शिवरात्रि बन जाएगी खास, इस बार इस तरह करें भोलेनाथ को प्रसन्न
punjabkesari.in Monday, Feb 17, 2025 - 05:21 PM (IST)
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नारी डेस्क: हर वर्ष फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि माना जाता है कि इसी तिथि पर भगवान शिव और मां पार्वती का पवित्र विवाह संपन्न हुआ था। महाशिवरात्रि का पर्व विशेष रूप से शिव भक्तों द्वारा बड़े श्रद्धा और समर्पण के साथ मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत का विशेष महत्व है। विशेष रूप से रात्रि के समय पूजा की जाती है, जहां चार पहरों में भगवान शिव की आराधना करने का महत्व है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की रात्रि चार पहर पूजा करने से मनुष्य की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-शांति का वास होता है।
भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त कई उपायों का अनुसरण करते हैं, जैसे व्रत, मंत्र जप, पूजा और अर्चना। भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र अर्पित करने से लेकर, उनके नाम का जाप करने तक सब कुछ अत्यधिक महत्व रखता है। यह भी माना जाता है कि महादेव दूसरों की तुलना में अधिक दयालु हैं और उन्हें महज बेलपत्र चढ़ाकर भी प्रसन्न किया जा सकता है।
क्यों होता है जलाभिषेक?
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को जलाभिषेक करने की परंपरा भी है, और इसके पीछे एक खास पौराणिक कथा है। समुद्र मंथन के दौरान हलाहल नामक विष उत्पन्न हुआ था, जो संसार के सभी प्राणियों के लिए घातक था। कोई भी देवता या असुर इस विष को लेने के लिए तैयार नहीं हुआ। तब भगवान शिव ने वह विष अपने कंठ में धारण कर लिया और समस्त सृष्टि की रक्षा की। हालांकि, उस विष का ताप भगवान शिव को भी प्रभावित करने लगा और देवताओं ने भगवान शिव को शीतलता प्रदान करने के लिए उन्हें जल, दूध, भांग, धतुरा आदि के रस से नहलाया। इससे भगवान शिव का कंठ शीतल हुआ और वह विष का प्रभाव सहन कर पाए। तभी से भगवान शिव को जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक आदि करने की परंपरा शुरू हुई।
महाशिवरात्रि पूजा विधि
महाशिवरात्रि के दिन पूजा का तरीका विशेष होता है। सबसे पहले प्रातःकाल उठकर स्नान आदि करें और सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके बाद, भगवान शिव का अभिषेक करने के लिए दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल जैसे पवित्र पदार्थों से शिवलिंग का अभिषेक करें। पूजा करते समय ध्यान रखें कि जलाभिषेक करते समय आपका मुख दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए। इसके बाद, शिवलिंग पर भस्म लगाए और बेलपत्र, मोली, साबुत अक्षत, फल, पान-सुपारी आदि अर्पित करें।
इसके बाद भगवान शिव की आरती करें और शिवलिंग के सामने “ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्” इस शिव गायत्री मंत्र का जप करें। साथ ही, “श्री शिवाय नम:” इस शिव नामावली मंत्र का जप भी करें। इस तरह से पूजन विधि को विधिपूर्वक सम्पन्न कर आप भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की उपासना करने से न केवल भक्तों की इच्छाएं पूरी होती हैं, बल्कि उनके जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि का वास भी होता है। इस दिन की पूजा का विशेष महत्व है और यह अवसर हमें अपने जीवन में भगवान शिव की कृपा पाने का एक महत्वपूर्ण साधन प्रदान करता है।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।