30 से 50 साल की महिलाएं हो जाएं Alert! बढ़ती उम्र के साथ वैजाइना में देखने को मिलते हैं ये बदलाव
punjabkesari.in Monday, Jun 19, 2023 - 01:56 PM (IST)
बढ़ती उम्र के साथ बीमारियों का भी प्रकोप बढ़ सा जाता है। खासकर 30 से 50 साल की महिलाओं के शरीर में तो कई सारे बदलाव देखने को मिलते हैं। वहीं मेजपॉज भी महिलाओं के शरीर को काफी हद तक कमजोर कर देता है। आपको शयाद पता ना हो, लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों में बदलाव के साथ उनकी वैजाइना में भी 30 से 50 साल आते आते कई बदलाव होने लगते हैं, लेकिन बहुत सारी महिलाओं को इसके बारे में जानकारी नहीं होती। लेकिन जरूरी है कि आपको इसके बारे में पता हो ताकि समय रहते वैजाइना में होने वाली परेशानियों को पता लगाकर उसका बेहतर ख्याल रख सकें...
सिकुड़न
बढ़ती उम्र के साथ वैजाइना में सिकुड़ने भी आ जाती है। ऐसा शरीर में एस्ट्रोजन की कमी के कारण होता है।
सूजन
महिलाएं जब 40 -50 की उम्र में होती हैं तो शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का उत्पादन कम होता है, जिसके चलते वेजाइनल वॉल पतली हो जाती है। इससे प्राइवेट पार्ट में सूजन और ड्राईनेस आ जाती है।
प्यूबिक हेयर में बदलाव
अकसर महिलाएं प्राइवेट पार्ट के अनचाहे बालों से छुटकारा पाने के लिए शेविंग, वैक्सिंग और हेयर रिमूवर क्रीम का इस्तेमाल करती गै। मगर उम्र में जब महिलाएं 40- 50 के मोड़ पर पहुंचती हैं तो शरीर में एस्ट्रोजेन की कमी के कारण प्राइवेट पार्ट के बाल पतले होकर खुद से ही गायब होने लगते हैं।
वैजाइना की elasticity होती है कम
जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे योनि की लोच (elasticity ) कम होती जाती है। ऐसे में शारीरिक संबंध बनाते वैजाइना में छोटे-छोटे पानी की बूंदे आ सकती है। इससे आपके संक्रमण होने की संभावना बढ़ सकती है।
बढ़ने लगता है बैक्टीरिया और यूरिन इंफेक्शन का खतरा
वैजाइना में स्राव की कमी से उसका pH लेवल भी बदल जाता है, जो वैजाइना को और भी ज्यादा एसिडिक बनाता है। ये वैजाइना में एक ऐसा वातावरण बनाता है, जो बैक्टीरिया और ईस्ट के विकास में सहायक होता है। नतीजतन, कुछ महिलाओं में urinary bladder में इंफक्शन का खतरा बढ़ जाता है।
पेशाब करते हुए जलन
बढ़ती उम्र में महिलाओं को बार बार यूरिन आना, यूरिन करते समय जलन, और बहुत लंबे समय तक इसे रोक ने पाना जैसी परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है।
महिलाएं ऐसे करें अपनी वैजाइना की हेल्थ का ख्याल
बढ़ती उम्र की महिलाओं को प्रोबायोटिक फूड्स (जैसे इडली, डोसा,ढोकला, सेब, केला, योगर्ट, लहसुन) का सेवन करना चाहिए।
रोजाना कीगल एक्सरसाइज करनी चाहिए।
जंक फूड से बना लें दूरी।
दिन भर में 10-12 ग्लास पानी पीने की कोशिश करें।
डॉक्टर से परामर्श लें।