खट्टी -मीठी यादें देकर महाकुंभ से विदा हुए साधु-संत, अब यहां जाकर मनाएंगे शिवरात्रि और होली
punjabkesari.in Saturday, Feb 08, 2025 - 11:04 AM (IST)
महाकुंभ 2025 में भक्ति में अभूतपूर्व उछाल देखने को मिल रहा है, लगभग 400 मिलियन श्रद्धालु शनिवार को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगा चुके हैं। जहां एक तरफ देश और दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु इस आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम का हिस्सा बनने जा रहे हैं वहीं दूूसरी तरफ साधु-संतों का विदा होने का सिलसिला शुरू हो गया है।
महाकुंभ नगर में डेरा जमाए 13 अखाड़ों और एक अन्य किन्नर अखाड़े में से शैव परंपरा को मानने वालों ने अब मेला क्षेत्र खाली करने की तैयारी शुरू कर दी है। शुक्रवार को ही अखाड़ों में संतों, महंतो व सन्यासियों ने एक साथ कढ़ी-पकौड़े का भोज कर कुंभ के समापन का औपचारिक संकेत दे दिया है। अब वह शिव नगरी काशी के लिण् प्रस्थान करेंगे। जहां महाशिवरात्रि के मौके पर गंगा स्नान के बाद अखाड़ों के संत अपने अपने आश्रमों व ठिकानों पर लौट जाएंगे।
अन्य संस्थाएं और वैष्णव अखाड़े पूर्णिमा या शिवरात्रि तक यहां रहते हैं, लेकिन उनके अखाड़े तीनों स्नान के बाद ही प्रस्थान कर जाते हैं। प्रयागराज के बाद अब अगले 20 दिनों तक वाराणसी में गंगा तट पर, अखाड़ों के मुख्यालयों व उनसे संबंधित आश्रमों में मेला सजेगा। कुंभ के ही तर्ज पर अखाड़ों का काशी में भी गाजे-बाजे से साथ पेशवाई का जुलूस निकलेगा। महाशिवरात्रि के अवसर पर घंटे के लिए मंदिर में आम लोगों का प्रवेश बंद रहता है और केवल दशनामी संन्यासी ही अंदर जा सकते हैं। काशी में ये सातों अखाड़े होली तक रहेंगे। होली के बाद अखाड़ों के संत अपने-अपने मठ-मंदिरों में चले जाएंगे। यह परंपरा जगतगुरु शंकराचार्य जी के समय से चली आ रही है।
शुक्रवार को ध्वजा की तनी रस्सियों को ढीलाकर अखाड़े के महा मंडलेश्वर संत महंत और नागा सन्यासी कुंभ मेला शिविर से विदा हो गए. निरंजनी अखाड़े में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरि ने इष्टदेव की पूजा करने बाद चार दिशाओं में दो-दो महंतों के साथ मिलकर धर्म ध्वजा की चारों दिशाओं की तनियों को गांठों को ढीला किया. इसके बाद पूजा पाठ करके देवताओं का प्रतीक भाला लेकर अखाड़े के शिविर से निकल गए।