अगर कोई हमारी बुराई कर रहा है तो हमें क्या करना चाहिए? श्री प्रेमानंद महाराज जी ने दिया दिव्य मार्गदर्शन

punjabkesari.in Sunday, Apr 20, 2025 - 05:26 PM (IST)

नारी डेस्क: हर किसी को जीवन में कभी न कभी आलोचना, गाली या अपमान का सामना करना पड़ता है। यह एक सामान्य बात है, लेकिन जब ऐसा होता है तो हमारा मन दुखी और अशांत हो सकता है। ऐसे में हमें शांति और संतुलन बनाए रखना बहुत मुश्किल हो सकता है। इस पर श्री प्रेमानंद महाराज जी ने एक बहुत ही सरल और गूढ़ समाधान दिया, जिससे हम इस प्रकार की परिस्थितियों का सामना शांतिपूर्वक कर सकते हैं।

श्री प्रेमानंद महाराज जी का उत्तर

जब कोई गाली दे, अपमान करे या ताना मारे तो यह स्वाभाविक है कि हमारे मन में पीड़ा हो। लेकिन, श्री महाराज जी ने एक बहुत सुंदर उदाहरण दिया- "अगर एक पागल व्यक्ति आपको गाली दे या पत्थर मारे, तो क्या आप उसे बुरा मानेंगे? नहीं, क्योंकि आप जानते हैं कि वह पागल है।"

उन्होंने समझाया कि जैसे पागल व्यक्ति से गाली सुनकर हम उसे गंभीरता से नहीं लेते, वैसे ही जब कोई गाली दे या ताना मारे तो हमें उसे उसी नजर से देखना चाहिए। उनका कहना था कि शरीर पंचभूत (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) से बना है, और जब कोई व्यक्ति इन पंचभूतों से बंधा होता है, तो वह अपने गुस्से और क्रोध पर नियंत्रण नहीं रख सकता। ऐसे व्यक्ति से हम उलझकर खुद को भी उसी स्थिति में क्यों डालें?

महात्मा और भक्त का स्वभाव

श्री महाराज जी ने बताया कि एक महात्मा या भक्त का स्वभाव हमेशा शांत रहता है। जब कोई गाली दे तो मुस्कुराना, जब कोई अपमान करे तो चुप रहना, और जब कोई ताना मारे तो भगवान का ध्यान करना यही असली अध्यात्म है। उन्होंने कहा कि अगर हम भी पलट कर गाली दें, तो फिर हमारा और गाली देने वाले का क्या फर्क रह जाएगा?

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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गाली सुनकर भी आनंद में रहना – यही असली अध्यात्म है।

श्री प्रेमानंद महाराज जी ने यह भी कहा कि जब कोई अंदर से परमात्मा में डूबा होता है, तो उसका आनंद कभी भी बाहर की परिस्थितियों से प्रभावित नहीं होता। चाहे कोई अपमान करे या गाली दे, अंदर से वह व्यक्ति शांति और आनंद में रहता है।

हम क्यों दुखी होते हैं?

हम दुखी तब होते हैं जब हम दूसरों की बातों को अपने आत्म-सम्मान से जोड़ लेते हैं। लेकिन श्री महाराज जी ने कहा, "वो कुछ भी कहे – वो उसका बोझ है, उसे मत उठाओ।" उनका कहना था कि हमें अपनी आत्म-सम्मान की सुरक्षा अपने भीतर से करनी चाहिए, न कि बाहर की बातों से प्रभावित होकर।

ठाकुर जी हमें बुलेटप्रूफ बना रहे हैं

श्री महाराज जी ने एक बहुत सुंदर उदाहरण दिया, "एक शीशे पर कंकड़ मारा तो वह टूट जाएगा, लेकिन अगर शीशे को बार-बार गरम और ठंडा किया जाए, तो वह बुलेटप्रूफ बन जाएगा।" इसी तरह, हमारे जीवन में जो प्रतिकूलताएं आती हैं, वे हमें मजबूत बनाती हैं। अगर कोई हमारे आत्म-सम्मान को ठेस पहुँचाए और हम टूट जाएं, तो इसका मतलब है कि हम अभी भी शीशे जैसे हैं, लेकिन अगर हम मुस्कुराकर उसे स्वीकार कर लें, तो हम बुलेटप्रूफ बन गए हैं।

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प्रतिकूलताओं से डरना नहीं, उन्हें स्वीकार करना

श्री महाराज जी ने कहा कि जब कोई गाली दे तो मुस्कुरा दो, कोई ताना मारे तो भगवान का नाम लो, और जब कोई पीड़ा दे तो उसे भगवान की परीक्षा समझो। यही हमें मजबूत और स्थिर बनाता है।

क्या करें जब कोई अपमान करे?

नाम जप करें – ताकि मन शांत रहे।

सत्संग सुनें – ताकि बुद्धि सही निर्णय ले सके।

प्रार्थना करें – ताकि सहनशक्ति बढ़े।

सोचें कि वो पागल है – ताकि बात मन में न लगे।

भगवान का धन्यवाद करें – कि उन्होंने एक नई परीक्षा का अवसर दिया।

जब हमारा हृदय बुलेटप्रूफ हो जाए, और कोई गाली, ताना, अपमान हमें प्रभावित न करे, और हम बिना किसी कटुता के उसे क्षमा कर दें, तो समझिए कि हमने सच्चा अध्यात्म पाया है। यही सच्चा आनंद और शांति है।
 

 


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Content Editor

Priya Yadav

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