क्यों मनाई जाती है दिवाली? जानिए इस त्योहार से जुड़ी मान्यताएं
punjabkesari.in Thursday, Nov 12, 2020 - 12:46 PM (IST)
दिवाली का पावन त्योहार इस साल 14 नवंबर दिन शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन लोग घरों को फूलों, रंगोली व दीयों के साथ सजाते हैं। खासतौर पर इसे दीयों से सजाने के चलते इस त्योहार को दीपमाला के नाम से भी जाना जाता है। असल में, इस पवित्र त्योहार को मनाने के पीछे बहुत-सी मान्यताएं छिपी है। तो चलिए आज हम आपको दिवाली का त्योहार मनाने से जुड़ी मान्यताओं के बारे में बताते हैं...
श्री राम जी का वनवास से लौटना
हिंदू धार्मिक ग्रंथ रामायण के अनुसार, प्रभु श्रीराम अपनी पत्नी माता सीता और अनुज लक्ष्मण जी के साथ 14 साल का वनवास पूरा कर अयोध्या वापिस आए थे। तब उनके आने की खुशी में अयोध्यावासियों ने घी के दीये जलाकर पूरी अयोध्या को रौशन किया था। उसी दिन से दिवाली का यह पावन त्योहार मनाया जाने लगा।
श्री कृष्ण द्वारा राक्षस नरकासुर राक्षस का वध करना
पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्रागज्योतिषपुर नगर (जो इस समय नेपाल में है) के राजा नरकासुर ने अपनी शक्ति से इंद्र और सभी देवताओं को परेशान कर रखा था। साथ ही उसने ऋषियों-मुनियों व संतों की 16 हजार स्त्रियों को कैद कर लिया था। ऐसे में उसके अत्याचार से तंग आकर देवता व ऋषिमुनि भगवान श्रीकृष्ण की शरण में गए और उनसे मदद मांगी। तब भगवान श्री कृष्ण ने कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर से युद्ध कर उसका वध किया था। ऐसे में राक्षस के आतंक से मुक्त हो देवताओं व संतों ने खुशी में चतुर्थी के दूसरे दिन अर्थात कार्तिक मास की अमावस्या को घरों में दीपक जलाएं। उसी दिन से नरक चतुर्दशी व दीपावली मनाने की परंपरा चली।
पांडवों का वनवास खत्म कर राज्य में लौटना
हिंदू महाग्रंथ महाभारत के अनुसार, जब कौरवों ने शकुनी मामा की मदद से पांडवों को शतरंज में हरा दिया था। तब पांडवों को अपना राज्य छोड़कर 13 साल वनवास में भेजा गया था। जिस दिन उनका वनवास खत्म हुआ था। उस दिन कार्तिक मास की अमावस्या थी। फिर उनके आने की खुशी में लोगों ने दीपक जलाएं थे।
देवी लक्ष्मी का सृष्टि में अवतार
माना जाता है कि एक समय देवी लक्ष्मी समुद्र में वास करने चली गई थी। फिर उन्हें सृष्टि में वापिस लाने के लिए देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया था। ऐसे में कार्तिक मास की अमावस्या के दिन ही देवी मां प्रकट हुई थी। फिर उनके आगमन पर देवताओं ने घी के दीये जलाकर देवी मां का स्वागत किया था। ऐसे में जीवन में धन व पैसों की कमी होने के लिए इस दिन लक्ष्मी जी की विशेष पूजा कर उन्हें खुश किया जाता है।
राजा विक्रमादित्य का हुआ था राज्याभिषेक
पुराने समय में महान व साहसी राजा विक्रमादित्य ने मुगलों के साथ भयंकर युद्ध लगा था। राजा ने मुगलों को हरा कर अपनी वीरता व कौशल का परिचय दिया था। साथ ही मुगलों को हार का मुंह दिखाने वाले सम्राट विक्रमादित्य अंतिम हिंदू राजा थे। साहसी होने के साथ वे बेहद ही उदार थे। उनका राज्याभिषेक कार्तिक मास की अमावस्या को ही किया गया था। ऐसे में इस दिन को खासतौर पर मनाया जाता है।
बंदी छोड़ दिवस
हिंदूओं के साथ सिक्ख धर्म के लोगों के लिए भी दिवाली का त्योहार बहुत पूजनीय है। इस दिन सिक्खों के छठे गुरू 'गुरू हरगोविंद सिंह जी' ने जहांगीर की कैद से खुद को रिहा करने के साथ 52 राजाओं को मुक्त करवाया था। ऐसे में उनके आगमन पर अमृतसर के लोगों ने उनका स्वागत दीये जलाकर किया था। इसलिए इस दिन को सिक्खों द्वारा 'बंदी छोड़ दिवस' के रूप में मनाया जाता है।