सुप्रीम कोर्ट का आदेश: अब यौन शोषण केस को रिज्यूमे में शामिल करना अनिवार्य, कोर्ट ने दिया निर्देश

punjabkesari.in Sunday, Sep 14, 2025 - 12:48 PM (IST)

नारी डेस्क: पश्चिम बंगाल नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ ज्यूरिडिकल साइंसेज (WBNUJS) की एक महिला फैकल्टी ने अपने वाइस चांसलर (VC) के खिलाफ यौन उत्पीड़न (सेक्स हरासमेंट) की शिकायत की थी, लेकिन यह शिकायत समय सीमा के बाहर होने के कारण जांच नहीं हो सकी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को भुलाए जाने से मना करते हुए VC को निर्देश दिया है कि वे इस मामले से जुड़ा यह आदेश अपने रिज्यूमे में जरूर शामिल करें।

सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले शामिल थे, ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि यौन उत्पीड़न की अंतिम घटना अप्रैल 2023 में हुई थी, लेकिन शिकायतकर्ता ने इसे दिसंबर 2023 में स्थानीय शिकायत समिति (LCC) में दर्ज कराया। चूंकि शिकायत तीन महीने की निर्धारित अवधि से बाहर थी, इसलिए LCC ने इसे ‘टाइम बार्ड’ (समय सीमा पूरी होने के कारण) करार देते हुए खारिज कर दिया।

 यौन शोषण की शिकायत की समय सीमा

सेक्स हरासमेंट ऑफ़ वीमेन एट वर्कप्लेस एक्ट के तहत, किसी भी पीड़िता को घटना के तीन महीने के अंदर शिकायत दर्ज करानी होती है। यदि घटनाओं की श्रृंखला हो तो अंतिम घटना की तारीख से तीन महीने के भीतर शिकायत करनी होती है। स्थानीय शिकायत समिति (LCC) कुछ मामलों में तीन महीने की अतिरिक्त समय सीमा बढ़ा सकती है, लेकिन इस मामले में यह भी लागू नहीं हुआ।

सुप्रीम कोर्ट का मत

कोर्ट ने कहा, "गलत करने वाले को माफ करना उचित है, लेकिन गलत को भूलना नहीं चाहिए।" यद्यपि तकनीकी कारणों से जांच संभव नहीं थी, लेकिन इस कृत्य को कभी भुलाया नहीं जाना चाहिए। इसलिए कोर्ट ने आदेश दिया कि इस यौन उत्पीड़न के आरोपों का जिक्र VC के रिज्यूमे में अनिवार्य रूप से किया जाए और वे इसे खुद सुनिश्चित करें।

शिकायतकर्ता का आरोप

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि VC उन्हें बार-बार अपने कार्यालय बुलाते थे और बाहर डिनर के लिए प्रस्ताव देते थे। जब उन्होंने साफ कहा कि वे केवल पेशेवर संबंध रखना चाहती हैं, तब भी VC ने उनसे यौन संबंध बनाने की मांग की और मना करने पर धमकाया।

अन्य जानकारियां

कोर्ट ने यह भी कहा कि सितंबर 2019 से अप्रैल 2023 तक कई बार यौन उत्पीड़न की घटनाएं हुईं। अगस्त 2023 में शिकायतकर्ता को उनके पद से हटा दिया गया, लेकिन यह पदावनति यौन उत्पीड़न से सीधे संबंधित नहीं पाई गई। इसलिए इस कार्रवाई को शिकायत के साथ जोड़कर समय सीमा के भीतर शिकायत मानने से इनकार किया गया।
 
इस मामले में तकनीकी कारणों से जांच नहीं हो पाई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया कि दोषी को दंडित किए बिना मामला खत्म न हो। VC को इस विवादास्पद घटना को अपने करियर की जानकारी में शामिल करना होगा, जिससे यह कृत्य हमेशा उनकी पहचान के साथ जुड़ा रहेगा।  


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Content Editor

Priya Yadav

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