Shaheed Diwas: 23 मार्च को देश के लिए कुर्बान हुए थे भगत सिंह, पढ़ें उनके प्रेरणादायी वचन
punjabkesari.in Wednesday, Mar 23, 2022 - 11:35 AM (IST)
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में शहीद भगत सिंह का नाम एक क्रांतिकारी से भी बढ़ कर माना जाता है। वे एक देश के एक महान स्वतंत्रता सेनानी और क्रांन्तिकारी थे। उन्होंने से देश को आजादी दिलाने के लिए आखिरी सांस तक कई संघर्ष किए और अपनी जान तक की बाजी लगा दी। आज के दिन यानि 23 मार्च 1931 को भगत सिंह को उनके दो साथी राजगुरू और सुखदेव को फांसी की सजा दी गई थी। उनकी देशभक्ति ने लोगों को क्रांतिकारी मार्ग अपनाने के लिए प्रेरित किया था और वे मात्र 23 साल की उम्र में देश के लिए शहीद हो गए थे।
क्रांतिकारी परिवार में हुआ जन्म
भगत सिंह का जन्म 23 सितंबर 1907 को पंजाब के जिला लायलपुर के बंगा गांव में हुआ था। बता दें, यह पवित्र स्थान अब पाकिस्तान में है। उनका जन्म एक क्रांतिकारी परिवार में हुआ था। भगत सिंह जी के पिता का नाम सरदार किशनसिंह और मां का नाम विद्यावती कौर था। कहा जाता है कि भगत सिंह के जन्म के दिन पर ही उनके पिता और चाचा जेल से रिहा होकर आए थे। ऐसे में इसे पल को शुभ घड़ी मानकर उनकी दादी मां ने उनका नाम भागोवाला रख दिया था। मगर बाद में वे भगत सिंह के नाम से जाने गए। ऐसे में आज देश के महान क्रांतिकारी की पुण्यतिथि पर हम आपको उनके कुछ अनमोल और प्रेरणादायी विचारों के बारे में बताते हैं, जो आज के युवाओं के लिए किसी प्रेरणास्रोत के रूप में है।
. सरफरोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना, बाजु-ए-कातिल में है।
. मैं एक इंसान हूं और जो भी चीजें इंसानियत पर प्रभाव डालती हैं, मुझे उनसे फर्क पड़ता है।
. कठोरता एवं आजाद सोच ये दो क्रांतिकारी होने के गुण हैं।
. मैं यह मानता हूं कि महत्वाकांक्षी, आशावादी और जीवन के प्रति उत्साही हूं, लेकिन आवश्यकतानुसार मैं इस सबका परित्याग कर सकता हूं, यही सच्चा त्याग होगा।
. चीजें जैसी हैं आमतौर पर लोग उसके आदि हो जाते हैं और बदलाव के विचार से ही कांपने लगते हैं. हमें इसी निष्क्रियता को क्रांतिकारी भावना से बदलने की जरूरत है।
. स्वतंत्रता प्रत्येक मानव का अधिकार है, हम इसे छीन कर लेंगे यही मेरा प्रण है।
. प्रेमी पागल और कवि एक ही चीज से बने होते हैं और देशभक्तों को अक्सर लोग पागल कहते हैं।
. जो व्यक्ति उन्नति के लिए राह में खड़ा होता है, उसे परंपरागत चलन की आलोचना और विरोध करना होगा।
. जीवन अपने दम पर चलता है.... दूसरों के कन्धों पर तो अंतिम यात्रा पूरी होती है।
. व्यक्तियों को कुचल कर, वे विचारों को नही मार सकते हैं।