मम्मी की बात हुई सच, मोबाइल फोन है सारी परेशानियों की जड़, दिमाग पर डाल रहा बुरा असर

punjabkesari.in Thursday, Dec 26, 2024 - 04:38 PM (IST)

नारी डेस्क: आज के समय में मोबाइल फोन हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। चाहे खाना ऑर्डर करना हो, मूवी देखनी हो, या ऑफिस का काम हो, हर चीज के लिए मोबाइल का सहारा लिया जाता है। लेकिन क्या आपने सोचा है कि यही मोबाइल हमारी सेहत पर कितना बुरा असर डाल रहा है? बचपन में मम्मी अक्सर मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल पर डांटती थीं, और अब उनकी बात सही साबित हो रही है। हेल्थ एक्सपर्ट्स और वैज्ञानिक भी मानते हैं कि मोबाइल फोन का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल हमारे दिमाग और हेल्थ के लिए नुकसानदायक है।

मोबाइल फोन का दिमाग और सेहत पर असर

स्लीप साइकिल खराब करना

आजकल लोग रात में सोने से पहले काफी समय तक अपने मोबाइल पर स्क्रॉल करते रहते हैं। यह आदत हमारी स्लीप साइकिल यानी नींद के चक्र को गड़बड़ कर देती है। जब हम सोने से पहले मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं, तो इसकी वजह से हमारी नींद की गुणवत्ता प्रभावित होती है। इसका मुख्य कारण यह है कि मोबाइल स्क्रीन पर आने वाली नीली रोशनी हमारे दिमाग को सक्रिय कर देती है, जिससे हम रात में आसानी से सो नहीं पाते। इससे रात में अच्छी नींद मिलना मुश्किल हो जाता है, और हम अगले दिन थका हुआ महसूस करते हैं।

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सर्कैडियन रिदम पर असर

सर्कैडियन रिदम वह प्राकृतिक चक्र है जो हमारे शरीर की नींद और जागने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। जब हम मोबाइल का अत्यधिक इस्तेमाल करते हैं, तो यह चक्र बिगड़ जाता है। सर्कैडियन रिदम का बिगड़ना हमारे शरीर को यह सही समय पर सोने और उठने के लिए संकेत नहीं भेज पाता। इससे न केवल नींद की कमी होती है, बल्कि अगले दिन काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। जब यह चक्र सही से काम नहीं करता, तो शरीर को उसकी प्राकृतिक रिकवरी प्रक्रिया में बाधा आती है।

ब्लू लाइट का हानिकारक प्रभाव

मोबाइल स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट हमारे दिमाग और आंखों के लिए बहुत हानिकारक हो सकती है। यह लाइट हमारी आंखों को थका देती है और दिमाग को सक्रिय कर देती है, जिससे हम सोने से पहले आराम महसूस नहीं कर पाते। इस ब्लू लाइट के कारण हमें नींद आने में परेशानी होती है क्योंकि यह हमारे शरीर में मेलाटोनिन हॉर्मोन के उत्पादन को कम कर देती है। इस हॉर्मोन का काम शरीर को नींद के लिए तैयार करना है, लेकिन ब्लू लाइट इसके उत्पादन में रुकावट डालती है।

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मेलाटोनिन हॉर्मोन का बाधित होना

मेलाटोनिन हॉर्मोन वह प्राकृतिक हॉर्मोन है, जो हमारे शरीर को नींद के लिए संकेत भेजता है। जब हम मोबाइल स्क्रीन पर देर रात तक समय बिताते हैं, तो इसकी नीली रोशनी मेलाटोनिन हॉर्मोन के उत्पादन को कम कर देती है। इस हॉर्मोन के बिना, शरीर को यह संकेत नहीं मिल पाते कि अब सोने का समय हो गया है। इसका परिणाम यह होता है कि रात को नींद नहीं आती और हम अगले दिन थका हुआ महसूस करते हैं। यह लंबे समय तक चलने वाली समस्या बन सकती है और हमारी नींद की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है।

लाइफस्टाइल डिसऑर्डर की जड़

मोबाइल फोन का अत्यधिक इस्तेमाल न केवल हमारी नींद को प्रभावित करता है, बल्कि यह कई अन्य लाइफस्टाइल डिसऑर्डर का कारण भी बन सकता है। जब हम देर रात तक मोबाइल का उपयोग करते हैं, तो हमारा दिमाग पूरी तरह से आराम नहीं पाता और शरीर भी थका हुआ रहता है। यह स्थिति लंबे समय में मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देती है। अत्यधिक स्क्रीन टाइम से तनाव, चिंता, और अवसाद जैसी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं, जो जीवन के सामान्य रूटीन को बिगाड़ देती हैं।

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थकान और तनाव

जब नींद पूरी नहीं होती, तो अगले दिन थकान और तनाव महसूस होता है। मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से होने वाली खराब नींद शरीर को पूरी तरह से आराम करने का मौका नहीं देती है। इसके परिणामस्वरूप मानसिक थकान और शारीरिक कमजोरी महसूस होती है। नींद की कमी से मूड स्विंग्स, डिप्रेशन और चिंता जैसी मानसिक समस्याएं भी हो सकती हैं। इसके अलावा, पर्याप्त नींद न लेने से कार्यक्षमता भी प्रभावित होती है, और व्यक्ति पूरे दिन ऊर्जाहीन महसूस करता है।

इन सभी कारणों से यह स्पष्ट है कि मोबाइल का अत्यधिक इस्तेमाल हमारी सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, खासकर दिमाग और मानसिक स्वास्थ्य पर। इसलिए यह जरूरी है कि हम अपने मोबाइल इस्तेमाल को नियंत्रित करें और अच्छी नींद सुनिश्चित करें।

अन्य समस्याएं

लंबे समय तक यह आदत लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों जैसे मोटापा, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर को जन्म देती है। मोबाइल फोन से खतरा कम करने के उपाय मोबाइल को पूरी तरह छोड़ना तो मुमकिन नहीं है, लेकिन इससे होने वाले नुकसान को कम करने के लिए कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं:

1. ब्लू लाइट फिल्टर का इस्तेमाल करें: मोबाइल में ब्लू लाइट फिल्टर ऑन करें या एंटी-ग्लेयर चश्मा पहनें।

2. स्क्रीन टाइम कम करें: दिनभर मोबाइल पर बिताए जाने वाले समय को सीमित करें।

3. रूटीन सेट करें : सोने और जागने का एक तय समय निर्धारित करें और उसे फॉलो करें।

5. पॉजिटिव एक्टिविटी में समय लगाएं: मोबाइल के बजाय किताबें पढ़ें, परिवार के साथ समय बिताएं या मेडिटेशन करें।

6. डिजिटल डिवाइस का समय सीमित करें: रात में सोने से 2-3 घंटे पहले मोबाइल, लैपटॉप या किसी भी डिजिटल डिवाइस का इस्तेमाल बंद कर दें।

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मोबाइल फोन का सही और नियंत्रित इस्तेमाल न केवल हमारी हेल्थ को बेहतर बनाएगा बल्कि दिमाग को भी शांत और स्वस्थ रखेगा। याद रखें, मम्मी की बात हमेशा ध्यान से सुननी चाहिए, क्योंकि उनका अनुभव हर बार सही साबित होता है।

नोट: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी समस्या के लिए डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
 

 
 
 


 


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Content Editor

Priya Yadav

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