गड्ढे ने छीना रक्षाबंधन का रिश्ता: सड़क हादसे में भाई की मौत, बहन बोली – अब किसे बांधूं राखी?
punjabkesari.in Thursday, Jul 31, 2025 - 03:59 PM (IST)

नारी डेस्क: रक्षाबंधन से ठीक पहले एक दर्दनाक हादसे ने एक बहन की जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी। महाराष्ट्र के ठाणे जिले में सड़क पर बने एक गड्ढे ने 18 साल के युवक की जान ले ली, जिससे उसका परिवार और पूरा गांव शोक में डूब गया। ठाणे जिले के भिवंडी-वाडा रोड पर मडक्याचा पाडा इलाके में रहने वाला 18 वर्षीय यश राजेश मोरे रोज की तरह 20 जुलाई की सुबह जिम जाने के लिए निकला था। कवाड नाका के पास सड़क पर गहरे गड्ढे में बाइक फिसल गई, जिससे यश बुरी तरह घायल हो गया। उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन 24 जुलाई को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
बहन का सवाल सुन सबकी आंखें नम
रक्षाबंधन से महज कुछ दिन पहले भाई की इस दर्दनाक मौत से उसकी बहन सदमे में है। मीडिया से बात करते हुए वह रोते-रोते बस यही पूछती रही – “अब किसे बांधूं राखी? सरकार जवाब दे!” उसकी यह चीख और सवाल वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम कर गईं। यह सिर्फ एक परिवार का दुख नहीं, बल्कि उन सभी लोगों की आवाज है जो खस्ताहाल सड़कों से रोज जूझते हैं।
स्थानीय लोगों का आक्रोश, रास्ता रोको आंदोलन
यश की मौत की खबर फैलते ही इलाके में गुस्सा भड़क गया। स्थानीय लोग और परिजन यश का शव लेकर भिवंडी-वाडा रोड पर पहुंच गए और रास्ता रोको आंदोलन शुरू कर दिया। करीब आधे घंटे तक सड़क बंद रही, जिससे पूरे इलाके में यातायात बाधित हो गया। लोगों ने कहा कि हर साल सड़क पर गड्ढे बनते हैं, बारिश के बाद लीपापोती होती है, लेकिन कुछ ही दिनों में हालात पहले जैसे हो जाते हैं। कोई भी स्थायी समाधान नहीं किया जाता।
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इंजीनियर्स और ठेकेदार के खिलाफ मामला दर्ज
प्रदर्शन कर रहे लोगों ने प्रशासन से मांग की कि जब तक इस हादसे के लिए जिम्मेदार इंजीनियरों और ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती, तब तक शव का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा। दबाव बढ़ता देख पुलिस ने लोक निर्माण विभाग (PWD) के इंजीनियरों और ठेकेदार पर मामला दर्ज कर लिया है।
इससे पहले भी गड्ढों ने ली थी जान
इस घटना से पहले 26 जुलाई को मुंबई के पवई इलाके में जोगेश्वरी-विक्रोली लिंक रोड पर एक और युवक लालू कांबले की मौत हो गई थी। स्कूटी गड्ढे में फिसलने के बाद उन्हें पीछे से आ रहे डंपर ने कुचल दिया था।
सरकार कब जागेगी?
यह सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि एक सवाल है जो पूरे सिस्टम पर खड़ा होता है – “आखिर कब सुधरेंगी हमारी सड़कों की हालत?” कितनी और जानें जाएंगी, तब जाकर सरकार और प्रशासन चेतेंगे?
(नोट: यह लेख एक वास्तविक घटना पर आधारित है और इसमें दी गई जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स से ली गई है।)