सफला एकादशी 2024: एकादशी व्रत में रखें इन बातों का ध्यान, व्रत होगा सफल
punjabkesari.in Wednesday, Dec 25, 2024 - 04:18 PM (IST)
नारी डेस्क: सफला एकादशी को हिंदू धर्म में विशेष रूप से पूजनीय माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और व्रत रखने से पापों का नाश होता है। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को करने से जीवन के बड़े से बड़े संकट दूर हो जाते हैं और व्यक्ति को इस लोक और परलोक दोनों में आदर-सम्मान प्राप्त होता है।
सफला एकादशी की तिथि और समय
पंचांग के अनुसार, पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 25 दिसंबर 2024 को रात 10:29 बजे शुरू होगी और 27 दिसंबर 2024 को रात 12:43 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, सफला एकादशी का व्रत 26 दिसंबर 2024 को रखा जाएगा।
शुभ मुहूर्त और योग
पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 7:12 से 8:30 बजे तक।
सुकर्मा योग: यह शुभ योग 26 दिसंबर को रात 10:23 बजे तक रहेगा।
स्वाती नक्षत्र: यह नक्षत्र भी 26 दिसंबर को शाम 6:09 बजे तक रहेगा।
अभिजित मुहूर्त: दोपहर 12:01 से 12:42 तक।
व्रत और पूजा विधि
सुबह जल्दी उठें
सफला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठने का विशेष महत्व है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठने का प्रयास करें, जो सूर्योदय से लगभग डेढ़ घंटे पहले का समय होता है। यह समय शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए सबसे शुभ माना जाता है। उठने के बाद स्नान करें और गंगाजल का उपयोग करें, ताकि शरीर और मन दोनों पवित्र हो सकें। स्नान के बाद स्वच्छ और हल्के रंग के वस्त्र पहनें। घर के मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें और वहां धूप-दीप जलाकर वातावरण को शुद्ध करें।
गणेश और विष्णु पूजा करें
स्नान के बाद सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें, क्योंकि किसी भी शुभ कार्य से पहले गणपति वंदना आवश्यक मानी जाती है। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। भगवान की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीप जलाएं और उन्हें तिलक, पुष्प, अक्षत (चावल), और तुलसी दल अर्पित करें। पूजा के दौरान "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें। भगवान विष्णु के सामने व्रत का संकल्प लें और अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।
अन्न का त्याग करें
इस दिन व्रत रखने वालों के लिए अन्न का त्याग करना आवश्यक है। माना जाता है कि एकादशी व्रत में अन्न ग्रहण करने से व्रत का फल नहीं मिलता। आप पूरे दिन फलाहार कर सकते हैं। इसमें फल, दूध, नारियल पानी और फलों का रस शामिल कर सकते हैं। बाजार में उपलब्ध फास्टिंग स्नैक्स की जगह शुद्ध और सात्विक भोजन को प्राथमिकता दें। यह न केवल व्रत की पवित्रता बनाए रखेगा, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होगा।
दिनभर विष्णु का स्मरण करें
पूरे दिन भगवान विष्णु का स्मरण करना चाहिए। भगवान की कथाएं पढ़ें या सुनें और उनके गुणगान करें। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें, जिससे आपकी भक्ति और ध्यान की गहराई बढ़ेगी। भगवान विष्णु के भजन सुनने से मन को शांति और सकारात्मकता का अनुभव होता है। यदि संभव हो, तो दिनभर मंत्र जाप करते रहें। यह मन को केंद्रित रखने और व्रत का फल प्राप्त करने में सहायक होगा।
संध्या काल में दीपदान करें
सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास गाय के घी का दीप जलाने का विधान है। यह दीपदान भगवान विष्णु और तुलसी माता की कृपा प्राप्त करने का एक विशेष माध्यम है। दीप जलाते समय भगवान विष्णु से प्रार्थना करें और उनकी कृपा प्राप्त करने का निवेदन करें। दीपदान करने से घर का वातावरण सकारात्मक होता है और आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ती है।
रात्रि जागरण करें
शास्त्रों के अनुसार, व्रत वाले दिन रात्रि में जागरण करने का विशेष महत्व है। इस समय भगवान विष्णु का नाम जपें, भजन गाएं, और उनकी कथा सुनें। यह जागरण व्रत को संपूर्ण बनाता है और आपके पुण्य को कई गुना बढ़ा देता है।
अगले दिन व्रत का समापन
द्वादशी तिथि के दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा के बाद गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराएं और उन्हें दान दें। इसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें। यह व्रत का समापन करने का सही तरीका है और इससे व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है। इस दिन चावल का सेवन न करें। व्रत के दौरान पवित्रता और नियमों का पालन करें। भगवान विष्णु के निमित्त दीपदान और कथा सुनने से व्रत का फल पूर्ण होता है।
सफला एकादशी का फल
पुराणों के अनुसार, जो भक्त सफला एकादशी का व्रत पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से रखते हैं, उन पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है। उनका जीवन सुखमय और सफल हो जाता है। शास्त्रों में इसे अपार सफलता का मार्गदर्शक व्रत माना गया है।
सफला एकादशी व्रत केवल धार्मिक महत्व ही नहीं रखता बल्कि आत्मिक शांति और मनोकामना पूर्ति का भी माध्यम है। इस दिन भगवान विष्णु का स्मरण और पूजा-अर्चना करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और व्यक्ति को आध्यात्मिक बल प्राप्त होता है।