मौत से 24 घंटे पहले शरीर में दिखते हैं ये 3 खास लक्षण
punjabkesari.in Monday, Aug 25, 2025 - 12:41 PM (IST)

नारी डेस्क: जब किसी व्यक्ति की मृत्यु नजदीक होती है, तो उसका शरीर हमें कई संकेत देता है। ये संकेत हमें समझने में मदद करते हैं कि वह अपने अंतिम समय के करीब है। अगर आप या आपके आसपास कोई ऐसा व्यक्ति है, तो इन लक्षणों को पहचानना बेहद जरूरी है ताकि सही समय पर डॉक्टर की मदद ली जा सके और व्यक्ति को सम्मानपूर्वक आखिरी वक्त गुजारने में सहायता मिल सके।
सांस लेने का तरीका बदल जाता है
मौत के करीब सांस लेने का पैटर्न पूरी तरह से बदल जाता है। कभी व्यक्ति बहुत तेज़ और गहरी सांसें लेता है, तो कभी लंबे समय तक सांस रुक जाती है। इस बदलाव को Cheyne-Stokes Breathing कहा जाता है। यह असामान्य सांस लेने का तरीका संकेत है कि शरीर धीरे-धीरे अपनी क्रियाशीलता खो रहा है। इसे देखकर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
शरीर के तापमान और रंग में बदलाव
जैसे-जैसे दिल की धड़कन धीमी होती है, शरीर के अंगों तक खून पहुंचना कम हो जाता है। इससे हाथ-पैर ठंडे पड़ने लगते हैं और त्वचा पर नीला या बैंगनी रंग नजर आने लगता है, खासकर पैरों, हाथों और नाखूनों पर। यह शरीर की ऊर्जा बचाने की प्राकृतिक प्रक्रिया है। ऐसे समय पर व्यक्ति को गर्म रखने और आराम देने की जरूरत होती है।
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बाहरी दुनिया से कटाव और कम प्रतिक्रिया
मृत्यु के करीब व्यक्ति धीरे-धीरे बाहरी दुनिया से कटने लगता है। उसकी आंखें अधिकतर बंद रहती हैं, वह बात करना बंद कर देता है और आसपास की चीजों पर उसकी प्रतिक्रिया कम हो जाती है। हालांकि, अध्ययन बताते हैं कि सुनने की क्षमता आखिरी समय तक बनी रहती है। इसलिए परिवार वाले और प्रियजनों को शांत और प्यार भरे शब्दों में बात करनी चाहिए, ताकि व्यक्ति को मानसिक शांति मिल सके।
और कुछ महत्वपूर्ण बातें
कई बार व्यक्ति आखिरी समय में अपनी आंखें बंद रखता है या ऐसा लगता है जैसे वह कहीं और देख रहा हो। यह शरीर का स्वाभाविक बदलाव होता है, इसे लेकर घबराना नहीं चाहिए। यह सब बदलाव डराने वाले नहीं, बल्कि जीवन की सामान्य और प्राकृतिक प्रक्रिया का हिस्सा हैं। इन्हें समझकर परिवार और रिश्तेदार आखिरी वक्त को शांति और सम्मान के साथ गुजार सकते हैं। अगर ऊपर बताए गए लक्षण दिखें, तो डॉक्टर से तुरंत सलाह लें ताकि समय रहते उचित देखभाल की जा सके।
मौत से पहले शरीर में जो बदलाव आते हैं, उन्हें समझना और सही प्रतिक्रिया देना बहुत जरूरी होता है। इससे व्यक्ति को अंतिम समय में आराम मिलता है और परिवार के सदस्यों को भी मानसिक संतोष होता है। प्यार, धैर्य और सहानुभूति के साथ इन पलों को बिताना ही सबसे बड़ा सहारा होता है।