फूल बेचने वाली Sarita ने दी अपने सपनों को उड़ान, हिंदी साहित्य में पीएचडी करने जाएंगी California
punjabkesari.in Friday, May 13, 2022 - 12:45 PM (IST)
सपनों में ताकत हो तो कोई भी मंजिल पाई जा सकती है। मुंबई की ट्रैफिक सिग्नल में फूल बेचने वाले सरिता ने इस बात को सच करके दिखा दिया है। सरिता माली ने जेएनयू दिल्ली से अपनी पढ़ाई पूरी की है और अब वो हिंदी साहित्य की पीएचडी करने के लिए कैलिफोर्निया जाएंगी। सरिता यूपी के जौनपूर की रहने वाली हैं। सरिता की सफलता देखने के बाद जैएनयू के वॉइस चांसलेर प्रो. शांतिश्री डी पंडित ने बीते दिन उनसे मुलाकात भी की। सरिता ने अपना सारी सफलता का श्रेय यूनिवर्सटी के शिक्षकों और अपनी परिवार को दिया। उन्होंने छात्रों को सम्मान देते हुए कहा - 'जेएनयू के शानदार अकादमिक जगत, शिक्षकों और छात्रों ने मुझे देश को समझने और देखने की एक नई दिशा दी है। इस यूनिवर्सटी ने ही मुझे एक अच्छा इंसान बनाया है। '
वाइस चांसलेर से की मुलाकात
सरिता बीते दिन जेएनयू के वाइस चांसलेर शांतिश्री डी पंडित से मिली थी। सरिता की लग्न और परिश्रम देखते हुए वॉइस चांसलेर ने कहा कि - 'जेएनयू ऐसे मेहनती और होनहार छात्रों को आगे पढ़ने के लिए मौके देता है। सरिता भी हम सबके साथ-साथ उन छात्रों के लिए भी एक मिसाल ही हैं। मुलाकात के बाद सरिता ने अपनी सफलता का श्रेय यूनिवर्सटी और परिवार को दिया'
पापा की हिम्मत से हासिल किया मुकाम
सरिता कहती हैं मेरे सफलता का श्रेय मेरे पिता जी को जाता है। मैं अपनी परिवार वालों के साथ मुंबई की झुग्गियों में रहती थी। उन्होंने हमेशा मुझे पढ़ाई के लिए ही प्रेरित किया था। जब मैं 6वीं कक्षा में थी तो अपने पिता के साथ मुंबई के ट्रैफिक सिग्नल पर फूल बेचने के लिए गाड़ियों के पीछे दौड़ा करती थी। सारे दिन में फूल बिकते थे तो 300 रुपये में हम अपने परिवार का गुजारा करते थे। सरिता कहती हैं 10वीं के बाद में उन्होंने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरु कर दिया। मेरे पिता चाहते थे कि मैं खूब पढ़ूं और मैं उनकी इच्छा पूरी करना चाहती थी। उन्होंने अपनी कमाई से कुछ पैसे बचाकर मुझे के.जे. सोमैया कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स में एडमिशन दिलवाया था।
सरिता ने शेयर की फेसबुक पर पोस्ट
सरिता ने अपने सोशल मीडिया पर अपनी मेहनत के एक कहानी शेयर की है। उन्होंने इस पोस्ट में लिखा कि- 'अमेरिका की दो यूनिवर्सटी में मेरा चयन हुआ है-यूनिवर्सटी ऑफ कैलिफोर्निया और यूनिवर्सटी ऑफ वॉशिंगटन। मैं यूनिवर्सटी ऑफ कैलिफोर्निया में पढ़ना चाहती हूं। इस यूनिवर्सटी ने मेरिट और अकेडमी रिकार्ड को देखते हुए मुझे अमेरिका की सबसे माननीय अध्येतावृत्ति में से एक चांसलर अध्येतावृत्ति दी है। मैं यूपी के जौनपूर से हूं। परंतु मेरा जन्म और परवरिश मुंबई में ही हुई है। मैं जिस जगह से आई हूं वो बहुत से लोगों की किस्मत भी है। आज मेरे सपने सच्चे हुए हैं मैं तो ही यहां तक पहुंच पाई हूं। जब आप किसी ऐसा अंधकारमय समाज में पैदा होते हो तो एक उम्मीद की एक रोशनी दूर से ही आपके जीवन में जगमगाती है, आपकी टूटी हुई उम्मीदों का भी वही सहारा बनती है। मैं भी उस जगमगाती हुई शिक्षा रुपी रोशनी के पीछे चल पड़ी थी। मेरी उम्मीद मेरे माता-पिता और मेरी पढ़ाई थी।'