बच्चों को अपनों से दूर कर रहा मोबाइल, स्क्रीन एडिक्शन से आ सकतीं हैं ये दिक्कतें भी

punjabkesari.in Friday, May 16, 2025 - 03:24 PM (IST)

नारी डेस्क: बच्चों को दूध पिलाते समय या उन्हें चुप कराने के लिए मोबाइल थमा देना एक आम बात बन गई है लेकिन यह आदत बच्चों के लिए बहुत हानिकारक साबित हो रही है। बच्चों में स्क्रीन एडिक्शन बढ़ रहा है जिसके कारण उनके मानसिक और शारीरिक विकास में कई समस्याएं आ रही हैं। इस मुद्दे को लेकर भारतीय बालरोग अकादमी ने जागरूकता अभियान शुरू किया है ताकि माता-पिता इस खतरनाक आदत से बचें और बच्चों के विकास को सही दिशा में बढ़ने का मौका मिले।

बच्चों में स्क्रीन एडिक्शन के बढ़ते मामले

आजकल देखा जा रहा है कि बच्चे मोबाइल स्क्रीन के सामने अधिक समय बिताने लगे हैं। इसका परिणाम यह हो रहा है कि बच्चों का भाषा विकास, खाने की आदतें और शारीरिक विकास प्रभावित हो रहे हैं। बच्चों की भावनात्मक स्थिति भी कमजोर हो रही है और वे माता-पिता से ज्यादा मोबाइल की भाषा को समझने लगे हैं। कुछ मामलों में तो बच्चे वर्चुअल ऑटिज्म का शिकार हो रहे हैं जहां वे असली दुनिया से कम जुड़ते हैं और केवल स्क्रीन पर ही ध्यान देते हैं।

अपनो से दूर कर रहा स्क्रीन एडिक्शन

बच्चे अपने परिवारों और दोस्तों से दूर हो रहे हैं। यह अध्ययन 2018 से 2024 के बीच जर्मनी में ‘लाइफ चाइल्ड स्टडी’ योजना के तहत किया गया, जिसमें दुनियाभर के बच्चों को शामिल किया गया। इसमें कहा गया है कि मोबाइल स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने से उनमें हताशा, गुस्सा, अवसाद और चिंता की स्थिति देखी गई। अध्ययन के अनुसार, स्मार्टफोन के अधिक उपयोग से बच्चों के जीवन में न केवल शारीरिक समस्याएं बढ़ रही हैं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य में भी गिरावट आई है। खासकर लड़कियों में यह समस्या अधिक गंभीर रूप से सामने आ रही है।

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बच्चों में वर्चुअल ऑटिज्म का बढ़ता खतरा

वर्चुअल ऑटिज्म एक ऐसी स्थिति है जहां बच्चा अपने आसपास की दुनिया से कटा हुआ महसूस करता है और केवल मोबाइल या टीवी की स्क्रीन से जुड़ा रहता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण तब मिलता है जब बच्चा घर के किसी व्यक्ति द्वारा बुलाए जाने पर जवाब नहीं देता लेकिन स्क्रीन पर दिखाए गए डायलॉग के अंदाज में बात करने पर तुरंत प्रतिक्रिया देता है। यह स्थिति बच्चों के मानसिक और सामाजिक विकास के लिए हानिकारक साबित हो सकती है।

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स्क्रीन एडिक्शन से बच्चों पर होने वाले दुष्प्रभाव

भाषा विकास में रुकावट: स्क्रीन पर समय बिताने से बच्चों की भाषा का विकास सही तरीके से नहीं होता है।

खाने की आदतें प्रभावित: स्क्रीन देखते हुए खाने से बच्चे खाना ठीक से नहीं खाते, जिससे उनका वजन बढ़ सकता है और वे मोटापे का शिकार हो सकते हैं।

