बाबा नीम करौली की सच्चाई क्या है? बाबा के आश्रम को क्यों दिया गया ''कैंची धाम'' का नाम

punjabkesari.in Wednesday, Apr 09, 2025 - 08:40 PM (IST)

नारी डेस्कः नीम करौली बाबा के बारे में तो आपने भी सुना होगा। वह 20वीं सदी के महान संतों में शामिल हैं और अपनी दिव्य शक्तियों के कारण लोकप्रिय देश विदेश में फेमस हैं। आज भी दूर-दूर से लोग बाबा के आश्रम कैंची धाम में पहुंचते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनके आश्रम का नाम कैंची धाम ही क्यों पड़ा और उन्हें नीम करौली बाबा क्यों कहा जाता था तो चलिए आज के इस आर्टिकल में बाबा नीम करौली के बारे में ही दिलचस्प बातें आपको बताते हैं। 

खबरों की मानें तो बाबा नीम करौली का जन्म उत्तर प्रदेश के अकबरपुर में वर्ष 1900 के करीब हुआ था। वह बजरंगबली के बहुत बड़े भक्त थे। लोग उन्हें हनुमानजी का अवतार ही मानते हैं। उनका वास्तविक नाम लक्ष्मण दास शर्मा था लेकिन बाद में वे नीम करौली बाबा के नाम से प्रसिद्ध हुए। उन्होंने 11 सितंबर, 1973 को वृंदावन में अपने शरीर का त्याग किया। 

बाबा नीम करौली नाम कैसे पड़ा? Neem Karoli Baba and Kainchi Dham

नीम करौली बाबा का असली नाम लक्ष्मण दास शर्मा था। वह एक गृहस्थ संत थे और बचपन से ही आध्यात्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। उनका जीवन चमत्कारों और दिव्यता से भरा हुआ था। उनके नाम बाबा नीम करौली से जुड़ी भी एक कहानी है।

रेलवे स्टेशन और "नीम करौली" नाम की कहानी  Neem Karoli Baba Ka Naam Kaise Padha

एक बार की बात है, लक्ष्मण दास (बाबा जी) उत्तर भारत की यात्रा पर निकले थे। वे एक ट्रेन में बिना टिकट सफर कर रहे थे। जब टिकट चेकर ने उन्हें देखा, तो उन्हें उत्तर प्रदेश के नीम करौली नामक गांव के पास ट्रेन से उतार दिया गया। बाबा ट्रेन से उतरकर पास के एक पेड़ के नीचे बैठ गए और ध्यान में लीन हो गए। तभी अचानक ट्रेन रुक गई और आगे नहीं बढ़ी, जबकि उसमें कोई तकनीकी खराबी नहीं थी। जब रेलवे अधिकारी और ड्राइवर परेशान हो गए तो किसी ने बताया कि जिस साधु को उतारा गया था, वह कोई महान आत्मा हैं। अधिकारियों ने बाबा से क्षमा मांगी और उन्हें फिर से ट्रेन में बैठाया। जैसे ही बाबा ट्रेन में चढ़े, वह ट्रेन फिर से चल पड़ी। तभी से उन्हें “नीम करौली बाबा” कहा जाने लगा। इस चमत्कार के बाद से लोग उन्हें उसी जगह के नाम से "नीम करौली बाबा" कहने लगे, जहां ये घटना घटी थी और यही नाम पूरे भारत और दुनिया भर में प्रसिद्ध हो गया। कुछ लोग उन्हें नीब करौरी महाराज के नाम से भी पुकारते हैं। 

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कैंची धाम: बाबा नीम करौली का चमत्कारी आश्रम और इससे जुड़ी खास बातें | Kainchi Dham Ashram 

उत्तराखंड की सुंदर वादियों में बसा है एक खास आध्यात्मिक स्थान — कैंची धाम, जो हल्द्वानी से भवाली और फिर अल्मोड़ा की ओर जाने वाले मार्ग पर पड़ता है। यह आश्रम बाबा नीम करौली महाराज का है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु अपनी श्रद्धा लेकर आते हैं। यह आश्रम सिर्फ भारत ही नहीं, दुनियाभर के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है।फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग और एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स जैसे दिग्गज भी इस आश्रम में आए और उन्होंने इसे अपने जीवन बदलने वाला अनुभव बताया। कहा जाता है कि नीम करौली बाबा पहली बार साल 1961 में कैंची धाम आए थे। उन्‍होंने मित्र पूर्णानंद की मदद से 15 जून 1964 को कैंची धाम की स्‍थापना की थी।

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कैंची धाम नाम क्यों पड़ा?

