बचपन ही नहीं जिंदगी भी छीन रहा बाल विवाह, हर रोज मरती है 60 से ज्यादा बच्चियां
punjabkesari.in Tuesday, Oct 12, 2021 - 11:47 AM (IST)
बाल विवाह को लेकर एक बेहद ही डरावनी रिपोर्ट सामने आई है। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर जारी एक नए विश्लेषण में दावा किया गया है कि बाल विवाह से दुनियाभर में हर दिन 60 से अधिक लड़कियों और दक्षिण एशिया में एक दिन में छह लड़कियों की मौत होती है। इतना ही नहीं गर्भधारण और बच्चे को जन्म देने की वजह से हर साल तकरीबन 22,000 लड़कियों की मौत हो रही है।
- दक्षिण एशिया: हर साल 2,000 मौतें
- पूर्वी एशिया : हर साल 650 मौतें
- अमेरिका तथा कैरेबियाई देश: हर साल 560 मौतें
गर्भावस्था के कारण 22,000 लड़कियों की मौत
‘सेव द चिल्ड्रन’ की रिपोर्ट में कहा गया कि हर साल अनुमानित रूप से गर्भावस्था के कारण 22,000 लड़कियों की मौत हो रही है और बाल विवाह से बच्चों का जन्म हो रहा है। बाल विवाह से हर दिन 60 से अधिक लड़कियों की मौत होती है और दक्षिण एशिया में हर दिन छह लड़कियों की मौत होती है। हालांकि, पश्चिम और मध्य एशिया में दुनिया में बाल विवाह की सबसे अधिक दर है और दुनियाभर में बाल विवाह से होने वाली मौतों में से करीब आधी (9,600) या हर दिन 26 मौत होती हैं।
25 वर्षों में रोके गए आठ करोड़ बाल विवाह
रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले 25 वर्षों में दुनियाभर में करीब आठ करोड़ बाल विवाहों को रोका गया लेकिन कोविड-19 महामारी से पहले ही इसमें प्रगति रुक गयी और महामारी से असमानताएं और ज्यादा गहरी हुई है जिससे बाल विवाह बढ़ते हैं। स्कूलों के बंद होने, स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव बढ़ने तथा और परिवारों के गरीबी की ओर बढ़ने के कारण महिलाओं और लड़कियों पर लॉकडाउन के दौरान हिंसा का खतरा बढ़ा। 2030 तक एक करोड़ और बालिकाओं की शादी होने की आशंका है यानी कि और लड़कियों की मौत होने का खतरा है।
कम उम्र बच्चे को जन्म सबसे ज्यादा खतरनाक
‘सेव द चिल्ड्रन इंटरनेशनल’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी इंगर एशिंग ने कहा कि बाल विवाह लड़कियों के खिलाफ यौन और लैंगिक हिंसा का सबसे खराब और जानलेवा रूप है। हर साल लाखों लड़कियों को ऐसे पुरुषों से शादी करने के लिए मजबूर किया जाता है जो उनसे उम्र में कहीं अधिक बड़े होते हैं जिससे उनके सीखने, बचपन जीने और कई मामलों में जीवित रहने का अवसर छिन जाता है।’’बच्चे को जन्म देना किशोरियों के लिए पहले नंबर का हत्यारा है क्योंकि उनकी कम उम्र बच्चे को जन्म देने के लिए तैयार नहीं होती।
बचपन का आनंद लेने से वंचित रह जाती है बच्चियां
बच्चियों के बच्चे पैदा करने के स्वास्थ्य खतरों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सरकार को बालिकाओं को प्राथमिकता देनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे बाल विवाह और समय से पूर्व बच्चे को जन्म देने से होने वाली मौतों से बची रहें। यह तभी हो सकता है जब लड़कियों को प्रभावित करने वाले फैसलों में उनकी भूमिका हो। सेव द चिल्ड्रन, इंडिया के सीईओ सुदर्शन ने कहा कि बच्चों, और विशेष रूप से बालिकाओं को उनके सीखने के मूल अधिकार और एक खुशहाल और बेफिक्र बचपन का आनंद लेने से वंचित करना मानवाधिकारों का उल्लंघन है और इसकी निंदा करने की आवश्यकता है।