यूं ही संजीवनी बूटी नहीं लाए थे हनुमान जी, इसमें छिपे हैं कई रहस्य
punjabkesari.in Monday, Apr 20, 2020 - 12:45 PM (IST)

ऑयुर्वेदिक पद्धति को भारत में हमेशा से ही महत्वपूर्ण माना जाता है। रामायण में लक्ष्मण जी जब बेहोश हो जाते हैं तो उनके जीवन को बचाने के लिए हनुमान जी ऑयुर्वेदिक औषधियों का पूरा पहाड़ उठा आते हैं। हालांकि पूरा पर्वत उठाने के पीछे कारण यह था कि हनुमान जी संजीवनी बूटी को पहचान नहीं पा रहे थे, जिससे लक्ष्मण जी की जान बच सकती थी।
मगर, हम आपको रामायण की जानकारी नहीं बल्कि भारत की प्राचीन पद्धति व आयुर्वेद की महत्ता और संजीवनी जड़ी बूटी से जुड़ी बातों के बारे में बताने जा रहे हैं। चलिए जानते हैं कि आखिर ये संजीवनी बूटी क्या है और इसकी क्या महत्वता है...
क्या है आयुर्वेद?
आयुर्वेद भारत की वो प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, जिसका जन्म 5000 साल पहले हुआ था। इसे “Mother of All Healing” भी कहा जाता है। इसकी जड़ें प्राचीन वैदिक संस्कृति से हैं। पश्चिम में कई प्राकृतिक चिकित्सा प्रणालियों के सिद्धांतों की जड़ें आयुर्वेद में हैं, जिनमें होम्योपैथी और पोलारिटी थेरेपी शामिल हैं।
क्या आज भी है यह पर्वत
भगवान हनुमान जी लक्ष्मण जी जान बचाने के लिए जिस जड़ी बूटी को लेकर आए थे वो आज भी चर्चा में है। यह जड़ी-बूटी श्रीलंका के रूमास्सला पर्वत पर पाई जाती है, जिसे कई बीमारियों की दवा बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। श्रीलंका में दक्षिणी समुद्री किनारे कई स्थानों पर इस पहाड़ के टुकड़े पड़े हैं। कहा जाता है कि जब हनुमान जी पहाड़ उठाकर ले जा रहे थे तो उसका एक टुकड़ा रीतिगाला में गिरा।
क्या है संजीवनी बूटी?
संजीवनी बूटी में किसी भी तरह की परेशानी के निवारण की शक्ति है। वहीं, कुछ ग्रंथों में लिखा है कि संजीवनी अंधेरे में चमकती है। माना गया है कि यह बूटी मृत शरीर में जान डाल सकती है। वैज्ञानिक भाषा में इसका उल्लेख सेलाजिनेला ब्रायोप्टेरिस के रूप में किया गया है
वाल्मीकि रामायण में यह है लिखा
लंका के वैद्य ने हनुमान जी से कहा था - हिमालय पर कैलाश और ऋषभ पर्वत के बीच एक ऐसा पर्वत है जिस पर जीवन देने वाली बूटियां पाई जाती हैं। यह बूटियां 4 प्रकार की हैं: मृतसंजीवनी (प्राण लौटाने वाला), विशाल्यकरणी (बाण निकालने वाला), संधानकरणी (त्वचा को सजीव करने वाला), सवर्ण्यकरणी (त्वचा का रंग वापस करने वाला)। इन सभी जड़ी-बूटियों में से सदैव प्रकाश निकलता है। कथा अनुसार यह कहा गया है कि लक्ष्मण के होश में आने के बाद हनुमान जी ने पर्वत को वापस अपनी जगह पर जाकर रख दिया था।
आयुर्वेद के लाभ
. इससे व्यक्ति की शारीरिक व मानसिक दोनों स्थितियों में सुधार होता है।
. आयुर्वेदिक औषधियों से सेहत पर कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होता है।
. इससे न केवल बीमारियों का इलाज होता है बल्कि रोग पूरी तरह से खत्म हो जाते हैं।
. रोग के इलाज के लिए भोजन व जीवनशैली में सरल परिवर्तनों के द्वारा रोगों को दूर करने के उपाय भी बताए जाते हैं।
. आयुर्वेदिक औषधियां स्वस्थ लोगों को भी उपयोग होते हैं।
. यह इलाज दूसरे इलाजों के माध्यम से सस्ता होता है क्योंकि इसमें प्रयोग होने वाले अधिकतर जड़ी- बूटियां व मसाले आसानी से मिल जाते है।