नवरात्रि: कल का दिन बेहद शुभ, एक साथ होगी मां चंद्रघंटा और कुष्मांडा देवी की पूजा
punjabkesari.in Friday, Oct 08, 2021 - 04:17 PM (IST)
7 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ हो गए हैं और 15 अक्टूबर को विजयादशमी मनाई जाएगी। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती हैं। लेकिन इस बार तृतीया व चतुर्थी एक ही दिन पड़ने के कारण 8 दिनों की नवरात्रि मनाई जाएगी। मां चंद्रघंटा और कुष्मांडा का पूजन एक ही दिन 9 अक्टूबर का होगा , इसे विशेष संयोग माना जा रहा है।
देवी दुर्गा के नौ स्वरूप
देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग शक्ति स्वरूप हैं- शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि। नवरात्रि के पहले दिन की शुरुआत कलश की स्थापना से की जाती है। दूसरे दिन मां के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा की जाती है. इन्हे तपश्चारिणी, अपर्णा और उमा अन्य नामों से भी जाना जाता हैं। मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है. इनके माथे पर घंटे का आकार का अर्धचंद्र होता है, इसी कारण से इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है।
शनिवार को बन रहे विशेष संयोग
नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा का पूजन होता है। वहीं पांचवे दिन मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है। इस बार एक ही दिन इन दोनों की पूजा की जाएगी। पंचांग के अनुसार 8 अक्टूबर, शुक्रवार को तृतीया तिथि का आरंभ प्रात: 10 बजकर 50 मिनट पर हो रहा है. 9 अक्टूबर, शनिवार को प्रात: 7 बजकर 51 मिनट पर तृतीया तिथि का समापन होगा। इसके बाद चतुर्थी की तिथि प्रारंभ होगी. इस दिन मां चंद्रघण्टा और कूष्माण्डा देवी की पूजा की जाएगी।
विशेष नियमों का करना होग पालन
इन दोनों देवियों की पूजा में विशेष नियमों का पालन किया जाता है। मां कुष्मांडा को मालपुआ का भोग लगाया जाता है. इस दिन माता के भक्त नारंगी वस्त्र पहनकर देवी कुष्मांडा की पूजा करते हैं। वहीं स्कंदमाता देवी को केले का भोग लगाया जाता है। बता दें कि पुराणों में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि कलश स्थापना के दिन के अनुसार माता की सवारी बदल जाती है। इसलिए हर साल माता का आवागमन अलग-अलग वाहन से होता है। इस बार माता का आगमन डोली पर हो रहा है और विदा हाथी पर लेगी।