जानिए महालक्ष्मी व्रत की समापन विधि, इन मंत्रों के जाप से मिलेगा शुभफल
punjabkesari.in Wednesday, Sep 09, 2020 - 05:03 PM (IST)
महालक्ष्मी व्रत कुल 16 दिनों तक चलता है। हर साल यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होकर आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को समाप्त होता है। इस साल इस व्रत का आरंभ 25 अगस्त को हुआ था। अब कल यानी 10 सितंबर को इस व्रत का समापन किया जाएगा। माना जाता है कि इस दौरान सच्चे मन से देवी की पूूजा करने से शुभफल की प्राप्ति होती है। देवी लक्ष्मी अपने भक्तों की हर इच्छा को पूरा करती है। घर को अन्न, धन और खुशियों से भर देती है। वैसे तो इस व्रत को पूरे16 दिनों तक करने की मान्यता है। मगर बहुत से लोग ऐसे है जो इस व्रत को 16 दिनों तक नहीं रख पाते हैं। वे इसे व्रत की शुरूआत यानी पहले दिन साथ ही आखिरे दिन में रख सकते है। ऐसा करने से भी देवी महालक्ष्मी प्रसन्न हो इच्छाओं को पूरा करती है।
महालक्ष्मी व्रत पूजा शुभ मुहूर्त
धन की देवी महालक्ष्मी का यह व्रत आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी की तिथि को रखा जाता है। यह उपवास 10 सितंबर की रात्रि में 9 बजकर 45 मिनट पर शुरू होकर रात्रि 10 बजकर 47 मिनट तक रखा जाएगा।
व्रत का महत्व
इस व्रत को कुल 16 दिनों तक रखा जाता है। मगर कहीं आप इसे पूरे 16 दिन नहीं रख सकते है तो इसे व्रत की शुरूआत में पहले दिन, आठवें या अंतिम दिन भी रख सकती है। मान्यता है कि देवी मां के इस व्रत को रखने से जीवन की सभी परेशानियां दूर हो अन्न, धन की कृपा होती है। कारोबार में तरक्की मिलने के साथ घर में खुशहाली आती है। साथ ही संतान से जुड़ी परेशानियां भी दूर होती है।
महालक्ष्मी के इन मंत्रों का करें जाप
श्री लक्ष्मी बीज मन्त्र
“ॐ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।”
श्री लक्ष्मी महामंत्र
“ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।”
महालक्ष्मी की पूजा के दौरान इन मंत्रों में से किसी एक का उच्चारण करने से विशेष लाभ मिलता है।
महालक्ष्मी व्रत समापन पूजा विधि
- इस व्रत का समापन करने के लिए सुबह जल्दी उठ कर साफ कपड़े पहनने।
- फिर व्रत के पहले दिन हाथ पर बांधा हुआ 16 गांठ वाला रक्षासूत्र खोलकर किसी नदी या सरोवर में बहा दें।
- उसके बाद देवी लक्ष्मी की पूजा करने के लिए महालक्ष्मी की मूर्ति अपने पूजा घर पर स्थापना करें।
- देवी मां को कमल का फूल, चावल, दूर्वा, लाल सूत, सुपारी, नारियल, फल, मिठाई, चन्दन, पत्र, माला कमलगट्टा आदि चढ़ाकर पूजा करें।
- सफेद रंग अतिप्रिय होने से लक्ष्मी मां को इसी रंग की मिठाई का भोग लगाना शुभफलदाई होगा।
- महालक्ष्मी व्रत कथा पढ़े या सुनें।
- फिर मंत्रों का जाप कर महालक्ष्मी की आरती करें और अपनी मनोकामना देवी मां के आगे बोले।
अंत पर सभी को प्रसाद बांटकर देवी मां की मूर्ति को नदी या सरोवर में बहा दें।