क्या आपने कभी सोचा है कि इस आश्रम का नाम ‘कैंची धाम’ ही क्यों पड़ा? असल में, आश्रम जिस जगह बना है, वहां की सड़क दो तीव्र मोड़ों (घुमावों) से होकर गुजरती है, जो कैंची (scissors) के आकार जैसे दिखते हैं। इसलिए इस स्थान को "कैंची" कहा जाने लगा और बाबा का आश्रम बना — कैंची धाम। यह आश्रम उतराखंड के नैनीताल में स्थित है। कहा जाता है कि कैंची धाम सिर्फ एक आश्रम नहीं, बल्कि एक विश्वस्तरीय आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र भी है, जहां बाबा नीम करौली की उपस्थिति आज भी महसूस की जा सकती है। यहां आकर श्रद्धालु मन की शांति, चमत्कारिक अनुभव और दिव्यता का अनुभव करते हैं।

कंबल क्यों चढ़ाते हैं बाबा को?

अगर आपने नीम करौली बाबा की तस्वीरें देखी हो तो आपने यह ज़रूर नोटिस किया होगा कि वे हमेशा एक कंबल ओढ़े रहते थे। इसी वजह से श्रद्धालु बाबा की याद में कंबल चढ़ाते हैं, यह उनकी भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक बन गया है।
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कैंची धाम में मालपुए का भोग क्यों लगता है?

हर साल 15 जून को कैंची धाम की स्थापना दिवस मनाई जाती है। बाबा नीम करौली ने 10 सितंबर 1973 को शरीर त्यागकर महासमाधि ले ली थी।  उनके अस्थिकलश को धाम में ही स्थापित किया गया था। इसके बाद साल 1974 से बड़े स्‍तर पर इस मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया गया। कहा जाता है कि महज 17 साल की उम्र में ही बाबा नीम करौली को ईश्‍वर के बारे में विशेष ज्ञान प्राप्त हो गया था।

इस दिन बाबा को मालपुए का भोग लगाया जाता है और यह भी खास बात है कि इसे तैयार करने के लिए हर साल मथुरा से कारीगर बुलाए जाते हैं। यही नहीं, बाबा के आश्रम में हनुमानजी और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी 15 जून के ही दिन वर्षों में अलग-अलग समय पर स्थापित की गईं।

हनुमानजी को अपना आराध्य मानते थे नीम करौली बाबा

नीम करौली बाबा एक ऐसे महान संत थे, जिनके जीवन से जुड़े चमत्कार और श्रद्धा आज भी करोड़ों लोगों की आस्था का आधार हैं। बाबा हमेशा हनुमान जी को अपना आराध्य मानते थे और उनके नाम का ही जाप करते थे।

बाबा नीम करौली हनुमान जी की उपासना में लीन रहते थे।
उन्होंने अपने जीवन में हनुमान जी के 108 मंदिरों का निर्माण कराया।
लोग आज भी उन्हें हनुमान जी का अवतार मानते हैं।
बाबा हमेशा सादगी में रहते थे और आडंबरों से दूर थे। वे किसी को अपने पैर छूने नहीं देते थे । उनका मानना था कि भगवान को पूजा जाए, इंसान को नहीं। वे हर किसी की मदद करते थे लेकिन कभी उसका प्रचार नहीं करते थे।

नीम करौली बाबा की सच्चाई क्या है?

बहुत से लोग ये भी जानना चाहते हैं कि बाबा नीम करौली जी की सच्चाई क्या है तो बता दें कि बाबा के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने हनुमानजी की उपासना करके कई सिद्धियां हासिल की थीं। वह आडंबरों से दूर रहते थे और किसी को भी अपने पैर नहीं छूने देते थे। आज भी लोग उन्हें भगवान हनुमान का अवतार मानते हैं। कहा जाता है कि नीम करौली बाबा चमत्कारिक सिद्धियों के जरिये लोगों की परेशानियों का निवारण करते थे। 

बाबा नीम करौली के प्रसिद्ध चमत्कार

पानी से बना घी – कैंची धाम का चमत्कार।

ऐसा भी कहा जाता है कि एक बार कैंची धाम में भंडारा चल रहा था और घी की कमी हो गई। बाबा ने भक्तों से कहा कि नदी से पानी भरकर लाओ। जब भक्तों ने पानी लाकर बड़े कनस्तरों में डाला तो वह घी में बदल गया। इस घटना ने भक्तों की आस्था को और गहरा कर दिया।

बुखार में तपते भक्त को बादलों से ढका आसमान

बाबा का एक भक्त गर्मी से बेहाल था, उसे तेज़ बुखार था। बाबा ने अपने चमत्कारी प्रभाव से आकाश में बादलों की छतरी बना दी। उस भक्त को धूप से राहत मिली और वह सही-सलामत अपनी मंज़िल तक पहुंच गया।

बाबा के चमत्कारों की गूंज विदेशों तक

बाबा की ख्याति इतनी फैल गई थी कि विदेशों से लोग उन्हें देखने आने लगे। स्टीव जॉब्स (Apple) और मार्क जुकरबर्ग (Facebook) जैसे लोग भी कैंची धाम आए और बाबा की ऊर्जा से प्रभावित हुए।


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Content Writer

Vandana

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