चंद्र बोस को पहला PM बताकर बुरी फंसी कंगना, ट्रोल होने पर एक्ट्रेस ने लिखा लंबा चौड़ा पोस्ट
punjabkesari.in Saturday, Apr 06, 2024 - 01:13 PM (IST)
राजनीति देखने में जितनी आसान लगती है उतनी होती नहीं है, यहां हर कदम फूट-फूट कर रखना पड़ता है। कंगना रनौत को भी इस बात का एहसास हो ही गया होगा, क्योंकि एक छोटी सी गलती उन पर भारी जो पड़ गई है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस को देश के पहला प्रधानमंत्री बताकर कंगना इन दिनों लोगों के निशाने पर आ गई है। अब उन्होंने इसे लेकर सफाई दी है।
रनौत ने हाल में एक मीडिया सम्मेलन के दौरान यह टिप्पणी की थी जिसकी वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। एक्ट्रेस से पॉलिटीशियन बनीं कंगना ने अपने बयान में कहा था- "मुझे एक बात बताओ, जब हमें आजादी मिली, तो भारत के पहले पीएम नेताजी सुभाष चंद्र बोस कहां गए थे?" बस उनके मुंह से ये शब्द निकतले ही कांग्रेस ने उनको निशाने पर ले लिया।कुछ नेताओं ने कंगना पर चुटकी लेते हुए कहा था कि- "ये बताओं कि इन्होंने ग्रेजुएशन कहां से किया है?"
हालांकि पंगा गर्ल भी कहां चुप रहने वाली थी, उन्होंने आलोचना करने वालों की जमकर क्लास लगाई। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा- "जो लोग मुझे भारत के पहले पीएम पर ज्ञान दे रहे हैं, उन्हें यह स्क्रीनशॉट पढ़ना चाहिए। यहां शुरुआती लोगों के लिए कुछ सामान्य ज्ञान है। वो सभी प्रतिभाशाली लोग, जो मुझे पढ़ाई करने के लिए कह रहे हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि मैंने इमरजेंसी नाम की एक फिल्म लिखी है। उसमें अभिनय किया है और निर्देशन भी। उसकी कहानी मुख्य रूप से नेहरू परिवार के इर्द-गिर्द घूमती है। तो कृपया कोई मैंसप्लेनिंग न करें। "
कंगना ने आगे लिखा- "अगर मैं आपके IQ से बहुत आगे बोलती हूं तो आपको ऐसा लगने लगता है कि मुझे इस बात की जानकारी नहीं होगी। तो मजाक आपका बना और वो भी बहुत बुरी तरह से। "बता दें कि कंगना रनौत को तब भी काफी ट्रोल किया गया था, जब उन्होंने दावा किया था कि 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत को असली आजादी मिली।
वहीं इसी बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा कंगना के समर्थन में उतरे। उन्होंने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘जो लोग कंगना का मजाक उड़ा रहे हैं - सत्ता हस्तांतरण के बाद प्रधानमंत्री के रूप में पंडित नेहरू के शपथ लेने के करीब चार साल पहले 21 अक्टूबर 1943 को नेताजी ने आजाद हिंद सरकार बनायी थी, जिसके वह प्रमुख थे।'' उन्होंने कहा, ‘‘नौ देशों ने आजाद हिंद सरकार को भारत की वैध सरकार के तौर पर मान्यता दी थी। उपनिवेशवादियों की तर्ज पर इतिहास की व्याख्या करने की इस अवचेतन इच्छा को ‘गुलामी की मानसिकता' कहा जाता है।''