एक के 35, दूसरे के 72 और तीसरे के 300 टुकड़े... पढ़िए श्रद्धा जैसी खौफनाक कहानियां

punjabkesari.in Friday, Nov 18, 2022 - 04:12 PM (IST)

दिल्ली के महरौली में सामने आए वीभत्स श्रद्धा वालकर हत्याकांड ने 12 साल पहले देहरादून के ‘डीप फ्रीजर हत्याकांड' की याद ताजा कर दी, जिसमें एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने दंरिदगी की हदें पार करते हुए अपनी पत्नी अनुपमा गुलाटी की हत्या करने के बाद उसके शव के 72 टुकड़े कर दिए थे। विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों हत्यारे एक क्रूर मानसिकता से ग्रस्त थे और उन्होंने हत्या क्षणिक आवेश में आकर नहीं, बल्कि सोच-समझकर की। उनका यह भी कहना है कि परिवार और मित्रों की सक्रिय भूमिका ऐसी घटनाओं को रोक सकती है। 

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अनुपमा हत्याकांड में भी हुआ था कुछ ऐसा

वर्ष 2010 में हुए अनुपमा हत्याकांड और हाल ही में सामने आए श्रद्धा हत्याकांड में केवल आरी से शव के टुकड़े किए जाने की ही समानता नहीं है, बल्कि दोनों मामलों में हत्यारे शवों की बदबू को छिपाने के लिए फ्रिज या डीप फ्रीजर खरीदकर ले आए। श्रद्धा के शव के टुकड़ों को ठिकाने लगाने के लिए उसका कथित हत्यारा आफताब पूनावाला जिस तरह से 18 दिन तक रात के अंधेरे में महरौली के जंगलों में जाता रहा, उसी प्रकार अनुपमा का पति राजेश गुलाटी भी कई दिन तक उसके शव के टुकड़े एक-एक कर राजपुर रोड पर मसूरी डायवर्जन के करीब पड़ने वाले नाले में फेंकता रहा। 


पति ने किए थे पत्नी के टुकड़े

दोनों ही घटनाओं में कातिल इतने शातिर निकले कि शव के टुकड़ों के कई दिनों तक घरों में मौजूद होने के बावजूद पड़ोसियों तक को वारदात के बारे में महीनों तक पता ही नहीं चला। हत्या के बाद गुलाटी अनुपमा के ईमेल से संदेश भेजकर उसके परिवार और मित्रों को गुमराह करता रहा। वहीं, पूनावाला भी श्रद्धा के सोशल मीडिया स्टेटस को कई सप्ताह तक अपडेट करता रहा। अनुपमा की हत्या 17 अक्टूबर 2010 को हुई थी, लेकिन इसका खुलासा 12 दिसंबर 2010 को उस समय हुआ, जब कई कोशिशें के बावजूद अपनी बहन से संपर्क करने में नाकाम रहा उसका भाई पुलिस के पास शिकायत लेकर पहुंचा। हालांकि, महरौली हत्याकांड में श्रद्धा की सहेली ने उसके भाई को उसका फोन काफी दिनों से बंद आने की सूचना दी, जिसके बाद उसके पिता ने पुलिस में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।

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सामान्य मानसिकता वाले नहीं होते ये लोग

अनुपमा हत्याकांड की जांच की निगरानी करने वाले वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का कहना है कि  इस तरह की हत्याएं और शवों के टुकड़े करने वाला व्यक्ति सामान्य मानसिकता वाला नहीं हो सकता। उनका कहना है कि इस तरह की हत्याएं अचानक नहीं होतीं और दंपति के बीच झगड़ों और घरेलू हिंसा के रूप में वारदात के सिग्नल पहले से ही मिलने शुरू हो जाते हैं। खतरा भांपने में परिवार और मित्रों की भूमिका अहम है, जो समय रहते पुलिस को सूचित कर ऐसी घटनाओं को रोक सकते हैं।


बेटे ने तीन साल फ्रिज में रखा मां का शव

सिर्फ श्रद्धा और अनुपमा ही नहीं एक मां के साथ भी बेटे ने कुछ ऐसा ही किया था।  मां को मिलने वाली पेंशन के लालच में एक व्यक्ति अपनी मां के शव को तीन साल तक फ्रिज में रखे रहा। यही नहीं मरी हुई मां का अंगूठा लगाकर 50 हजार रुपये की पेंशन भी निकालता रहा। आरोपी की मां की हार्ट अटैक के चलते मौत हो गई थी।अंतिम संस्कार करने की बजाय वह शव को घर ले आया और छाती से पेट तक चीरा लगाकर कई अंग हटा दिए।शरीर के जिन हिस्सों के सड़ने का डर था उन हिस्सों जैसे किडनी, लीवर इत्यादि को शरीर से अलग करके बड़े जार में रख दिया गया था। केमिकल की मदद से शव को सुरक्षित रखा जा रहा था। 
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प्रेमी के किए थे 300 टुकड़े 

 7 मई साल 2008 को मुंबई में एक ऐसे ही हत्याकांड को अंजाम दिया गया था जिसमें अपराधी ने लाश के सैकड़ों टुकड़े कर उसे आग के हवाले कर दिया था। हम यहां बात कर रहे हैं चर्चित नीरज ग्रोवर हत्याकांड की। नीरज का कत्ल लव ट्राएंगल में हुआ था। नीरज और उसकी मंगेतर ने लाश के 300 टुकड़े कर तीन अलग-अलग थैलों में भर दिया था। इतना ही नहीं लड़की ने लाश के सामने ही मंगेतर के साथ दो बार संबंध भी बनाए। इसके बाद  लाश के टुकड़े कर उसे एक सुनसान जंगल में ले जाकर जला दिया।

 

बच्चों के सामने पत्नी के किए थे टुकड़े

इस तरह की घटनाएं पहले भी  सामने आ चुकी हैं। कुछ सालों पहले महाराष्ट्र के औरंगाबाद में एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी की हत्या कर शव को टुकड़ों में बांटकर नाले में बहा दिए थे। इस आरोपी ने पहले अपनी पत्नी की हत्या कर शव को घर के फ्रिज में छुपा दिया। इन सात दिनों में उसके मासूम बच्चे भी उसी घर में थे।  आरोपी उस समय पकड़ में आया था जब वह नाले के पास बाल्टी लेकर अपने दो बच्चों के साथ खड़ा था।



 


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Content Writer

vasudha

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