पुरुषों से ज्यादा जीती हैं महिलाएं, प्रेग्नेंसी के समय मौत का खतरा भी होता है कम: UNFPA रिपोर्ट

punjabkesari.in Friday, Apr 19, 2024 - 11:10 AM (IST)

भारत की आबादी लगातार बढ़ रही है। कुछ समय पहले भारत ने चीन को भी इस मामले में पीछे कर दिया है। रिपोर्ट्स की मानें तो हर साल देश की आबादी 1% बढ़ रही है। अब यूएनएफपीए (United Nations Population Fund) ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि भारत की अब डेढ़ अरब पहुंच गई है। वहीं महिलाओं के लिए गुड न्यूज है। रिपोर्ट में कहा गया है की महिलाओं की जीवन प्रत्याशा (Life expectancy) में लगभग साढ़े तीन साल की बढ़ोतरी हुई है। आइए नजर डालते हैं यूएनएफपीए की रिपोर्ट पर विस्तार से....

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पुरुषों से ज्यादा है महिलाओं का जीवन प्रत्याशा (Life expectancy)

रिपोर्ट के अनुसार भारत में पुरुषों की जीवन प्रत्याशा 71 साल और महिलाओ की 74 साल है। साल 2020 तक पुरुषों की जीवन प्रत्याशा 67.8 और महिलाओं की 70.4 साल थी। भारत की आबादी 144.17 करोड़ तक पहुंच गई है। जनसंख्या का आंकड़ा अगले 77 सालों में बढ़कर दोगुना हो जाएगा। साल 2050 तक भारत में दुनिया के 17 फीसदी बुजुर्ग होंगे। अभी देश में 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग 7% से कम हैं। दुनिया में अनुमानित आबादी के साथ भारत सबसे आगे है, जबकि चीन 142.5 करोड़ के साथ दूसरे स्थान पर है। 2011 में पिछली जनगणना में देश की आबादी 121 करोड़ थी। 

प्रजनन स्वास्थ्य हुआ बेहतर

भारत में यौन संबंधों को लेकर भी जागरूकता आई है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में अब 30 सालों में प्रजनन स्वास्थ्य बेहतर हुआ है। मातृ मृत्यु (प्रेग्नेंसी के समय मौत) में कमी आई है। दुनिया में ऐसी मौतों में भारत का हिस्सा 8 % है। इसका सारा श्रेय सस्ता, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं को दिया जा रहा है। 2006-2023 में भारत में 23% बाल विवाह भी हुए हैं। वहीं रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि 25% महिलाएं यौन संबंध बनाने से मना नहीं कर पाती है, जबकि 10 में से एक महिला गर्भनिरोधक उपायों के बारे में खुद निर्णय लेने में असमर्थ हैं। दिव्यांग महिलाओं में यौन हिंसा का खतरा दिव्यांग पुरुषों की अपेक्षा 10 गुना ज्यादा है। 

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बढ़ती आबादी का असर

फायदा

ज्यादा आबादी से देश के बड़े बाजार के तौर पर स्थापित होता है, जिससे निवेश बढ़ता है।

मानव संसाधन की अधिकता देश के लिए साधन बनती है।

ज्यादा आबादी से जरूरतें भी ज्यादा होती है और देश के अंदर पूंजी प्रवाह तेज होता है।

नुकसान

- ज्यादा आबादी के चलते प्राकृतिक संसाधनों की कमी होना।

- सभी लोगों के लिए रोजगार के मौके उपल्बध कराना नामुमकिन।

- संसाधन सीमित होने से नीतियों पर पड़ता है असर।
 


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Content Editor

Charanjeet Kaur

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