27 जून से शुरू हो रही है भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा, जानें रथ खींचने से जुड़े नियम और मान्यताएं
punjabkesari.in Sunday, Jun 22, 2025 - 11:58 AM (IST)

नारी डेस्क: हर साल उड़ीसा के पुरी में भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलराम जी और सुभद्रा माता अपने-अपने रथों पर सवार होकर नगर भ्रमण करते हैं। इस बार यह पवित्र रथ यात्रा 27 जून 2025 से शुरू होकर 5 जुलाई 2025 को समाप्त होगी। देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु इस ऐतिहासिक और धार्मिक यात्रा में भाग लेने पुरी पहुंचते हैं। मान्यता है कि जो भी भक्त भगवान जगन्नाथ का रथ खींचता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही वजह है कि यह यात्रा भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है।
भगवान जगन्नाथ का रथ खींचने का क्या है नियम?
सभी भक्तों को समान अवसर: भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने के लिए कोई जाति, धर्म, प्रांत या देश का बंधन नहीं होता। कोई भी व्यक्ति, चाहे वह भारत का हो या विदेश का, इस रथ को खींच सकता है। भगवान के दरबार में सभी भक्त समान माने जाते हैं। इसलिए यह रथ यात्रा एकता और भक्ति का प्रतीक मानी जाती है।
रथ खींचने से मिलती है मुक्ति: ऐसी मान्यता है कि रथ खींचने वाला व्यक्ति जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है। यह एक ऐसा आध्यात्मिक अनुभव होता है, जिसे श्रद्धालु जीवनभर याद रखते हैं।
किन्तु सीमित दूरी तक ही खींचने की अनुमति: भक्तों की भारी संख्या को देखते हुए हर व्यक्ति को केवल कुछ कदम तक ही रथ खींचने की अनुमति मिलती है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस पुण्य कार्य में शामिल हो सकें।
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रथ कैसे होते हैं? जानिए तीनों रथों के नाम और विशेषताएं
इस रथ यात्रा में तीन रथ होते हैं, जिनमें भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलराम जी और बहन सुभद्रा जी विराजमान होते हैं।
भगवान जगन्नाथ का रथ – ‘नंदीघोष’
रथ की ऊंचाई: लगभग 45 फीट, पहियों की संख्या: 16 पहिए, रंग: लाल और पीला रथ के आगे गरुड़ ध्वज और श्री हनुमान की आकृति होती है।
बलराम जी का रथ – ‘तालध्वज’
रथ की ऊंचाई: लगभग 43 फीट, पहियों की संख्या: 14 पहिए, रंग: हरा और लाल। रथ पर हनुमान जी की झलक मिलती है।
देवी सुभद्रा का रथ – ‘दर्पदलन’
रथ की ऊंचाई: लगभग 42 फीट, पहियों की संख्या: 12 पहिए, रंग: काला और लाल। इस रथ पर पद्म (कमल) की आकृति बनी होती है।
रथ यात्रा का मार्ग: जगन्नाथ मंदिर से गुंडीचा मंदिर तक
यह पवित्र यात्रा पुरी के मुख्य जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर गुंडीचा मंदिर तक जाती है, जो लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गुंडीचा मंदिर को भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है। भक्तगण पूरे भक्ति भाव से नारे लगाते हुए, ढोल-नगाड़ों के साथ प्रभु के रथ को रस्सियों से खींचते हैं। रथ यात्रा के दौरान पुरी नगरी भक्ति, श्रद्धा और उत्साह से गूंज उठती है।
रथ यात्रा में शामिल होने वाले भक्तों के लिए सुझाव
अगर आप भी इस साल रथ यात्रा में शामिल होने जा रहे हैं, तो अपने साथ पानी, टोपी और हल्के कपड़े रखें क्योंकि जून-जुलाई में गर्मी अधिक होती है। भीड़ में संभलकर चलें और रथ खींचते समय सुरक्षा निर्देशों का पालन करें। रथ यात्रा के दौरान जगह-जगह स्वयंसेवक और पुलिस बल तैनात रहते हैं, जो आपकी सहायता करेंगे।
पुरी की रथ यात्रा केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव है, जो भक्तों को प्रभु के करीब लाता है। भगवान जगन्नाथ का रथ खींचना जीवन का एक विशेष पुण्य अवसर माना जाता है, जो आत्मा को शांति और मुक्ति की ओर ले जाता है।