देवशयनी एकादशी 2025: क्यों जलाया जाता है चौमुखी दीपक और क्या हैं इसके शुभ फल?

punjabkesari.in Sunday, Jul 06, 2025 - 12:26 PM (IST)

 नारी डेस्क: आज है देवशयनी एकादशी, जो भगवान विष्णु को समर्पित एक बहुत ही खास और पावन तिथि मानी जाती है। इस दिन से चातुर्मास (चार महीनों तक चलने वाला एक धार्मिक काल) की शुरुआत हो जाती है, जो देवउठनी एकादशी (1 नवंबर 2025) तक चलता है। इस अवधि में भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं, यानी उनका "शयन काल" शुरू हो जाता है।

 देवशयनी एकादशी का महत्व

यह दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का बेहद शुभ अवसर माना जाता है। इस दिन श्रद्धालु व्रत रखते हैं, भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और धर्म-कर्म में लगे रहते हैं। मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से संपत्ति, सुख-शांति और पापों से मुक्ति मिलती है।

 क्यों जलाया जाता है चौमुखी दीपक?

देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा में घी का चौमुखी दीपक जलाने की परंपरा है। इस दीपक की चार बातियां होती हैं, जो चारों दिशाओं (पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण) में रोशनी फैलाती हैं। मान्यता है कि यह दीपक जलाने से चारों दिशाओं से सकारात्मक ऊर्जा, सुख, समृद्धि और लक्ष्मी का वास होता है।

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आर्थिक लाभ और उपाय

यदि कोई व्यक्ति आर्थिक तंगी या पैसों की परेशानी से जूझ रहा हो, तो वह इस दिन शाम को नीचे दिया गया उपाय कर सकता है। तुलसी के पास घी का दीपक जलाएं। दीपक जलाते हुए तुलसी की 11 बार परिक्रमा करें। हर परिक्रमा के साथ "ॐ नमो नारायणाय नमः" मंत्र का जाप करें। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार, इस उपाय से धन संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है और दरिद्रता दूर होती है।

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पूजन विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें। घर के पूजा स्थान में भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं। इसके बाद विष्णु सहस्रनाम (भगवान विष्णु के 1000 नाम) का पाठ करें। मान्यता है कि इस पाठ से पाप नष्ट होते हैं और लक्ष्मी का स्थायी वास होता है।

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चातुर्मास 2025 का समय

शुरुआत: 6 जुलाई 2025 (देवशयनी एकादशी)

समापन: 1 नवंबर 2025 (देवउठनी एकादशी)

इन चार महीनों में धार्मिक गतिविधियां, पूजा-पाठ, व्रत-उपवास, और संयम से जीवन जीने की परंपरा निभाई जाती है।  


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Content Editor

Priya Yadav

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