स्टीव जॉब्स के तकिए के नीचे मिली थी नीम करौली बाबा की तस्वीर, बड़े बड़े स्टार बाबा के भक्त
punjabkesari.in Thursday, Jun 05, 2025 - 06:00 PM (IST)

नारी डेस्क: उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित कैंची धाम केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यह स्थान बाबा नीम करौली महाराज की तपोभूमि माना जाता है, जिनके भक्त देश-विदेश में मौजूद हैं। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु बाबा के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। बाबा नीम करौली के भक्तों में आम लोग ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे अमीर और प्रसिद्ध लोग भी शामिल हैं। एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग यहां तक कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा भी बाबा के प्रति श्रद्धा रखते हैं।
कहा जाता है कि जब स्टीव जॉब्स भारत आए थे तो उन्होंने बाबा नीम करौली के कैंची धाम में समय बिताया। वहीं, 2007 में मार्क जुकरबर्ग भी यहां आए थे। उन्होंने खुद बताया था कि उनके गुरु ने उन्हें भारत के एक मंदिर में जाने की सलाह दी थी, और वह स्थान कैंची धाम ही था। यहां आने के बाद उनकी जिंदगी में बड़ा बदलाव आया और फेसबुक को वैश्विक सफलता मिली।
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एप्पल का लोगो और बाबा का प्रसाद
एक मान्यता के अनुसार, बाबा नीम करौली ने स्टीव जॉब्स को प्रसाद के रूप में एक सेब दिया था। कहा जाता है कि वही सेब स्टीव जॉब्स के जीवन में प्रेरणा बना और बाद में उन्होंने अपनी कंपनी का नाम एप्पल रखा जिसका लोगो भी उसी सेब को दर्शाता है।
कुंभ मेले में गुजारा समय
1974 में जॉब्स जब भारत आए तो उन्होंने कुछ समय हरिद्वार के कुंभ मेले में गुजारा. इसके बाद वह वहां से नैनीताल चले गए। नैनीताल में वह जहां ठहरे थे वहां उन्हें स्वामी योगानंद परमहंस की आत्मकथा, ‘ऑटोबायोग्रफी ऑफ ए योगी’ मिली। इस बुक को कोई पर्यटक वहां छोड़ गया था. स्टीव ने उस किताब को पढ़ डाला। कहा जाता है कि स्टीव साल में एक बार उस किताब को जरूर पढ़ते थे।
बाबा की कथाएं सुनते थे जॉब्स
इस बीच स्टीव गांव-गांव पैदल घूमने लगे। इतना ही नहीं जॉब्स नीम करोली बाबा की कथाएं सुनने के साथ ध्यान भी करने लगे। सात महीनों तक भारत में घूमने के बाद वह अमेरिका पहुंचे, तो उनकी हालत देखकर उनकी मां भी उनकी पहचान नहीं सकी थीं।
2011 में जॉब्स का निधन
स्टीव जॉब्स की अंतर्यात्रा आगे भी चलती रही, वह जैन बौद्धों, हिंदुत्व में आत्मसाक्षात्कार की तलाश करते रहे। उनके अंतिम समय में उनके दोस्त लैरी उनके साथ थे। बता दें कि 5 अक्टूबर 2011 को स्टीव जॉब्स की कैंसर से मौत हो गई। कहा जाता है कि उनकी मौत के बाद उनके तकिए के नीचे से बाबा नीम करोली का छोटा सा फोटो मिला था।
बाबा नीम करौली और ट्रेन की घटना
एक बहुत ही प्रसिद्ध किस्सा बाबा नीम करौली से जुड़ा है। ब्रिटिश शासन के समय, एक बार वह ट्रेन से यात्रा कर रहे थे। नीब करौरी स्टेशन पर ट्रेन खड़ी थी, लेकिन एक रेलवे अधिकारी ने उन्हें प्रथम श्रेणी डिब्बे से उतार दिया। इसके बाद ट्रेन दो घंटे तक बिना किसी तकनीकी खराबी के नहीं चल सकी। इंजन चालू था, लेकिन पहिए नहीं घूम रहे थे। जब अधिकारियों को सच्चाई समझ में आई, तो उन्होंने बाबा से क्षमा मांगी और वापस ट्रेन में बैठने का अनुरोध किया। जैसे ही बाबा फिर से ट्रेन में बैठे, ट्रेन तुरंत चल पड़ी। यह घटना बाबा की दिव्यता और शक्ति को दर्शाती है।
कैंची धाम की स्थापना और भंडारा परंपरा
बाबा नीम करौली ने 1942 में पहली बार कैंची गांव का भ्रमण किया था। बाद में उन्होंने यहां एक आश्रम और मंदिर की स्थापना की। यह धाम शिप्रा नदी के किनारे बसा है, जो नैनीताल से लगभग 19 किलोमीटर दूर है। यहां हर साल 15 जून को स्थापना दिवस मनाया जाता है। 1965 से यहां भंडारे की परंपरा चली आ रही है, जिसमें हजारों लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं।
इस भंडारे की शुरुआत खुद बाबा ने करवाई थी।
कैंची धाम सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक जीवंत चमत्कारों का केंद्र है। यहां आने वाले श्रद्धालु मानते हैं कि बाबा नीम करौली की कृपा से जीवन में नई दिशा, सफलता और शांति मिलती है।