'म्हारी छोरियां छोरो से कम है के'! अफसर की बिटिया ने देश के लिए शाहदत देकर किया पिता का सीना गर्व से चौड़ा
punjabkesari.in Friday, Feb 10, 2023 - 01:47 PM (IST)
बेटियों को एक मौका चाहिए फिर वो हर मैदान में आपके साथ खड़ी होंगी। इस बात का उदाहरण भारत की लाखों बेटियों ने हमारे सामने रखा है। समय-समय पर इन्होनें बताया है कि इन्हें अगर बांधा ना जाए तो इनकी उड़ान के लिए आसमान भी छोटा पड़ जाएगा। आज हम आपको ऐसी ही एक बेटी की कहानी बताने जा रहे हैं। शाहदत एक ऐसी उपलब्धि है जो मौत को भी अमर कर देती है। वैसे तो देश के लिए कई वीरांगनाओं ने अपनी कुर्बानी दी, मगर देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए किसी बेटी के नाम के साथ ये शब्द नहीं जुड़ा था। 2015 में राजस्थान की एक बेटी ने बेटियों को शहीद का दर्जा भी भी दिला दिया। हम बात कर रहे हैं लेफ्टिनेंट किरण शेखावत की, जो ऑन ड्यूटी शहीद होने वाली देश की पहली महिला सैन्य अफसर के रूप में जाना जाता है।
बहादुर पिता की बहादुर बेटी
किरण का जन्म 1 मई 1988 को विजेंद्र सिंह शेखावत के घर पर हुआ जो नौ सेना में लेफ्टिनेंट थे। नौ सैनिक परिवार से होने के कारण उन्होंने बचपन से ही नौ सेना में जाने का मन बना लिया था। उन्होंने खुद को बचपन से ही इस तरह से ढाला था कि आगे उन्हें नौ सेना में जाने में कोई दिक्कत ना हो। बावजूद इसके वो खुद को खाली बैठा देखना पसंद नहीं करती थीं। यही कारण था कि भारतीय नौ सेना अकादमी में भर्ती होने से पहले उन्होंने समय का सदुपयोग करते हुए एक प्राइवेट बैंक में नौकरी भी की। 2010 में किरण आईएनए के लिए चुनी गईं तथा उनकी पोस्टिंग केरल के भारतीय नौ सेना अकादमी एझिमाला में हुई।
जीवनसाथी भी मिला नौ सैनिक
अकादमी में ही उनकी मुलाकात विवेक सिंह छोकर से हुई जो आगे चलकर उनके जीवनसाथी बनें। विवेक खुद भी नौ सैनिक थे। इस तरह राजस्थान की बेटी हरियाणा कुरथला की बहू बन गई। लेफ्टिनेंट विवेक के पिता भी नौ सेना में थे और उनकी मां सुनीता छोकर उस समय अपने गांव की सरपंच थीं।किरण के बारे में एक खास बात ये भी है कि साल 2015 में किरण ने गणतंत्र दिवस परेड में राजपथ पर नौ सेना की महिला टुकड़ी का नेतृत्व कर पूरे राजस्थान का नाम देश में रोशन किया था।
आखिरी पोस्टिंग थी गोवा
किरण ने 5 जुलाई 2010 को इंडियन नेवल एयर स्क्वाड्रन ज्वाइन किया था। इस स्क्वाड्रन को कोब्राज़ के नाम से जाना जाता है। अपने 5 साल के करियर में किरण देश के कई नेवल स्टेशनों पर पोस्टेड रहीं। उनकी अंतिम पोस्टिंग गोवा में हुई थी। यही वो जगह थी जहां किरण की हंसती खेलती ज़िंदगी ने विराम ले लिया। इंटेलिजेंस युद्ध कला में अनुभव प्राप्त करने के बाद किरण की ड्यूटी ये थी कि वह इंटेलीजेंस समिक्षा के लिए पर्यावरण चार्ट तैयार करें तथा अन्य सभी ज़रूरी मापदंडों की सही से समीक्षा करें।
एक प्लेन क्रैश और सब खत्म
अपनी इसी ड्यूटी को पूरा करने के लिए वह 24 मार्च 2015 को डॉर्नियर विमान में सवार हुई थीं। दुर्भाग्य से यह विमान इसी रात गोवा में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान इस तरह से क्रैश हुआ कि दो दिन तक किरण का कहीं कोई पता ना चल। दो दिन तक उनकी तलाश जारी रही और फिर 26 मार्च को किरण का शव बरामद हुआ। 29 मार्च को उनका पार्थिव शरीर उनके ससुराल कुरथला गांव लाया गया। 22 साल की उम्र में नौ सेना में भर्ती होने वाली किरण ड्यूटी पर शहीद होने वाली पहली महिला सैनिक बन चुकी थीं।
आजतक किरण के नाम पर नहीं बन सका कॉलेज
किरण की ससुराल के गांव कुरथला के लोगों की मानें तो उस वक्त किरण की शाहदत को देखते हुए तत्कालीन सीएम ने गांव में एक कॉलेज खोलने की घोषणा की थी। लेकिन करीब चार साल बीतने के बाद भी अभी तक गांव में कॉलेज खुलना तो दूर इस के लिए ज़मीन तक नहीं देखी गई है। जब इस बारे में गांव के लोगों ने अधिकारियों से बात की तो उनका कहना था कि गांव में महिला कॉलेज की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि पास में ही दूसरा कॉलेज है। गांव वालों का आरोप है कि पूरे हरियाणा में किरण शेखावत के नाम पर कुछ भी नहीं है। सत्यमेव जंग, समाज सुधारक मेवात क्षेत्र के राजुद्दीन इस संबंध में 2015 से लगातार देश के राष्ट्रपति और पीएम को पत्र लिख चुके हैं, साथ ही हरियाणा के सीएम और राज्यपाल को पत्र लिखा है।