इन राशियों पर शनि की टेढ़ी नजर, 2022 तक झेलनी पड़ सकती हैं मुश्किलें
punjabkesari.in Saturday, Nov 27, 2021 - 12:15 PM (IST)
शनिदेव को न्याय प्रिय देवता माना जाता है। कहते हैं कि शनिदेव लोगों को उनके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। इसलिए शास्त्रों में वर्णित है कि व्यक्ति को बुरी संगति और बरे कर्मों से दूर रहना चाहिए। अगले साल यानी की 29 अप्रैल, 2022 शनि मकर राशि से निकलकर अपनी स्वराशि कुंभ में प्रवेश करने जा रहे हैं। 2022 में शनि एक नहीं दो बार परिवर्तन करेंगे, जिसका सीधा- सीधा असर 8 राशियों पर पड़ेगा। जानिए इस बार किन राशियों पर होगी शनि की टेढ़ी नजर।
धनु राशि को मिल जाएगी साढ़े साती से मुक्ति
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि के राशि परिवर्तन से धनु राशि के जातकों को साढ़े साती से मुक्ति मिल जाएगी तो साथ ही मीन राशि वालों पर शनि साढ़े साती शुरु हो जाएगी। फिलहाल मकर, कुंभ और धनु राशि पर शनि की साढ़े साती चल रही है।
इस राशि वालों को हो सकती है परेशानी
2022 में शनि मिथुन, .कर्क, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर,कुंभ और मीन राशि के जातकों पर अपनी नजर जमा सकते हैं। शनि के प्रकोप के कारण धन संपत्ति, परिवार से जुड़ी मुश्किलें झेलनी पड़ सकती हैं।
कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे ग्रह
शनि ग्रह अगले वर्ष मकर राशि को छोड़कर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। इस दौरान धनुराशि को साढ़ेसाती से राहत मिलेगी, लेकिन इसके साथ ही जुलाई एक बार फिर से मकर राशि में प्रवेश करेंगे, जिसके चलते मिथुन राशि वालों को ढैया से मुक्ति मिलने वाली है।
12 जुलाई को फिर होगा परिवर्तन
12 जुलाई को एक बार फिर से शनि वक्री अवस्था में मकर राशि में गोचर करेंगे। इसके कारण जो राशियां शनि की दशा से मुक्त हो गई थीं, वह एक बार फिर से इसकी चपेट में आ जाएंगी।
कुंभ राशि वालों को नहीं मिलेगी मुक्ति
कुंभ राशि वालों को इस साल भी शनि के प्रकोप से मुक्ति मिलती नजर नहीं आ रही है। इस राशि पर 2020 से शनि की साढ़ेसाती चली थी जो 2027 तक रह सकती है। मार्च 2025 को शनि मीन राशि में गोचर करने वाले, इस दौरान कुंभ, मेष और मीन राशि वालों पर शनि ढैय्या रहेगी। मकर राशि वाले शनि ढैय्या से मुक्ति पा जाएंगे।
शनिदेव के प्रकोप से बचने के उपाय
-शनिवार के दिन कटोरी में सरसों का तेल रखकर अपना चेहरा देखें।
-तेल को किसी गरीब को दान कर दें।
-काले रंग के हाथियों को भोजन करवाएं।
-बंजरगबली की पूजा अर्चना करें।
-हनुमान चालीसा का पाठ करें।