एलर्जी ही नहीं स्ट्रेस से भी आता है अस्थमा का अटैक, खुलकर सांस लेनी है तो जान लें ये उपाय
punjabkesari.in Tuesday, May 06, 2025 - 11:17 AM (IST)

नारी डेस्क: विश्व अस्थमा दिवस हर साल मई महीने के पहले मंगलवार को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य दुनियाभर में अस्थमा (दमा) को लेकर जागरूकता फैलाना और इसके मरीजों की देखभाल को प्रोत्साहित करना है। यह दिवस ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा (GINA) द्वारा आयोजित किया जाता है। बहुत कम लोग यह बात जानते हैं कि केवल एलर्जी ही नहीं लेकिन बहुत से ऐसे कारण हैं जो अस्थमा को ट्रिगर करते हैं। विश्व अस्थमा दिवस के मौके पर जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
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क्या है अस्थमा?
अस्थमा एक दीर्घकालिक (क्रॉनिक) श्वसन रोग है, जिसमें श्वास नलिकाओं (ब्रोंकिओल्स) में सूजन आ जाती है। इससे रोगी को निम्नलिखित समस्याएं होती है जैसे-लगातार खांसी, सांस फूलना, सीने में जकड़न और घरघराहट की आवाज आना । विश्व अस्थमा दिवस का उद्देश्य लोगों को अस्थमा की पहचान, कारण और इलाज के बारे में जागरूक करना है। यह समझाना कि सही दवाओं और जीवनशैली में बदलाव से अस्थमा को नियंत्रित किया जा सकता है।
अस्थमा अटैक के कारण
एस्पिरिन (Aspirin) और NSAIDs (जैसे आइबुप्रोफेन) जैसी कुछ दवाएं लोगों में अस्थमा अटैक का कारण बन सकती हैं।ये दवाएं ब्रोंकियल ट्यूब्स में संकुचन पैदा कर सकती हैं जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है।आमतौर पर माना जाता है कि वायरस ही अस्थमा को बढ़ाते हैं, लेकिन कुछ बैक्टीरिया भी फेफड़ों में संक्रमण करके अस्थमा के लक्षणों को ट्रिगर कर सकते हैं, जैसे खांसी, घरघराहट और सीने में जकड़न। मानसिक तनाव या एंग्जायटी (चिंता) अस्थमा के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं। यह शरीर में हार्मोनल असंतुलन उत्पन्न कर सकता है, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है। गंभीर भावनात्मक तनाव भी कभी-कभी अस्थमा अटैक का कारण भी बन सकता है।
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इससे बचने के उपाय
-धूल-मिट्टी, धुआं, पालतू जानवरों के बाल, परागकण, सर्द हवा और तेज गंध (परफ्यूम, अगरबत्ती, कीटनाशक) से दूर रहें।
-डॉक्टर द्वारा बताई गई इनहेलर या अन्य दवाएं समय पर लें। लक्षण न भी हों तो भी नियत दवा बंद न करें, जब तक डॉक्टर ना कहें।
-अनुलोम-विलोम, भस्त्रिका और कपालभाति जैसे प्राणायाम लाभदायक होते हैं। हल्की योगासन, जैसे ताड़ासन, वज्रासन और भुजंगासन से भी लाभ मिलता है।
-खुद धूम्रपान न करें और न ही किसी स्मोकिंग एरिया में जाएं। शराब और कैफीन का अत्यधिक सेवन अस्थमा ट्रिगर कर सकता है।
-हल्का, सुपाच्य और पोषक आहार लें। विटामिन C, D, ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर चीज़ें लें जैसे – आंवला, बादाम, तुलसी, हल्दी वाला दूध आदि।
-समय-समय पर डॉक्टर से मिलें। पीक फ्लो मीटर से श्वास क्षमता की जांच करते रहें।
-घर को साफ और हवादार रखें। रोजाना झाड़ू-पोंछा करें, पर धूल उड़ने से बचें।
-अचानक अटैक आने की स्थिति में रिलीवर इनहेलर काम आता है, इसे हमेशा साथ रखें।