मानसिक सहन क्षमता का कम होना: बच्चों में मानसिक सहनशीलता कम हो जाती है, क्योंकि वे अपनी समस्या का समाधान स्क्रीन से ही ढूंढने की कोशिश करते हैं।

नेत्र रोग: लगातार स्क्रीन देखने से बच्चों की आंखों की रोशनी पर बुरा असर पड़ सकता है। इससे उनकी आंखों की सेहत खराब हो सकती है।

भावनात्मक जुड़ाव में कमी: मोबाइल और स्क्रीन पर अधिक समय बिताने से बच्चों का भावनात्मक जुड़ाव घर वालों से कम हो सकता है।

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क्या कहती है भारतीय बाल रोग अकादमी?

भारतीय बाल रोग अकादमी ने इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाने के लिए कई कार्यक्रमों की शुरुआत की है। इसके अंतर्गत बताया गया है कि बच्चों को दो साल तक मोबाइल और टीवी स्क्रीन से पूरी तरह दूर रखना चाहिए। इसके अलावा, बच्चों के माता-पिता को भी इस आदत से बचने की सलाह दी जाती है। अकादमी का कहना है कि दो साल की उम्र तक बच्चों को मोबाइल नहीं दिखाना चाहिए, क्योंकि यह उनके मानसिक और शारीरिक विकास में रुकावट डालता है।

माता-पिता की भूमिका

आजकल के समय में माता-पिता खुद भी मोबाइल और स्क्रीन के लत में डूबे होते हैं जिससे बच्चों की समस्या और बढ़ जाती है। जब माता-पिता बच्चों को मोबाइल देते हैं तो बच्चों के सामने एक गलत उदाहरण पेश होता है। यदि माता-पिता खुद स्क्रीन से दूर रहते हैं तो बच्चे भी स्क्रीन एडिक्शन से बच सकते हैं।

कई शोधों में बताया गया कि बच्चों में मोबाइल का अधिक इस्तेमाल उनकी खाने की आदतों और आत्म-नियमन क्षमता को प्रभावित करता है। इसके अलावा, स्क्रीन का ज्यादा उपयोग बच्चों के आंखों और दिमाग पर भी दुष्प्रभाव डालता है। उन्होंने यह भी कहा कि माता-पिता को बच्चों को यह समझाने की कोशिश करनी चाहिए कि स्क्रीन से ज्यादा महत्वपूर्ण उनके आसपास के लोग और असल दुनिया हैं।

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बच्चों के लिए बचाव के उपाय

दो साल तक मोबाइल से दूर रखें: बच्चों को दो साल तक मोबाइल, टीवी और अन्य स्क्रीन से दूर रखें।

टीवी स्क्रीन का सीमित समय: दो साल के बाद, बच्चों को केवल एक घंटे तक ही टीवी स्क्रीन देखने दें।

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मां का दूध पिलाने का तरीका: जब बच्चा मां का दूध पी रहा हो, तो उसे मोबाइल से नहीं घेरें। मां को बच्चे से बात करनी चाहिए और उसे प्रेम से आशीर्वाद देना चाहिए।

बच्चों को मोबाइल देकर चुप न कराएं: जब बच्चा रोने लगे, तो उसे मोबाइल थमाने के बजाय उसकी समस्या समझने की कोशिश करें।

खाने के समय स्क्रीन से दूर रहें: बच्चों को खाना खिलाते वक्त खुद भी स्क्रीन पर ध्यान न दें, ताकि बच्चे का ध्यान सही तरह से खाने पर रहे।

बच्चों के लिए स्क्रीन एडिक्शन एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। इसके दुष्प्रभाव से बच्चों के विकास में रुकावट आ रही है। इस स्थिति से बचने के लिए हमें बच्चों को स्क्रीन से दूर रखकर उनके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहिए। माता-पिता की भूमिका भी इस मामले में महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनका उदाहरण ही बच्चों के लिए सही आदर्श बनता है।


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Content Editor

PRARTHNA SHARMA

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