शुगर की दवा COVID-19 से होने वाले फेफड़ों के संक्रमण को करती हैं कम : स्टडी
punjabkesari.in Tuesday, Jun 15, 2021 - 06:08 PM (IST)
देश में अब कोरोना वायरस की दूसरी लहर का प्रकोप थमता हुआ नज़र आ रहा है। वहीं कोरोना वायरस को लेकर हर दिन नए नए अध्ययन किए जा रहे हैं जिसमें कई अहम जानकारियां सामने भी आई हैं। वहीं इसी बीच एक शोध सामने आया है जिसमें कहा गया हैं कि कोरोना की वजह से होने वाले फेफड़ों के संक्रमण को रोकने में शुगर रोगियों द्वारा ली जाने वाली दवा मेटफॉर्मिन मदद करती है। यानि कि मेटफॉर्मिन दवा के लगातार सेवन से फेफड़ों का संक्रमण कम हो सकता है।
यह दावा किया गया हाल ही में हुए एक शोध में किया गया है। इस संबंध में डॉक्टरों का कहना है फिलहाल कोरोना में ऑक्सीजन और स्टेरॉयड ही दो प्रमुख उपचार हैं।
बतां दें कि शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ने पर रोगियों को मेटफॉर्मिन दवा दी जाती है। यह शुगर के सामान्य मरीजों की दवा है, जो खून में शुगर की मात्रा कम करने की दवा है। यह टाइप 2 शुगर रोगियों के लिए शुरुआती दवा है, जिसके सेवन के साथ डाइट और लाइफ स्टाइल में परिवर्तन कर रोगियों को राहत मिल सकती है।
मेटफॉर्मिन दवा फेफड़े के संक्रमण को कम करती हैं-
इस दवा को लेकर हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन डिएगो (यूसीएसडी) स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने एक शोध किया है। इस संबंध में जर्नल इम्यूनिटी में रिपोर्ट ऑनलाइन प्रकाशित हुई है। कोरोना संक्रमित चूहों पर दवा का इस्तेमाल किया गया, जिन पर पल्मोनरी या फेफड़ों में सूजन थी, मेटफॉर्मिन दवा से इनमें फेफड़े के संक्रमण कम करने में मदद मिली है।
चूहों पर किया गया मेटफॉर्मिन दवा का टेस्ट-
शोधकर्ताओं ने एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) पर इस्तेमाल किया। इन स्थितियों में फेफड़ों में तरल पदार्थ का रिसाव होता है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। शोध के दौरान ऐसे लक्षण वाले चूहों को मेटफॉर्मिन दी गई, जिसके परिणाम स्वरूप एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम और उसके लक्षणों में कमी पाई गई है।
कोरोना में ऑक्सीजन और स्टेरॉयड ही दो प्रमुख उपचार हैं-
हालांकि डॉक्टर इस बात से सहमत नहीं हैं। फोर्टिस अस्पताल दिल्ली के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. विद्युत प्रताप सिंह ने बताया कि अभी कोरोना के लिए आक्सीजन और स्टेरॉयड दो प्रमुख उपचार हैं। अस्पतालों में जो दवा इस्तेमाल होती हैं, वो लोगों को दी जाती है उसके प्रभाव और दुष्प्रभाव दिखते हैं लेकिन शोध के दौरान दवा जानवरों पर इस्तेमाल की जाती हैं, इंसानों पर क्या असर पड़ेगा, यह पता नहीं होता है।