इस बार हाथी पर सवार होकर आ रही हैं मां दुर्गा, अभी से नोट कर लें चैत्र नवरात्रि की सही तारीख
punjabkesari.in Tuesday, Mar 11, 2025 - 12:41 PM (IST)

नारी डेस्क: मां दुर्गा की आराधना के लिए चैत्र नवरात्रि इस महीने के आखिरी में शुरू हो रही है। चैत्र नवरात्रि हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखती है, जो चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनाई जाती है। इस वर्ष, चैत्र नवरात्रि 30 मार्च 2025 से आरंभ होकर 7 अप्रैल काे समाप्त होगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन दिनों मां के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना करने से घर में सुख शांति बनी रहती है और जीवन में सफलता मिलती है। चैत्र नवरात्रि का आरंभ इस साल रविवार से हो रहा है यानी कि इस साल मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर धरती पर आएंगी। मां दुर्गा का हाथी पर सवार होकर आना बहुत ही शुभ संकेत माना जाता है।
30 मार्च को होगा नवरात्रि का शुभारंभ
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 29 मार्च को शाम 04 बजकर 27 मिनट से प्रारंभ होगी। यह तिथि 30 मार्च को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ 30 मार्च दिन रविवार से हो होगा। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग शाम को 4 बजकर 35 मिनट से अगले दिन सुबह 06 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। इस योग में किए गए कार्य शुभ फल देंगे।
यै है पूरा कैलेंडर
पहला दिन 30 मार्च : मांशैलपुत्री पूजा
दूसरा दिन 31 मार्च : मां ब्रह्मचारिणी पूजा
तीसरा दिन 01 अप्रैल :मां चंद्रघंटा पूजा
चौथा दिन 02 अप्रैल: मां कूष्मांडा पूजा
पांचवा दिन 03 अप्रैल: मां स्कंदमाता पूजा
छठवां दिन 04 अप्रैल : मां कात्यायनी पूजा
सातवां दिन 05 अप्रैल : मां कालरात्रि पूजा
आठवां दिन06 अप्रैल : मां महागौरी पूजा
नौवां दिन 07 अप्रैल :मां सिद्धिदात्री पूजा
इस बार बन रहे हैं ये योग
इस महापर्व के दौरान चार दिन रवियोग तथा तीन दिन सर्वार्थसिद्धि योग का संयोग रहेगा। इन योगों में की गई साधना साधक, आराधक को शुभ व मनोवांछित फल प्रदान करती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार नवरात्र का आरंभ और रेवती नक्षत्र में होने से यह विशेष फल प्रदान करेगी क्योंकि रेवती नक्षत्र पंचक का पांचवां नक्षत्र माना जाता है। पांचवां नक्षत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ होता है, तो विशेष कल्याणकारी माना गया है। अलग-अलग प्रकार के धर्म ग्रंथो में विशेष कर मुहूर्त चिंतामणि में इसका उल्लेख दिया गया है। इस दृष्टि से भी नवरात्र के दौरान की गई साधना विशेष फल प्रदान करेगी।
नवरात्रि का धार्मिक महत्व
नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जो भक्तों को शक्ति, ज्ञान और समृद्धि प्रदान करती हैं। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही हिन्दू नववर्ष की शुरुआत होती है, जिसे विभिन्न क्षेत्रों में गुड़ी पड़वा, उगादी आदि नामों से मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि के दौरान राम नवमी का पर्व भी आता है, जो भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
व्रत एवं पूजा के नियम
भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार पूर्ण या आंशिक व्रत रखते हैं। कुछ लोग नौ दिनों तक केवल फलाहार करते हैं, जबकि कुछ विशेष दिनों में व्रत रखते हैं। व्रत के दौरान लहसुन, प्याज और मांसाहार का सेवन वर्जित होता है। केवल सात्विक भोजन का ही सेवन किया जाता है। इस दौरान व्यक्तिगत स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है। प्रतिदिन स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं। प्रतिदिन मां दुर्गा की पूजा, आरती और स्तोत्र पाठ किया जाता है। नवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है।चैत्र नवरात्रि आत्म-अनुशासन, आध्यात्मिक शुद्धता और मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का पर्व है। इन नियमों का पालन कर भक्त अपनी आस्था को प्रगाढ़ करते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार अनुभव करते हैं।