लीलावती के संघर्ष के आगे हारे बुरे हालात, जानिए एक आम महिला की खास कहानी

punjabkesari.in Wednesday, Jul 22, 2020 - 02:02 PM (IST)

कहते हैं वक्त और हालात इंसान को सब कुछ सिखा देते हैं। जब हालात बिगड़ते हैं तो खुद ब खुद इंसान में उसके साथ लड़ने की हिम्मत आ जाती है। कुछ ऐसी ही है कहानी है लीलावती की। मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले की करेली विकासखंड के ग्राम जोवा की रहने वाली लीलावती ने वक़्त और हालात से लड़कर अपने परिवार को बिखरने से बचाया। आइए जानते हैं लीलावती की कहानी।

बुरे हालातों से भी नहीं टूटी हिम्मत

लीलावती सिर्फ 16 साल की थी जब उसकी शादी हो गई।  कम उम्र में ही शादी हो जाने की वजह से वह अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाई। उसका ससुराल मध्यम वर्गीय था और उसका पति उसे बहुत प्यार करता और ध्यान रखता था। लीलावती अपनी शादीशुदा जिंदगी में बेहद खुश थी लेकिन यह खुशी ज्यादा समय तक नहीं रही।
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शादी के कुछ साल बाद हुई पति की मौत

समय ने करवट बदली और बीमारी के चलते लीलावती के पति की मौत हो गई। पति की मौत के बाद पूरे परिवार और बच्चों की जिम्मेदारी लीलावती के कंधे पर आ गई।  बच्चों की जिम्मेदारी और अकेले पूरे परिवार का पेट पालना लीलावती के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था। फिर लीलावती ग्रामीण आजीविका मिशन के स्व सहायता समूह से जुड़ी।

लीलावती ने बताया कि समूह से जुड़ने के 3 महीने बाद प्राप्त राशि से एक हजार रूपये का छोटा सा ऋण लेकर उन्होंने बकरी पालन शुरू किया। आज लीलावती के पास 15 से 20 बकरियां हैं l इसके साथ ही लीलावती सरकारी स्कूलों की गणवेश सिलाई का काम भी करती हैं। इससे उन्हें 5 हजार रूपए तक की आय हो जाती है। इसके साथ  लीलावती रेवा स्वसहायता समूह को भी चलाती है जिसमें उन्हें सार्वजनिक वितरण प्रणाली की राशन दुकान के संचालन का काम दिया गया। इससे भी लीलावती को आमदनी होने लगी है और गांव के परिवारों को भी समय पर राशन मिलने लगा है । इन सभी कामों से लीलावती अब हर महीने 15 से 20 हजार रूपए तक कमा लेती हैं।
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लीलावती पर जो गुजरी वह ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती है कि किसी भी महिला पर ऐसा बुरा वक़्त आए। उनका कहना है कि सभी महिलाओ को आत्मनिर्भर होना चाहिए जिसके लिए वह अपने ही गांव में भी प्रयास कर रही है।

 


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Content Writer

Priya dhir

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