क्या आप भी दिवाली पर करते हैं मां लक्ष्मी की आरती? इस बार ना करना ये बड़ी भूल
punjabkesari.in Wednesday, Oct 30, 2024 - 02:55 PM (IST)
नारी डेस्क: दिवाली पर्व माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष विधान होता है। मान्यता है कि दिवाली पूजा के दौरान लक्ष्मी-गणेश की पूजा से घर में पूरे साल बरकत बनी रहती है। वहीं ज्योतिष शास्त्र में यह मान्यता है कि पूजन के बाद लक्ष्मी जी की आरती नहीं की जानी चाहिए, जबकि ज्यादातर लोग इस दिन माता लक्ष्मी की आरती करते हैं। आइए जानते है कि दिवाली की पूजा में लक्ष्मी जी की आरती करना सही है या गलत।
लक्ष्मी जी को नहीं किया जाता विदा
दिवाली की रात मां लक्ष्मी को घर में आमंत्रित किया जाता है ताकि वे पूरे वर्ष घर में स्थायी रूप से वास करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आरती करने का मतलब पूजा का समापन माना जाता है, जो लक्ष्मी जी को विदा करने का संकेत माना जा सकता है। आरती को पारंपरिक रूप से पूजा के समापन का हिस्सा माना जाता है, इसलिए कुछ लोग इसे लक्ष्मी पूजा के दौरान नहीं करते।
माता लक्ष्मी से की जानी चाहिए स्थायी वास की प्रार्थना
भारत के विभिन्न हिस्सों में लक्ष्मी पूजा से जुड़े अलग-अलग रीति-रिवाज और मान्यताएं होती हैं। कुछ क्षेत्रों में माना जाता है कि दिवाली की रात लक्ष्मी जी को सम्मानपूर्वक स्थिरता के साथ पूजा करनी चाहिए और आरती से बचना चाहिए ताकि वे घर में स्थायी रूप से रहें। हालांकि, यह पूरी तरह मान्यता और विश्वास पर निर्भर करता है और धार्मिक दृष्टि से कोई निश्चित नुकसान नहीं बताया गया है। यह एक लोक मान्यता है, जिसमें लोगों का मानना होता है कि लक्ष्मी जी की आरती नहीं करनी चाहिए। कई लोग इस मान्यता का पालन करते हैं, तो कई लोग आरती कर माता लक्ष्मी से घर में स्थायी वास की प्रार्थना करते हैं।
आरती करने से पहले लें संकल्प
यदि आप लक्ष्मी जी की पूजा के बाद आरती करना चाहते हैं तो आप यह संकल्प लेकर कर सकते हैं कि यह आरती माता लक्ष्मी को सम्मानपूर्वक आमंत्रित करने के उद्देश्य से है, न कि विदाई देने के लिए। साथ ही इस बात पर जोर दें कि लक्ष्मी जी का वास आपके घर में स्थायी रूप से बना रहे। यह मान्यताओं और विश्वास पर निर्भर करता है, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप अपने हृदय में श्रद्धा और विश्वास रखें। लक्ष्मी पूजा का उद्देश्य आपके घर में सुख-समृद्धि और शांति का आगमन है।