हार्ट अटैक का खतरा कम करने वाले 3 जरूरी टेस्ट, जानें क्यों हैं ये जरूरी
punjabkesari.in Wednesday, Jul 02, 2025 - 11:43 AM (IST)

नारी डेस्क: आज के समय में दिल की बीमारी (हार्ट डिजीज) सिर्फ बुजुर्गों की परेशानी नहीं रह गई है। बदलती जीवनशैली, तनाव, अनियमित खानपान, शारीरिक गतिविधियों की कमी, धूम्रपान और डायबिटीज या ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों की वजह से अब 30 से 40 साल की उम्र में ही हार्ट से जुड़ी समस्याएं सामने आने लगी हैं। अच्छी बात ये है कि अगर समय रहते कुछ जरूरी जांचें (टेस्ट) करवा ली जाएं तो दिल की बीमारी के खतरे को पहले ही पहचान कर उसे रोका जा सकता है। इन जांचों से हम दिल की सेहत की निगरानी रख सकते हैं और जरूरत हो तो डॉक्टर से समय पर इलाज और परामर्श ले सकते हैं।
किन लोगों को दिल की जांच ज़रूर करवानी चाहिए?
जिन लोगों की जीवनशैली में शारीरिक मेहनत की कमी है जो लोग अत्यधिक तनाव में रहते हैं, धूम्रपान करते हैं या फिर जिनको डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां हैं उन सभी को समय-समय पर दिल की जांच ज़रूर करवानी चाहिए। साथ ही अगर परिवार में पहले किसी को हार्ट अटैक या दिल की बीमारी रह चुकी है तो खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसे में कुछ खास जांचें हैं जो दिल की सेहत के लिए बेहद जरूरी होती हैं। आइए जानते हैं इन जरूरी टेस्ट के बारे में विस्तार से
ECG (Electrocardiogram)- दिल की धड़कन जांचने का पहला तरीका
ECG दिल की जांच के लिए सबसे पहली और जरूरी जांच मानी जाती है।
यह एक ऐसा टेस्ट है जो दिल की धड़कनों और इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को रिकॉर्ड करता है।
ECG से क्या पता चलता है?
दिल की धड़कन सामान्य है या नहीं
दिल में कोई ब्लॉकेज है या नहीं
दिल पर तनाव (स्ट्रेस) के संकेत हैं या नहीं
पहले कभी हार्ट अटैक हुआ है उसके लक्षण
अगर किसी को सीने में भारीपन, तेज धड़कन, थकावट या बेचैनी जैसी समस्याएं हो रही हों तो ECG तुरंत करवाना चाहिए।
ECHO (Echocardiography) – दिल की अंदरूनी बनावट की जांच
ECHO यानी इकोकार्डियोग्राफी, एक तरह का अल्ट्रासाउंड टेस्ट होता है जो दिल की मांसपेशियों, वाल्व और खून के बहाव (ब्लड फ्लो) को दिखाता है।
ECHO से क्या पता चलता है?
दिल कितनी अच्छी तरह से खून पंप कर रहा है
दिल के वाल्व ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं
दिल की मांसपेशियां कमजोर तो नहीं हैं
अगर किसी को सांस फूलने, जल्दी थक जाने या टांगों में सूजन जैसी परेशानी है, तो यह टेस्ट बहुत फायदेमंद हो सकता है।
Lipid Profile (कोलेस्ट्रॉल की जांच) – धमनियों में ब्लॉकेज का संकेत
Lipid Profile टेस्ट खून में कोलेस्ट्रॉल और फैट्स (वसा) की मात्रा को मापता है।
इस टेस्ट से किन चीजों की जानकारी मिलती है?
गुड कोलेस्ट्रॉल (HDL – High-Density Lipoprotein), जो दिल के लिए अच्छा माना जाता है।
बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL – Low-Density Lipoprotein), जो दिल की धमनियों में ब्लॉकेज पैदा कर सकता है।
ट्राइग्लिसराइड्स, जो एक और प्रकार की हानिकारक वसा है।
अगर LDL और ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा ज्यादा हो, तो दिल की बीमारी का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
कब कराना चाहिए?
30 साल की उम्र के बाद हर व्यक्ति को यह टेस्ट हर साल एक बार जरूर कराना चाहिए। अगर परिवार में किसी को हार्ट डिजीज रही है, तो इस जांच को और ज्यादा गंभीरता से लेना चाहिए।
ब्लड प्रेशर की नियमित जांच भी है जरूरी
ब्लड प्रेशर को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है, लेकिन यह दिल की बीमारी का एक बड़ा कारण बन सकता है। हाई ब्लड प्रेशर दिल पर दबाव बढ़ाता है और लंबे समय तक अनियंत्रित रहने पर दिल की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए हर व्यक्ति को 30 की उम्र के बाद से नियमित रूप से ब्लड प्रेशर की जांच कराते रहना चाहिए।
दिल की सेहत को बचाने के आसान उपाय
रोजाना कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि करें (जैसे तेज़ चलना, योग, साइकिल चलाना)। जंक फूड और तले-भुने खाने से दूरी बनाएं। धूम्रपान और शराब का सेवन न करें। तनाव कम करने की कोशिश करें – ध्यान, योग और पर्याप्त नींद इसमें मददगार हो सकते हैं। साल में कम से कम एक बार जरूरी दिल के टेस्ट कराएं।
30-40 की उम्र में ही हार्ट अटैक जैसे खतरनाक मामले सामने आना अब सामान्य हो गया है। इसलिए जरूरी है कि समय रहते हम ECG, ECHO, Lipid Profile और ब्लड प्रेशर जैसे जरूरी टेस्ट कराएं। ये टेस्ट ना सिर्फ बीमारी को पकड़ सकते हैं, बल्कि समय रहते इलाज और जीवनशैली में बदलाव करके हम बड़ी मुसीबत से बच सकते हैं।