कोविड वैक्सीन नहीं इन 5 कारणों से हो रही सडेन डेथ, युवाओं को जरूर पढ़नी चाहिए ये रिपोर्ट
punjabkesari.in Wednesday, Dec 11, 2024 - 09:55 AM (IST)
नारी डेस्क: पिछले कुछ सालों से सडेन डेथ के कई केस सामने आए। युवाओं की मौत ने ना सिर्फ चिंताएं बढ़ाई बल्कि मन में कई तरह के सवाल भी खड़े कर दिए थे। माना जा रहा था कि इसका कारण कहीं ना कहीं कोविड वैक्सीन है लेकिन यह सब दावे झूठे साबित हो गए। अब भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने सडेन डेथ को लेकर बड़ा खुलासा किया है।
कोविड वैक्सीन ने नहीं बढ़ाया मौत के जोखिम को
आईसीएमआर ने अपनी स्टडी में बताय कि देश में युवाओं की सडेन डेथ हो रही है पर इसका कारण कोविड वैक्सीनेशन नहीं, बल्कि कुछ और फैक्टर है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने मंगलवार को राज्यसभा को बताया कि कोविड वैक्सीन ने युवाओं की मृत्यु के जोखिम को नहीं बढ़ाया, बल्कि उनकी संभावना को कम कर दिया है। उनका कहना है कि अतीत में COVID-19 अस्पताल में भर्ती होने, अचानक मृत्यु के पारिवारिक इतिहास और कुछ जीवनशैली व्यवहारों ने अस्पष्टीकृत अचानक मृत्यु की संभावना को बढ़ा दिया है।
इन लोगों पर किया गया अध्ययन
आईसीएमआर की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी ने 18-45 वर्ष की उम्र के उन व्यक्तियों पर यह स्टडी की, जो स्वस्थ थे और उन्हें कोई बीमारी नहीं थी और 1 अक्टूबर, 2021 से 31 मार्च, 2023 के बीच अस्पष्ट कारणों से अचानक उनकी मृत्यु हो गई । यह शोध 19 राज्यों के 47 अस्पतालों में किया गया था। विश्लेषण में कुल 729 मामले सडेन डेथ के और 2916 सैंपल ऐसे थे जिन्हें दिल का दौरा पड़ने के बाद बचा लिया गया था। रिसर्च के निष्कर्षों से पता चला कि कोविड-19 वैक्सीन की कम से कम एक खुराक या दो खुराक लेने से, बिना किसी कारण के अचानक मृत्यु की संभावना काफी कम हो जाती है।
कोविड-19 वैक्सीन कैसे करती है काम
रिपोर्ट में कहा गया कि कोविड के कारण अस्पताल में भर्ती होना, अचानक मृत्यु का पारिवारिक इतिहास, मृत्यु/साक्षात्कार से 48 घंटे पहले अत्यधिक शराब पीना, मनोरंजन के लिए नशीली दवाओं/पदार्थों का उपयोग और मृत्यु/साक्षात्कार से 48 घंटे पहले जोरदार-तीव्रता वाली शारीरिक गतिविधि करने से अचानक मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है। कोविड-19 वैक्सीन को हमारे शरीर को कोरोनावायरस से लड़ने में मदद करने के लिए बनाया गया है। यह वैक्सीन हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती है ताकि वह वायरस को पहचान सके और उसके खिलाफ एंटीबॉडी बना सके।