एक बच्चा पल तो रहा है लेकिन मां के पेट में नहीं बल्कि लीवर में। जी, हां भारत में इस तरह का पहला मामला सामने आया है जिसे Intrahepatic Ectopic Pregnancy यानी लीवर के भीतर असामान्य गर्भावस्था कहा जा रहा है। चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
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एमआरआई रिपोर्ट को देख डॉक्टर हैरान
दरअसल मेरठ में रहने वाली एक एक 30 साल की महिला को पिछले दो महीने से पेट में लगातार दर्द और उल्टी की शिकायत थी। एमआरआई रिपोर्ट में पता चला की महिला प्रग्नेंट तो हैं लेकिन उसका गर्भाशय यानी यूट्रस खाली है। हैरानी की बात ये थी कि 12 हफ्ते का गर्भ उसके गर्भाशय में नहीं, बल्कि लीवर के दाहिने हिस्से में पल रहा था और भ्रूण पूरी तरह से ज़िंदा भी है।
एक्टोपिक प्रेगनेंसी क्या होती है?
एक्टोपिक प्रेगनेंसी में भ्रूण गर्भाशय के बाहर जैसे कि फेलोपियन ट्यूब, पेट या अन्य अंगों में विकसित होने लगता है। इन्ट्राहेपेटिक एक्टोपिक प्रेगनेंसी का मतलब है कि भ्रूण लीवर के भीतर बनना शुरू हो गया। दुनिया भर में ऐसे मामले बहुत दुर्लभ हैं। भारत में ऐसा पहली बार हुआ है कि भ्रूण लीवर में विकसित हुआ। लीवर एक बेहद सेंसिटिव और खून से भरपूर अंग है, इसलिए ये स्थिति जानलेवा भी हो सकती थी।
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मां की जान को हो सकता है खतरा
इस मामले की पुष्टि करने वाले डॉक्टर कहा कि पूरी दुनिया में अभी तक ऐसे सिर्फ 18 केस ही सामने आए हैं और भारत में यह पहला मामला हो सकता है। ऐसे मामलों में 14 हफ्ते तक ही गर्भ को रखा जा सकता है, जिसके बाद मां के जीवन को गंभीर खतरा पैदा हो जाता है। डॉक्टर ने कहा कि 14 हफ्ते से पहले ही ऑपरेशन करके गर्भ को निकालना बेहद जरूरी होता है।
महिलाएं क्या बरतें सावधानी?
प्रेगनेंसी के शुरुआती हफ्तों में अल्ट्रासाउंड जांच ज़रूरी है। यदि आपको असामान्य लक्षण महसूस हों तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें एक्टोपिक केस में देरी जानलेवा हो सकती है। यह मामला मेडिकल साइंस के लिए भी एक चेतावनी है कि गर्भावस्था के दौरान पेट दर्द या असामान्य लक्षणों को हल्के में न लें। समय पर जांच और इलाज जान बचा सकता है।