ध्यान रखें! इन 5 दिनों में तुलसी का पत्ता तोड़ना बना सकता है आपको पाप का भागीदार
punjabkesari.in Monday, Jun 30, 2025 - 12:08 PM (IST)

नारी डेस्क: तुलसी को हिन्दू धर्म में अत्यंत पूजनीय माना गया है। यह न केवल एक पवित्र पौधा है बल्कि इसे देवी लक्ष्मी का रूप और भगवान विष्णु की प्रिय भी कहा गया है। तुलसी हर धार्मिक कार्य में अनिवार्य मानी जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि तुलसी भी एक चेतन शक्ति हैं और कुछ विशेष तिथियों पर इनके पत्ते को छूना या तोड़ना धार्मिक दृष्टि से वर्जित और दोष देने वाला होता है? विष्णु पुराण और अन्य शास्त्रों में स्पष्ट बताया गया है कि किन 5 दिनों में तुलसी का पत्ता नहीं तोड़ना चाहिए। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कौन-से दिन तुलसी पत्ता तोड़ना वर्जित है? भूल से पत्ता तोड़ने पर क्या करें? तुलसी का पत्ता कैसे तोड़ना चाहिए? पूजा में तुलसी का उपयोग करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
रविवार को न तोड़ें तुलसी का पत्ता
रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित होता है। वहीं तुलसी देवी का स्वभाव शीतल और चंद्रमा की तरह शांत बताया गया है। सूर्य की उष्णता और तुलसी की शीतलता एक-दूसरे के विपरीत मानी जाती हैं। शास्त्रों के अनुसार रविवार को तुलसी विश्राम करती हैं। इस दिन पत्ता तोड़ना तुलसी के तेज का अपमान माना जाता है।
क्या हो सकता है नुकसान: इससे घर में सूर्य दोष, नेत्र या हृदय रोग, अहंकार की वृद्धि और धन हानि की आशंका बढ़ जाती है।
एकादशी को न तोड़ें तुलसी का पत्ता
एकादशी, हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की 11वीं तिथि को आती है। यह दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा के लिए जाना जाता है। तुलसी देवी को भगवान विष्णु की पत्नी माना गया है। इस दिन तुलसी ध्यान और व्रत की अवस्था में होती हैं। तुलसी को स्पर्श करना या पत्ता तोड़ना वर्जित है।
शास्त्र प्रमाण: "एकादश्यां तुलसी पत्रं न ग्राह्यम्" अर्थात एकादशी पर तुलसी पत्र नहीं लेना चाहिए।
क्या हो सकता है नुकसान: एकादशी व्रत का पुण्य घट जाता है और पूजा में दोष उत्पन्न हो सकता है।
द्वादशी को न तोड़ें तुलसी का पत्ता
द्वादशी, एकादशी के अगले दिन आती है। इस दिन व्रती भगवान विष्णु को भोग लगाते हैं। तुलसी देवी एकादशी व्रत के बाद विश्राम में होती हैं। नई ऊर्जा प्राप्त करती हैं, इसलिए उन्हें छूना अनुचित होता है।
क्या करें: इस दिन आप पहले से तोड़े हुए तुलसी के पत्ते उपयोग कर सकते हैं या फिर तुलसी के नीचे गिरे हुए स्वच्छ और साबुत पत्तों को धोकर प्रयोग करें।
ये भी पढ़े: जगन्नाथ रथ यात्रा में मिले प्रसाद का क्या करें? जानिए जरूरी बातें
अमावस्या को न तोड़ें तुलसी का पत्ता
अमावस्या का दिन पितरों को समर्पित होता है और इस दिन तामसिक प्रवृत्तियाँ प्रबल होती हैं। तुलसी देवी सात्त्विक ऊर्जा की प्रतीक हैं। इस दिन उनका स्पर्श भी वर्जित माना जाता है।
क्या हो सकता है नुकसान: पितृ दोष, राहु-केतु दोष, मानसिक तनाव और पुण्य की हानि हो सकती है। कुछ ग्रंथों में इसे पाप भी कहा गया है।
संध्या काल (शाम) में न तोड़ें तुलसी का पत्ता
तुलसी की पूजा आमतौर पर सूर्योदय से दोपहर तक की जाती है। संध्या के समय तुलसी विश्राम में मानी जाती हैं। इस समय पत्ता तोड़ना तुलसी की आत्मा को कष्ट देने जैसा होता है।
क्या हो सकता है नुकसान: घर में नकारात्मकता, रोग, और कलह की संभावनाएं बढ़ सकती हैं। सूर्यास्त के बाद तुलसी को न छुएं।
तुलसी का पत्ता कैसे और कब तोड़ना चाहिए?
तुलसी का पत्ता तोड़ते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना बहुत आवश्यक है हमेशा दाहिने हाथ से तोड़ें। नाखून का प्रयोग न करें। स्नान करके, स्वच्छ शरीर और मन से पत्ता तोड़ें। ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) या सूर्योदय के समय तुलसी पत्र तोड़ना श्रेष्ठ माना गया है।
पत्ता तोड़ते समय मंत्र बोले: "ॐ तुलस्यै नमः"या "श्री तुलस्यै पत्रं समर्पयामि"
ध्यान रखें: सूखे हुए पत्ते पूजा में न चढ़ाएं। एकादशी और द्वादशी के लिए तुलसी पत्र पहले से तोड़कर सुरक्षित रखें।
अगर भूल से गलत दिन तुलसी का पत्ता तोड़ लिया हो तो क्या करें?
अगर आपसे भूलवश वर्जित दिन में तुलसी पत्र तोड़ लिया गया हो, तो तुरंत क्षमा याचना करें। तुलसी के पास दीपक जलाएं। हाथ जोड़कर प्रार्थना करें। ये क्षमा मंत्र पढ़ें "क्षमस्व तुलसि देवि! अपराधं मे क्षम्यताम्।" 11 बार तुलसी मंत्र का जाप करें:"ॐ श्रीं तुलस्यै नमः"
वास्तु टिप: अगर घर का दरवाजा दक्षिण दिशा में हो...
अगर आपके घर का मुख्य द्वार दक्षिण दिशा में है तो तुलसी के पौधे और विशेष उपायों से आप वास्तुदोष को कम कर सकते हैं। तुलसी का पौधा घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाता है और रोग-व्याधि को दूर करता है।
तुलसी देवी केवल एक पौधा नहीं, बल्कि एक दिव्य शक्ति हैं। उनका आदर, सेवा और सही विधि से उपयोग ही हमें पुण्य, स्वास्थ्य, और धन-शांति प्रदान करता है। इसलिए तुलसी को सिर्फ पूजें नहीं, समझें और सम्मान दें।