रुद्राभिषेक से प्रसन्न होकर सभी कामनाएं पूरी करते हैं भोलेनाथ, जानें सबसे पहले किसने किया था अभिषेक
punjabkesari.in Saturday, Feb 22, 2025 - 06:39 PM (IST)

रुद्राभिषेक भगवान शिव की विशेष पूजा विधि है, जिसमें वैदिक मंत्रों के साथ शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है। रुद्राभिषेक का शाब्दिक अर्थ होता है - 'रुद्र का अभिषेक' यानि भगवान् शिव जो कि रुद्र हैं, उनका अभिषेक अर्थात उन्हें स्नान कराना जो कि कई चीजों से होता है। यह अनुष्ठान भगवान शिव को प्रसन्न करने, सुख-समृद्धि प्राप्त करने और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए किया जाता है। विशेष रूप से महाशिवरात्रि के दिन इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। यदि इसे सही नियमों और श्रद्धा भाव से किया जाए, तो यह बहुत शुभ फल देता है

रुद्राभिषेक की महिमा
रुद्राभिषेक करने से शिव जी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन के कष्ट दूर होते हैं, घर और जीवन में सकारात्मकता आती है और नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार रुद्राभिषेक करने से बीमारियों से मुक्ति मिलती है और लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता ह,उ कुंडली में ग्रह दोष होने पर यह पूजा अत्यंत लाभकारी होती है। विशेष रूप से अगर विवाह में देरी हो रही हो तो यह पूजा शुभ मानी जाती है।
रुद्राभिषेक को लेकर पौराणिक कथा
पौराणिक कथा हैभगवान ब्रह्मा अपने जन्म का कारण का जानने के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंचे थे। तब भगवान विष्णु ने कहा कि आपकी उत्पत्ति मेरी नाभि से हुई है लेकिन ब्रह्माजी यह मानने को तैयार ही नहीं थे। इसलिए दोनो में भयंकर युद्ध हुआ। विष्णु और ब्रह्माजी के युद्ध से नाराज होकर भगवान रुद्र ने ज्योतिर्लिंग रूप में अवतार लिया। तब बिष्णुजी और ब्रहमाजी ने निश्चय किया कि जो कोई भी इसके अंतिम भाग को स्पर्श कर लेगा, वही परमेश्वर साबित होगा। तब ब्रह्माजी हंस बनकर लिंग के आगे के भाग को ढूंढने लगे और विष्णुजी वराह बनकर लिंग के नीचे की ओर ढूंढने लगे। हजारों सालों तक कोई भी उस लिंग का अंत ना पा सका। हार मानते हुए भगवान ब्रह्मा और विष्णु मिलकर लिंग का अभिषेक किया, तब भगवान शिव प्रसन्न हुए। तब से रुद्राभिषेक का आरंभ हुआ था। शिवजी ने प्रसन्न होकर कहा कि आप दोनो हमारी देह से उत्पन्न हुए हैं। सृष्टि की रचना के लिए ब्रह्मा हमारे दक्षिण अंग से और विष्णु वाम अंग से उत्पन्न हुए हैं।

महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक का महत्व
महाशिवरात्रि भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह का पर्व है। इस दिन रुद्राभिषेक करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है और सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इस दिन रुद्राभिषेक करने से भय, शोक और पापों का नाश होता है। विवाह, संतान सुख, आर्थिक समृद्धि के लिए यह पूजा अत्यंत प्रभावी होती है।
रुद्राभिषेक करने के नियम
रुद्राभिषेक के दौरान शुद्धता का ध्यान रखें, स्नान करके साफ वस्त्र पहनें। रुद्राभिषेक के लिए दूध, गंगाजल, शहद, बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद चंदन, चावल, गन्ने का रस आदि का प्रयोग करें। शिवलिंग पर तांबे या चांदी के पात्र से हीजल चढ़ाएं, प्लास्टिक या लोहे के पात्र का प्रयोग न करें। ध्यान रखें कि शिव जी ब्रह्मचारी देवता हैं, इसलिए हल्दी का उपयोग वर्जित है। शिव जी को केवल शुद्ध वस्त्र अर्पित करें, चमड़े या अशुद्ध कपड़ों से शिवलिंग का पूजन न करें।

रुद्राभिषेक के दौरान न करें ये गलतियां
-शिवलिंग पर नारियल पानी न चढ़ाएं क्योंकि नारियल पानी देवी लक्ष्मी को समर्पित होता है, शिवलिंग पर इसका चढ़ाना वर्जित है।
-शिवलिंग पर तुलसी पत्र न चढ़ाएं क्योंकि तुलसी माता भगवान विष्णु को प्रिय हैं, शिवलिंग पर इसे अर्पित नहीं करना चाहिए।
-शिवलिंग पर कुमकुम या सिंदूर न लगाएं क्योंकि यह माता पार्वती को अर्पित किया जाता है, शिव जी को नहीं।
-शिव जी को खड़े होकर जल न चढ़ाएं, हमेशा घुटनों के बल बैठकर जल अर्पित करें।
-केवल एक हाथ से जल न चढ़ाएं, हमेशा दोनों हाथों का उपयोग करें।
-शिवलिंग पर टूटे बेलपत्र न चढ़ाएं, हमेशा साबुत और साफ बेलपत्र ही चढ़ाएं।
-शिवरात्रि के दिन उपवास तोड़ने से पहले शिव जी को भोग लगाएं, उपवास तोड़ने से पहले प्रसाद जरूर चढ़ाएं।