प्रेमानंद महाराज की तबीयत नाज़ुक, जानें कौन सी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं महाराज जी

punjabkesari.in Friday, Apr 18, 2025 - 10:45 AM (IST)

नारी डेस्क: इन दिनों प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। उनकी तबीयत बिगड़ने की वजह से वे पिछले कुछ दिनों से रात्रि पदयात्रा पर नहीं निकल पा रहे हैं और न ही भक्तों को दर्शन दे पा रहे हैं। बुधवार को जब वे रोज़ की तरह यात्रा पर नहीं आए, तो भक्तों को चिंता हुई। अगले दिन भी उनके दर्शन न होने से कई भक्त भावुक होकर रो पड़े। गुरुवार सुबह जब भक्तों की भीड़ आश्रम के बाहर एकत्र हुई, तो महाराज जी कुछ समय के लिए गाड़ी से उतरे और थोड़ी दूर पैदल चलकर भक्तों का अभिवादन किया।

किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं महाराज जी

प्रेमानंद महाराज लगभग 18 साल से एक गंभीर किडनी रोग से जूझ रहे हैं। उन्हें ऑटोसोमल डॉमिनेंट पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (ADPKD) नाम की बीमारी है। यह एक अनुवांशिक (जेनेटिक) बीमारी होती है, जिसमें किडनी में धीरे-धीरे सिस्ट यानी गांठें बनने लगती हैं। इन गांठों की वजह से किडनी की कार्यक्षमता कम होने लगती है और समय के साथ किडनी पूरी तरह खराब हो सकती है। इसी कारण अब महाराज जी को डायलिसिस पर रखा गया है, क्योंकि उनकी दोनों किडनियां अब सही से काम नहीं कर पा रही हैं।

ADPKD क्या है और यह कैसे फैलती है?

ADPKD एक जेनेटिक रोग है, जो अक्सर परिवार के माध्यम से अगली पीढ़ी तक पहुंचता है। अगर माता या पिता में से किसी एक को यह बीमारी है, तो उनके बच्चों को इसके होने की 50 प्रतिशत संभावना रहती है। इस बीमारी का कारण जीन्स में गड़बड़ी होता है। इसके अलावा, खराब जीवनशैली, असंतुलित खान-पान, धूम्रपान, शराब का सेवन और कम पानी पीना जैसी आदतें भी इस बीमारी को बढ़ावा देती हैं।

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मरीजों में दिखते हैं ऐसे लक्षण

इस बीमारी के कारण शरीर में कई परेशानियां शुरू हो जाती हैं। जैसे—पेट के निचले हिस्से में लगातार दर्द बना रहना, पेशाब करने में दिक्कत होना, हाथ-पैरों में सूजन आना, थकावट महसूस होना और डाइजेशन से जुड़ी समस्याएं होना। कुछ मामलों में खून की कमी (एनीमिया) भी देखी जाती है।

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डायलिसिस कैसे काम करता है?

डायलिसिस एक ऐसी चिकित्सा प्रक्रिया है जिसमें शरीर से खून निकाल कर मशीन के माध्यम से साफ किया जाता है और फिर इसे दोबारा शरीर में डाला जाता है। यह प्रक्रिया तब की जाती है जब किडनी अपनी सफाई की प्राकृतिक प्रक्रिया नहीं कर पाती। आमतौर पर यह प्रक्रिया हफ्ते में दो से तीन बार की जाती है और हर बार लगभग चार घंटे का समय लगता है। डायलिसिस किडनी को ठीक नहीं करता, बल्कि उसकी जगह अस्थायी रूप से शरीर के अपशिष्ट को बाहर निकालने का काम करता है।

बीमारी से जुड़ी जटिलताएं और खतरे

ADPKD के चलते कई अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे कि किडनी में बने सिस्ट का फटना या उनसे खून बहना, बार-बार यूरिन इंफेक्शन होना, किडनी स्टोन बनना और किडनी के आसपास दबाव बढ़ना। साथ ही, इस बीमारी से ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।

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बचाव और जीवनशैली में जरूरी बदलाव

हालांकि इस बीमारी का स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन सही देखभाल और जीवनशैली अपनाकर इसे काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। रोज़ाना पर्याप्त मात्रा में पानी पीना, संतुलित और पौष्टिक आहार लेना, ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखना, धूम्रपान और शराब से दूरी बनाना तथा नियमित व्यायाम करना फायदेमंद होता है। इसके अलावा, समय-समय पर डॉक्टर से जांच और टेस्ट करवाना भी बेहद जरूरी है।

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प्रेमानंद महाराज इन दिनों अपनी पुरानी किडनी बीमारी से जूझ रहे हैं, जिससे उनकी तबीयत नाज़ुक बनी हुई है। भक्तों से निवेदन है कि वे संयम और धैर्य बनाए रखें तथा उनके जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना करें। साथ ही, आम लोगों के लिए यह एक चेतावनी भी है कि वे अपने स्वास्थ्य को लेकर सजग रहें और जीवनशैली में सुधार लाएं, ताकि इस तरह की गंभीर बीमारियों से बचा जा सके।
 

  

 


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Content Editor

Priya Yadav

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