पतंग के पीछे गया मासूम, सीने में चुभी स्कूल गेट की सरिया, परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल

punjabkesari.in Sunday, Jul 13, 2025 - 02:57 PM (IST)

नारी डेस्क: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले से एक दर्दनाक हादसे की खबर सामने आई है। गुरसेल गांव के रहने वाले संतराम के बेटे आयुष के साथ यह घटना उस समय हुई जब वह गांव के प्राथमिक विद्यालय के पास पतंग उड़ा रहा था। पतंग उड़ाते समय वह स्कूल परिसर में जा गिरी। आयुष उस पतंग को उठाने के लिए स्कूल के गेट से अंदर घुसने की कोशिश कर रहा था। इसी दौरान गेट में लगी लोहे की नुकीली सरिया उसके दाहिने सीने में धंस गई। यह हादसा इतना गंभीर था कि आसपास के लोगों ने जब देखा तो तुरंत आयुष के परिवार को सूचना दी।

हालत गंभीर होने पर जिला अस्पताल रेफर

परिजन आनन-फानन में आयुष को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र फतेहपुर ले गए। वहां मौजूद डॉक्टरों ने जांच के बाद बताया कि बच्चे की हालत गंभीर है और उसे तुरंत बेहतर इलाज की जरूरत है। इसके बाद उसे जिला अस्पताल बाराबंकी के लिए रेफर कर दिया गया।

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हालांकि परिजनों ने फैसला किया कि वे उसे किसी निजी अस्पताल में इलाज के लिए ले जाएंगे। फिलहाल आयुष का इलाज एक प्राइवेट अस्पताल में चल रहा है और परिवार उसकी सलामती के लिए दुआ कर रहा है।

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हादसे के बाद सदमे में परिवार

इस हादसे के बाद से आयुष का परिवार बहुत परेशान है। संतराम और उनके परिजन इस घटना से गहरे सदमे में हैं। परिवारवालों ने बताया कि आयुष को पतंग उड़ाने का बहुत शौक था लेकिन कभी सोचा नहीं था कि यह शौक इस तरह जानलेवा साबित हो सकता है।

पतंगबाज़ी बन रही है खतरनाक

यह कोई पहली बार नहीं है जब पतंग उड़ाने के दौरान किसी बच्चे या युवक के साथ ऐसा हादसा हुआ हो। इस साल फरवरी में भी उत्तर प्रदेश के गंगोह इलाके में एक 22 साल का युवक छत पर पतंग उड़ाते समय गिर पड़ा था। उसे गंभीर चोटें आई थीं और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। हाल ही में जुलाई महीने में गाजियाबाद के विजयनगर क्षेत्र में एक 10 साल का बच्चा अपने भाइयों के साथ छत पर पतंग उड़ा रहा था। खेल-खेल में संतुलन बिगड़ने से वह छत से नीचे गिर गया। परिजनों ने उसे तुरंत अस्पताल पहुंचाया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी जान नहीं बच सकी।

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क्या करें अभिभावक?

इन घटनाओं से एक बात साफ होती है कि पतंगबाजी करते समय ज़रा सी लापरवाही जानलेवा हो सकती है। अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों पर खास निगरानी रखें। यह देखना जरूरी है कि बच्चे कहां खेल रहे हैं, किसके साथ खेल रहे हैं और किन जगहों पर जा रहे हैं। बच्चों को खुले मैदानों में पतंग उड़ाने के लिए प्रेरित करें और उन्हें सिखाएं कि वे किसी भी हालत में छत की मुंडेर या खतरनाक जगहों पर न जाएं।

बच्चों को भी समझना होगा कि उनकी एक छोटी सी गलती उनके लिए बड़ी मुसीबत बन सकती है। स्कूल, बिजली की तारों के पास, ऊंची छतों या भीड़-भाड़ वाले इलाकों में पतंग उड़ाने से बचना चाहिए। साथ ही अगर पतंग किसी खतरनाक जगह पर गिर जाए, तो खुद जाकर उसे उठाने की कोशिश न करें, बल्कि किसी बड़े को बताएं।


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Content Editor

PRARTHNA SHARMA

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