अब तक के सारे रिकॉर्ड टूट गए! सोने की कीमत हुई इतनी महंगी
punjabkesari.in Saturday, Apr 19, 2025 - 02:58 PM (IST)

नारी डेस्क: सोने की कीमतों में लगातार तेजी देखी जा रही है और अब 10 ग्राम सोने की कीमत 98,000 रुपये के पार पहुंच गई है। दिल्ली के सराफा बाजार में सोने की कीमत 98,170 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई है, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है। सोने की कीमतों में यह बढ़ोतरी कई कारणों से हुई है।
सोने की कीमतों में तेजी के कारण
सोने की कीमतों में उछाल के पीछे डॉलर का कमजोर होना, अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध, और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ घोषणाएं जैसे कारण हैं। इन सभी कारणों से सोने की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है।
गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) का अनुमान
गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) का कहना है कि 2025 के अंत तक सोने की कीमत 3,700 डॉलर प्रति औंस तक जा सकती है। इस साल यह तीसरी बार है जब इस निवेश बैंक ने सोने की कीमतों का अनुमान बढ़ाया है। 1 जनवरी, 2025 को सोने का भाव 2,623 डॉलर था, और अगर 2025 के अंत तक सोना 3,700 डॉलर पर पहुंचता है तो यह 41% का रिटर्न देगा।
अंतरराष्ट्रीय बाजार का रुझान
गोल्डमैन सैक्स के अनुसार, अगर परिस्थितियां और ज्यादा जोखिमपूर्ण होती हैं, तो सोना 2025 के अंत तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में 4,500 डॉलर प्रति औंस तक जा सकता है। फिलहाल सोना 3,200 डॉलर पर कारोबार कर रहा है, जो 2025 में अब तक 22% ऊपर है।
सोने की मजबूत स्थिति
अमेरिका की अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका और अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के कारण सोने को एक सुरक्षित निवेश के रूप में देखा जा रहा है। सोना आर्थिक मंदी से बचने का एक बेहतरीन तरीका बन चुका है। वैश्विक अनिश्चितताओं और जोखिम के समय में सोने की मांग बढ़ जाती है, जो इसकी कीमतों को और बढ़ाता है।
भविष्य में सोने की कीमतों में और बढ़ोतरी
विशेषज्ञों का कहना है कि 2025 में सोने की कीमतों में और बढ़ोतरी हो सकती है, हालांकि थोड़े समय के लिए कीमतों में गिरावट भी हो सकती है। फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में कटौती से भी सोने की कीमतों में वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा, अमेरिकी ट्रेजरी की अधिक बिक्री भी सोने की कीमतों को बढ़ावा दे सकती है।
सोने की कीमतों में अब तक की सबसे बड़ी बढ़ोतरी देखी जा रही है, और भविष्य में इसकी कीमतों में और वृद्धि हो सकती है। सोना इस समय सबसे सुरक्षित निवेश विकल्प के रूप में देखा जा रहा है, खासकर वैश्विक आर्थिक अस्थिरता और बढ़ती अनिश्चितताओं के कारण।