जानें, किस देवता को कौन सा फूल चढ़ाने से मिलेगा शुभफल
punjabkesari.in Saturday, Aug 08, 2020 - 11:09 AM (IST)
हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की पूजा का विशेष महत्व होता है। विधि-विधान से पूजा-पाठ करने से भगवान जी की असीम कृपा मिलती है। ऐसे में भक्तों द्वारा उन्हें अलग-अलग भोग, चीजें और फूल अर्पित किए जाते हैं। बात फूलों की करें तो कोई भी धार्मिक समारोह फूलों के बिना पूरा नहीं होता है। वैसे तो भगवान जी को कोई भी फूल अर्पित किए जा सकते हैं। मगर उन्हें उनके पसंदीदा सुंदर, सुगंधित फूल अर्पित करने से उनकी कृपा मिलने के साथ जीवन में चल रही सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है। साथ ही भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। तो चलिए आज हम आपको बताते है कि किस देवता को कौन सा फूल चढ़ाना शुभफलदाई होता है।
गणेश भगवान
सबसे पहले प्रथम पूजनीय भगवान श्रीगणेश की कृपा पाने की बारे में बताते हैँ। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, गणपति जी को तुलसी का पौधा या पत्ता छोड़ कर कोई भी फूल अर्पित कर सकते है। इसके साथ ही उनको दूर्वा अति प्रति होने से उनकी पूजा में दूर्वा जरूर जलानी चाहिए। अगर दूर्वा के ऊपरी भाग की ओर पर तीन या पांच पत्तियां हों तो इसे गणेश जी को चढ़ाना ज्यादा शुभ माना जाता है।
शिव जी
भोलेनाथ, शंकर जी को हरसिंगार, धतूरा, पान के पत्ते, हरसिंगार, नागकेसर के सफेद पुष्प, सूखे कमल गट्टे, कनेर, कुसुम, आक, कुश आदि के फूल अति प्रिय माने जाते हैं। ऐसे में इनकी पूजा इन फूलों को चढ़ाने से शिव जी भक्त की हर मनोकामना को पूरा करते है। इसके साथ ही इस बात का खास ख्याल रखें कि शिव जी को कभी भी तुलसी और केवड़ा नहीं चढ़ानी चाहिए।
श्रीविष्णु
भगवान श्रीहरि को तुलसी अति प्रिय होने से इनकी पूजा में तुलसी के पत्ते जरूर शामिल करने चाहिए। इसके साथ ही कमन, मौलसिरी, केवड़ा, चपेली, चंपा. जूही, कदम्ब, अशोक, मालती, वासंती, वैजयंती के फूल चढ़ाने से शुभफल मिलता है। विष्णु जी के प्रिय महीन कार्तिक में इनकी केतकी के फूलों से पूजा करने से भगवान की विशेष कृपा मिलती है । मगर नारायण जी की पूजा में कभी भी धतूरा, शिरीष, सहजन, आक, सेमल गूलर आदि नहीं चढा़ना चाहिए।
शनि देव
न्याय के देवता माने जाने वाले शनि देव को नीले लाजवन्ती के फूल चढ़ाने से शुभफल मिलता है। इसके अलावा कोई भी नीले या गहरे रंग के फूल चढ़ाने से शनि देव जल्दी ही अपने भक्तों पर मेहरबान होते हैं।
सूर्य देवता
सूर्य देव की विशेष रूप से रविवार के दिन पूजा की जाती है। इस दिन तांबे के लौटे में जल भर कर अर्पित करने से यश की प्राप्ति होती है। बात अगर फूलों की करें तो सूर्य नारायण को कुटज, कनेर, पलाश, अशोक, चंपा, आक आदि के फूल अति प्रिय होते हैं।
हनुमान जी
संकटमोटन हनुमान जी को लाल रंग के फूल चढ़ाने से जीवन में चल रही परेशानियों का अंत होता है।
भगवान श्रीकृष्ण
महाभारत ग्रंथ में युधिष्ठिर को भगवान श्रीकृष्ण ने अपने प्रिय फूलों के बारे में बताते हुए कहा कि उन्हें तुलसी, कुमुद, करवरी, चणक, मालती, कमल, पलाश व वनमाला के फूल अति प्रिय है। ऐसे में सच्चे मन से भगवान कृष्ण ये फूल चढ़ाने से उनकी असीम कृपा मिलती है।
मां दुर्गा
देवी दुर्गा को लाल रंग सबसे प्रिय होने से उन्हें लाल गुलाब, कमल या गुलहल का फूल चढ़ाना चाहिए।
माता गौरी
अगर आप माता गौरी की कृपा पाने चाहते हैं तो उन्हें बेला, पलाश, चंपा,. सफेद कमल आदि चढ़ाने चाहिए। इससे मां भगवती अपने भक्तों पर जल्दी प्रसन्न होती है।
काली माता
माना जाता है कि, मां काली को लाल गुड़हल के 108 फूल सच्चे मन से चढ़ाने से देवी खुश होती है। साथ ही भक्त की मनोकामना पूर्ण होती है।
महालक्ष्मी जी
देवी लक्ष्मी को कमल अति प्रिय होने से उनकी पूजा में कमल के पुष्प विशेष तौर पर रखने चाहिए। इसके साथ ही उन्हें पीले रंग के फूल और लाल गुलाब चढ़ाने से भी देवी लक्ष्मी खुश होकर भक्तों पर अपनी कृपा करती है।
सरस्वती माता
ज्ञान की देवी सरस्वती मां को सफेद और पीला रंग विशेष रूप से पसंद है। ऐसे में उन्हें इस रंग के फूल अर्पित करने से उनकी असीम कृपा मिलती है। आप उन्हें खुश करने के लिए सफेद गुलाब, कनेर या फिर पीले गेंदे के फूल अर्पित कर सकते हैं।
इन बातों का रखें खास ख्याल
- भगवान जी की पूजा में कभी भी सूखे या बासी फूल न चढ़ाए।
- माना जाता है कि कमल का फूल 10- 15 दिनों तक खराब या बासी नहीं होता है। ऐसे में इस 10-15 दिनों तक चढ़ाया जा सकता है।
- बात अगर कली की करें तो चंपा की कली के अलावा और किसी भी फूल की कली भगवान को नहीं चढ़ानी चाहिए।
- फूलों को कभी भी सीधे हाथों से चढ़ाने की जगह किसी पात्र में डालकर ही भगवान को अर्पित करने चाहिए।
- मान्यता है कि तुलसी के पत्ते करीब 11 दिनों तक बासी नहीं होते हैं। ऐसे मे इनकी पत्तियों पर पानी छिड़कर कर दोबारा इस्तेमाल कर सकते हैं।
- इसी के साथ भगवान शिव की प्रिय बिल्व पत्र लगभग 6 महीनों तक खराब नहीं होती है। ऐसे में इसे भी पानी से धोकर दोबारा पूजा में रखा जा सकता है।