क्या सही है बच्चों की मर्जी के बिना उनकी शादी करना? अपनी जिद्द में पेरेंट्स कर देते हैं ये नुकसान

punjabkesari.in Saturday, Jun 21, 2025 - 05:20 PM (IST)

नारी डेस्क: राजा रघुवंशी की मौत के बाद पूरा देश सोनम के खिलाफ हो गया है। हर कोई सोनम को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग कर रहा है, पर सवाल यह है कि क्या इसमें कसूर सिर्फ सोनम का था। इस सब में कसूर उनके परिवार का भी था जिन्होंने अपनी बेटी की मर्जी के खिलाफ उसकी शादी की। यह मामला यह बतता है कि पेरेंट्स की एक जिद बच्चों की जिंदगी कैसे बर्बाद कर सकती है। हम यह नहीं कहते सोनम सही है, हम यह कहना चाहते हैं कि अपने बच्चे को सुधारने के लिए दूसरे के बच्चे की जिंदगी खराब करना सही नहीं है। 
 

एक गलती से सब हो जाता है बर्बाद

बच्चों की मर्जी के बिना उनकी शादी करवाना केवल सामाजिक या पारिवारिक दबाव से प्रेरित एक निर्णय नहीं, बल्कि एक संवेदनशील गलती हो सकती है, जिसके दूरगामी और गंभीर परिणाम हो सकते हैं। जब माता-पिता ज़िद पर अड़ जाते हैं और बच्चों की भावनाओं, इच्छाओं और स्वभाव को नज़रअंदाज़ करते हैं, तो न केवल बच्चों की शादीशुदा जिंदगी, बल्कि उनका मानसिक और सामाजिक जीवन भी प्रभावित होता है। चलिए जानते हैं कैसे। 


मानसिक तनाव और डिप्रेशन

जब किसी को उसकी मर्जी के खिलाफ एक अजनबी के साथ जीवन बिताने को मजबूर किया जाए, तो वो मानसिक रूप से टूट सकता है। ऐसी शादियों में अक्सर प्यार, समझ और भावनात्मक जुड़ाव की कमी होती है, जिससे तनाव, चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन जैसी समस्याएं जन्म लेती हैं। जब दो लोग स्वाभाविक रूप से एक-दूसरे को नहीं समझते या पसंद नहीं करते, तो रिश्ता टिकनामुश्किल होता है। ऐसी परिस्थितियों में तलाक या अलगावएक आम परिणाम बन सकता है, जिससे दोनों परिवारों की प्रतिष्ठा और मानसिक स्थिति प्रभावित होती है।

 

सपनों और करियर का बलिदान

कई बार पेरेंट्स जल्दी शादी करवा देते हैं और बच्चों के करियर या आगे की पढ़ाई को रोक देते हैं। इससे बच्चे अपने सपने अधूरे छोड़ने पर मजबूर हो जाते हैं और पूरी उम्र पछताते हैं। अगर बच्चा पहले से किसी से प्यार करता है और फिर उसकी मर्जी के खिलाफ उसकी शादी करवा दी जाए, तो ये बहुत ही दर्दनाक स्थिति हो सकती है। इससे तीन जीवन बर्बाद होते हैं,  वो जो अपने प्यार से दूर हुआ, वो जिससे उसकी शादी हुई और वो जिससे वो प्यार करता था।


माता-पिता से दूरी और रिश्तों में खटास

 जब बच्चे को लगता है कि उसके माता-पिता ने उसकी भावनाओं को नहीं समझा, तो उनके बीच भावनात्मक दूरी बन जाती है।कई बार बच्चे बुढ़ापे में माता-पिता की देखभाल से भी कतराते हैं या नाराज रहते हैं। ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि वो बच्चों की इच्छाओं को सम्मान दें, उन्हें समझें, संवाद करें बच्चों की पसंद और सोचको समझने की कोशिश करें, ज़बरदस्ती नहीं बल्कि सहमति से रिश्ता जोड़ें। अगर बच्चा किसी के साथ जीवन बिताना चाहता है और वह रिश्ता सुरक्षित व सम्मानजनक है, तो उसका समर्थन करें।
 


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vasudha

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