विनाश की शुरुआत! क्या सच होंगी बाबा वेंगा की डरावनी भविष्यवाणियां
punjabkesari.in Thursday, Jul 03, 2025 - 04:52 PM (IST)

नारी डेस्क: बाबा वेंगा (असल नाम: वेंगेलिया पांडेवा गुश्तेरोवा) एक नेत्रहीन भविष्यवक्ता थीं, जिन्हें अद्भुत अनुमान लगाने की शक्ति माना जाता है। चमत्कारी तौर पर वे दुनिया में होने वाली तमाम घटनाओं की पहले से भविष्यवाणी करने में सक्षम थीं। उन्होंने सोवियत संघ के विघटन, स्टालिन की मौत और 9/11 के हमले पहले ही देख लिए थे। इसके अलावा उन्होंने चेर्नोबिल ब्लास्ट, कोविड महामारी और राजकुमारी डायना की दुखद मृत्यु जैसी घटनाओं का अनुमान लगाया था। ये सभी सफल भविष्यवाणियों ने उन्हें एक मूल्यवान रहस्यवादी बना दिया।
सन 2025 — विकट भविष्यवाणियों का दौर
बाबा वेंगा की कुछ भविष्यवाणियां खासकर 2025 और उसके बाद के वर्ष के लिए भयावह मानी जाती हैं:
मानवता की विनाश की शुरुआत: 2025 से ऐसे घटनाओं का सिलसिला शुरू होगा जो वैश्विक विनाश का कारण बन सकते हैं।
यूरोप में विशाल संघर्ष: बाबा वेंगा ने भविष्यवाणी की कि 2025 में यूरोप महाद्वीप में युद्ध या संघर्ष छिड़ जाएगा, जो लाखों लोगों की जान ले सकता है।
प्राकृतिक संसाधनों का दोहन: आने वाले 4 वर्षों में ऊर्जा की मांग इतनी बढ़ेगी कि प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक उपयोग से समस्याएं उत्पन्न होंगी।
ग्लेशियर का पिघलना: 2033 तक ध्रुवीय बर्फ के ग्लेशियर पिघलने की बात कही गई है। इससे समुद्र का जलस्तर बढ़ेगा और कई द्वीप जलमग्न हो सकते हैं।
एलियंस से संपर्क: 22वीं सदी में मानवता का एलियंस (ब्रह्मांडीय जीवों) से संपर्क होने की भविष्यवाणी की गई।
सूखा और आर्थिक मंदी: आने वाली पीढ़ियाँ सूखे, आर्थिक मंदी और जैविक हमलों जैसी संकटपूर्ण स्थितियों का सामना करेंगी।
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भविष्य की भयावह कल्पना, मगर क्या सच होगी?
बाबा वेंगा की ये भविष्यवाणियां सुनने में डरावनी लगती हैं। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि उनकी सभी भविष्यवाणियां सही साबित नहीं हुई हैं। उदाहरण के तौर पर, उन्होंने अपनी मृत्यु की सही भविष्यवाणी की थी उनका निधन 11 अगस्त 1996 को हुआ, जो उनकी अनुमानित मृत्यु तिथि के रूप में याद की जाती है।
बाबा वेंगा के ये भविष्यवाणी विभिन्न आयामों में भविष्य को डरावना बता सकती हैं लेकिन ये सब अभी संभावनाएं हैं, निश्चितताएं नहीं। बावजूद इसके हमें सावधान और जागृत रहना चाहिए, चाहे वह प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण हो, जलवायु परिवर्तन हो या वैश्विक स्तर की चुनौतियां हों।