208 किलो आभूषणों से सजाए गए  भगवान जगन्नाथ, दो साल बाद भक्तों ने किए दर्शन

punjabkesari.in Monday, Jul 11, 2022 - 10:56 AM (IST)

ओडिशा के पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ के ‘सुना भेष’ (स्वर्ण परिधान) में दर्शन करने के लिए लाखों श्रद्धालु मंदिर पहुंचे। मौसी के घर से लौटे महाप्रभु जगन्नाथ,भैया बलभद्र और बहन सुभद्रा ने रविवार को सोना भेष में दर्शन दिया। यह वार्षिक रथ यात्रा के भव्य अनुष्ठानों में से एक है।

PunjabKesari
यह अनुष्ठान वार्षिक रथ यात्रा की वापसी और भगवान के गुंडिचा मंदिर से लौटने के एक दिन बाद आषाढ़ एकादशी को होता है। भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ का रथ 12वीं सदी में निर्मित मंदिर के सिहं द्वार पर खड़ा होता है और भगवान की आभा देखते ही बनती है क्योंकि उनके विग्रहों को 208 किलोग्राम के आभूषणों से सजाया जाता है।

PunjabKesari

पंडित सूर्यनारायाण रथ शर्मा ने बताया कि ‘सुना भेष’ अनुष्ठान की शुरुआत शासक कपिलेंद्र देब के शासन में सन 1460 में तब शुरू हुई जब वह दक्कन विजय कर 16 बैलगाड़ियों में भर कर सोना लेकर पुरी पहुंचे। देब ने सोने और हीरे भगवान जगन्नाथ को अर्पित किए और पुजारियों से उनके गहने बनवाने के निर्देश दिए जिन्हें विग्रहों को पहनाया जाता है।

PunjabKesari
सुना भेष के लिए करीब 208 किलोग्राम स्वर्ण आभूषणों का इस्तेमाल किया जाता है। पुजारियों को भगवान को स्वर्ण आभूषणों से सजाने में करीब एक घंटे का समय लगता है।भगवान को सजाने में जिन गहनों का इस्तेमाल किया जाता है, उनमें ‘श्री हस्त’, ‘श्री पैर’ ,‘श्री मुकुट’ और ‘श्री चौलपटी’ शामिल हैं। हालांकि, भगवान के ‘सुना भेष’ में हीरे का प्रयोग नहीं किया जाता। इन गहनों को मंदिर के ‘रत्न भंडार’ में रखा जाता है।

PunjabKesari
मान्यता के मुताबिक भगवान मौसी के घर से लौटने के बाद शयन पर जाने से पहले महाराजा का वेश धारण करते हैं और श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं। गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी की वजह से भक्त करीब दो साल के बाद इन अनुष्ठानों में हिस्सा ले पा रहे हैं।

PunjabKesari

बता दें कि गन्नाथ स्वयं विष्णु के अवतार हैं। जगन्नाथ जी की पूजा-अर्चना वैसे ही की जाती है, जैसे एक साधारण मनुष्य का दैनिक कार्य होता है। जैसे एक साधारण मनुष्य सवेरे उठ कर दांत साफ करता है, स्नान करता है, सुबह का नाश्ता, दोपहर एवं रात्रि का भोजन करता है, वैसे ही भगवान श्री जगन्नाथ भी करते हैं।  वर्ष में एक बार श्री जगन्नाथ अपने साथ बलभद्र और सुभद्रा को लेकर रथयात्रा करते हैं।
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

vasudha

Recommended News

Related News

static