मोक्ष की तलाश में काशी पहुंची मुस्लिम महिला.. 27 साल पहले किया ऐसा पाप जो बना धर्म परिवर्तन की वजह
punjabkesari.in Tuesday, May 13, 2025 - 11:37 AM (IST)

नारी डेस्क: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित गंगा नदी के प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर एक अनोखी और भावुक करने वाली घटना देखने को मिली। यहां बांग्लादेश मूल की एक मुस्लिम महिला ने सनातन धर्म को अपनाया। यह महिला अब लंदन में रहती हैं और उन्होंने वैदिक रीति-रिवाजों के साथ हिंदू धर्म में प्रवेश किया।
कौन हैं अंबिया बानो?
इस महिला का नाम है अंबिया बानो, जो मूल रूप से बांग्लादेश की रहने वाली हैं। उन्होंने बताया कि उनकी परवरिश लंदन में हुई और वहीं उनकी शादी भी हुई। उन्होंने एक ईसाई युवक नेविल बॉर्न जूनियर से निकाह किया था। इस युवक ने शादी के लिए इस्लाम धर्म कबूल कर लिया था। शादी के बाद दोनों करीब 10 साल तक साथ रहे लेकिन फिर उनका तलाक हो गया।
27 साल पुराना एक 'कांड' और उसका दर्द
करीब 27 साल पहले, अंबिया ने पश्चिमी सोच और जीवनशैली के प्रभाव में आकर गर्भपात करवा दिया था। उस समय उन्होंने यह निर्णय सहज रूप से लिया, लेकिन आज वह उस निर्णय को पाप मानती हैं। वह बताती हैं कि उस अजन्मी बेटी की आत्मा आज भी उन्हें सपनों में आकर मुक्ति की गुहार लगाती है। यही कारण है कि उन्हें अंदर से गहरी आत्मग्लानि होने लगी थी और वो चैन से जी नहीं पा रही थीं।
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आत्मिक शांति की खोज उन्हें ले आई वाराणसी
इस मानसिक पीड़ा और पश्चाताप से मुक्ति पाने के लिए अंबिया ने भारत आने का फैसला किया। उन्होंने बताया कि उन्होंने कई सालों तक धर्म, पाप, आत्मा और मुक्ति के विषय में गहन अध्ययन और रिसर्च किया। इसके बाद उन्हें एहसास हुआ कि गर्भ में पल रहा बच्चा भी एक जीव होता है, और उसकी हत्या करना घोर पाप है। यह बोध उन्हें सनातन धर्म की ओर आकर्षित करने लगा। उन्होंने महसूस किया कि सिर्फ इसी धर्म में कर्मों का प्रायश्चित और आत्मिक शांति का मार्ग सही रूप में दिखता है।
सनातन धर्म अपनाने की प्रक्रिया
वाराणसी पहुंचकर, अंबिया ने पुरोहित पंडित रामकिशन पांडेय के सान्निध्य में पंचगव्य से शुद्धिकरण कराया। इसके बाद उन्होंने पांच वैदिक ब्राह्मणों की सहायता से पिंडदान की पूरी वैदिक प्रक्रिया पूरी की। पिंडदान विशेष रूप से उनकी अजन्मी बेटी की आत्मा की मुक्ति के लिए किया गया। इस अनुष्ठान के साथ ही उन्होंने अपना नया जीवन शुरू किया और अपना नाम भी बदलकर "अंबिया माला" रख लिया।
अंबिया का भावुक बयान
अंबिया माला ने कहा,“हर धर्म की जड़ें कहीं न कहीं सनातन धर्म में ही हैं। मैंने बहुत कुछ खोया है, लेकिन अब मुझे अपने कर्मों के लिए आत्मिक शांति मिल रही है। मैंने जो पाप किया, अब उसके लिए प्रायश्चित कर रही हूँ। मुझे लगता है कि अब मेरी बेटी की आत्मा भी मुक्ति पा सकेगी।”
इस पूरी घटना से यह स्पष्ट होता है कि अंबिया का धर्म परिवर्तन किसी राजनीतिक एजेंडे या सामाजिक दबाव का हिस्सा नहीं है। यह कदम उन्होंने अपनी अंतरात्मा की पुकार, पश्चाताप, और प्रायश्चित की भावना से उठाया है।