कहां खो गई दादी-नानी की कहानियां? अपनों को छोड़ माेबाइल और TV के करीब हो गए बच्चे
punjabkesari.in Friday, Jun 06, 2025 - 01:22 PM (IST)

नारी डेस्क: आज की डिजिटल दुनिया में बच्चों का ध्यान मोबाइल, टीवी, टैबलेट और सोशल मीडिया की चमक-दमक में उलझ गया है, जिससे दादी-नानी की गोद, उनकी कहानियां और जीवन के अनुभव कहीं पीछे छूटते जा रहे हैं। यह कहानियां सिर्फ बच्चों को सुलाती नहीं थी बल्कि ज़िंदगी की सीख भी देती हैं। दादी-नानी की कहानियां केवल शब्द नहीं संस्कार होती हैं। चलिए जानते हैं बच्चों के लिए क्यों जरूरी है दादी- नानी की कहानियां
क्या खास है इन कहानियों में?
बुद्धि और नैतिकता का विकास: कहानियों में छिपी सीख, जैसे कि सच्चाई, ईमानदारी, परोपकार, धैर्य और साहस – बच्चों के चरित्र को मजबूत बनाती थी।
भाषा और संवाद कौशल: हिंदी और लोकभाषाओं में कहानियां सुनने से बच्चों की शब्दावली बढ़ती थी, उनकी बोलने की शैली सुधरती थी।
भावनात्मक जुड़ाव: कहानियां केवल मनोरंजन नहीं थीं, वे दादी-नानी के स्नेह और अपनत्व का जरिया थीं।
एकांत नहीं, अपनापन मिलता था: बच्चों को परिवार के साथ समय बिताने का अवसर मिलता था , जो आज सोशल मीडिया छीन रहा है।
ज्ञान का खजाना: पंचतंत्र, जातक, लोक कथाएं, धार्मिक प्रसंग – ये सब हमारी संस्कृति की जड़ें मज़बूत करते थे।
क्या कहती है रिपोर्ट
हालिया शोधों से पता चला है कि अब कहानियां पढ़ना जेन जेड के लिए 'मनोरंजन' नहीं बल्कि एक थकाऊ काम बन गया है।टेन के हार्परकॉलिन्स और नीलसन आईक्यू की एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट में यह सामने आया कि बड़ी संख्या में युवा माता-पिता कहानियों की बजाय डिजिटल मनोरंजन को प्राथमिकता दे रहे हैं। अध्ययन के अनुसार, 28 प्रतिशत जेन जेड माता-पिता पढ़ने को एक मजेदार गतिविधि नहीं मानते हैं।रिपोर्ट के मुताबिक, नई पीढ़ी के अभिभावकों को लगता है कि बच्चों को कहानी सुनाना एक अतिरिक्त जिम्मेदारी है।

आज सोशल मीडिया ने क्या बदला?
मोबाइल ने कहानियां नहीं, रील्स और वीडियो गेम्स दे दिए। दादी-नानी की जगह यूट्यूब और इंस्टाग्राम आ गए। परिवार में संवाद घट गया और अकेलापन बढ़ गया। वो पुराना समय लाने के लिए हर रात 15-20 मिनट दादी-नानी या माता-पिता बच्चों को कहानी सुनाएं। TV और मोबाइल को बंद करें, ये समय सिर्फ परिवार का दें। अगर दादी-नानी पास नहीं हैं तो उनकी कहानियां रिकॉर्ड करें उन्हें ऑडियो फॉर्म में बच्चों को सुनाएं। हर त्योहार पर उससे जुड़ी कहानी बताएं – जैसे दीपावली पर राम की कहानी, रक्षाबंधन पर कृष्ण और द्रौपदी।