क्यों भारतीयों का बढ़ता जा रहा है पेट? 21 दिन कर लिया ये काम तो पिघल जाएगी सारी चर्बी
punjabkesari.in Monday, Mar 03, 2025 - 10:46 AM (IST)
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नारी डेस्क: इस सप्ताह की शुरुआत में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 'मन की बात' रेडियो कार्यक्रम में देश में, खासकर बच्चों में मोटापे की खतरनाक वृद्धि पर प्रकाश डाला और कहा कि मोटापे से आठ में से एक भारतीय प्रभावित है। मोदी ने लोगों से हर महीने तेल की खपत में 10% की कमी करने का आग्रह किया और जोर देकर कहा कि एक स्वस्थ राष्ट्र बनाने के लिए मोटापे पर ध्यान देने की आवश्यकता है। चलिए जानते हैं मोटापे का असली कारण क्या है।
समस्या का पैमाना क्या है?
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के डेटा से पता चलता है कि पिछले कुछ वर्षों में पूरे भारत में मोटापा बढ़ रहा है। अधिक वजन/मोटापे से ग्रस्त महिलाओं का प्रतिशत NFHS-4 (2015-16) के दौरान 20.6% से बढ़कर NFHS-5 (2019-21) के दौरान 24% हो गया। इस अवधि के दौरान अधिक वजन/मोटे पुरुषों का प्रतिशत 18.9% से बढ़कर 22.9% हो गया। शहरी संख्या ग्रामीण संख्या से काफी अधिक थी। लैंसेट रीजनल हेल्थ साउथईस्ट एशिया में 2023 के शोध पत्र में एनएफएचएस-5 डेटा का विश्लेषण किया गया, जिसमें पाया गया कि भारत में मोटापा अभी भी मुख्य रूप से शहरी, मध्यम वर्ग की समस्या है, लेकिन ग्रामीण गरीबों में यह पहले से ही बढ़ रहा है। देश में पेट के मोटापे (कमर की परिधि के आधार पर आकलित) का प्रतिशत महिलाओं में 40% और पुरुषों में 12% था।
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बचपन का मोटापा भी चिंता का विषय है
एनएफएचएस डेटा के अनुसार, 2015-16 से 2019-21 तक पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में अधिक वजन का प्रतिशत 2.1% से बढ़कर 3.4% हो गया। बड़े बच्चों के मामले में यह आंकड़ा और भी अधिक है। वर्ल्ड ओबेसिटी एटलस 2022 का अनुमान है कि भारत में 2030 तक 5 से 9 वर्ष के बच्चों में बच्चों में मोटापे का प्रचलन 10.81% और 10 से 19 वर्ष के बच्चों में 6.23% होगा।
स्वास्थ्य जोखिम क्या हैं?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वयस्कता में मोटापा दुनिया में खराब स्वास्थ्य और समय से पहले मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक प्रमुख जोखिम कारक है। इनमें हृदय संबंधी रोग, कई सामान्य कैंसर, मधुमेह और ऑस्टियोआर्थराइटिस शामिल हैं। भारत में मधुमेह के रोगियों की अनुमानित संख्या 101 मिलियन है, जो दुनिया में सबसे अधिक है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि बचपन और किशोरावस्था में अधिक वजन होना बच्चों और किशोरों के तत्काल स्वास्थ्य को प्रभावित करता है और यह विभिन्न एनसीडी के अधिक जोखिम और समय से पहले होने से जुड़ा है। इसके प्रतिकूल मनोवैज्ञानिक परिणाम भी हो सकते हैं, जो स्कूल के प्रदर्शन और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं, साथ ही कलंक, भेदभाव और बदमाशी से भी यह और बढ़ जाता है। मोटापे से ग्रस्त बच्चों में मोटापे से ग्रस्त वयस्क होने की संभावना होती है।
मोटापा क्यों बढ़ रहा है?
पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रतिष्ठित प्रोफेसर का कहना है कि- "शहरी भारत में मोटापे के बढ़ते स्तर कई कारकों के संयोजन के कारण हैं, जैसे- अत्यधिक processed foods से भरा अस्वास्थ्यकर आहार, शारीरिक गतिविधि का कम स्तर और यहां तक कि वायु प्रदूषण जो सूजन को बढ़ाता है जो शरीर को कार्डियो-मेटाबोलिक बीमारियों को न्यौता देता है । सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवर का कहना है कि कम आय वाले परिवार, विशेष रूप से वे जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर निर्भर हैं, चावल और गेहूं के माध्यम से अधिक कार्बोहाइड्रेट खाते हैं। उन्होंने कहा-"आप लोगों को बेहतर खाने के लिए निर्देश दे सकते हैं, लेकिन अगर ये खाद्य पदार्थ उनकी पहुंच से बाहर हैं तो यह संभव नहीं है। भारतीय आहार, खास तौर पर गरीब परिवारों में, आयरन और प्रोटीन की कमी है। फल, सब्जियां, दालें, डेयरी और पशु-आधारित खाद्य पदार्थ सभी महंगे हैं। जबकि वर्तमान में मोटापा अभी भी भारत में मुख्य रूप से शहरी, मध्यम वर्ग की घटना है, यह पहले से ही ग्रामीण गरीबों में बढ़ रहा है, जो जल्द ही अन्य वर्गों से आगे निकल सकता है," । पिछले साल द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ में एक अध्ययन में कहा गया था कि लगभग आधे भारतीय पर्याप्त रूप से शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं हैं। डॉक्टर कहते हें- "भले ही ऑफिस के काम की प्रकृति और डिजिटल उपकरणों के उपयोग के कारण घर के अंदर बैठे रहना बढ़ रहा है, लेकिन बाहरी परिस्थितियां सुरक्षित और आनंददायक शारीरिक गतिविधि के लिए अनुकूल नहीं हैं।"
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वजन कंट्रोल करने के लिए खुद को दें ये आसान और असरदार चैलेंज
अगर आप वजन घटाना चाहते हैं लेकिन जिम जाने या सख्त डाइट फॉलो करने में मुश्किल होती है, तो यह चैलेंज आपके लिए परफेक्ट है। बस छोटे-छोटे बदलाव* अपनाकर आप फिट और हेल्दी बन सकते हैं।
मीठे को कहें अलविदा: चीनी और मीठे पेय पदार्थों (सॉफ्ट ड्रिंक्स, पैकेज्ड जूस, मिठाइयाँ) से बचें। शुगर की जगह गुड़, शहद या स्टेविया का इस्तेमाल करें। ज्यादा पानी पिएं ताकि बॉडी डिटॉक्स हो।
दिन में 10,000 कदम चलने का चैलेंज: रोज़ कम से कम 10,000 कदम चलें। लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का इस्तेमाल करें। ऑफिस या घर में छोटे-छोटे ब्रेक लेकर थोड़ा-थोड़ा वॉक करें।
फास्ट फूड छोड़ें, हेल्दी खाएं: पैकेज्ड फूड और जंक फूड से दूरी बनाएं। घर का बना खाना खाएं, ज्यादा सब्जियां और फल शामिल करें। डिनर हल्का और जल्दी कर लें (7-8 PM तक)।
30 मिनट वर्कआउट चैलेंज: कम से कम 30 मिनट एक्सरसाइज करें (योग, कार्डियो, स्ट्रेंथ ट्रेनिंग)। अगर जिम नहीं जाते, तो घर पर स्क्वाट, पुश-अप्स, प्लैंक, रस्सी कूदना करें। म्यूजिक के साथ डांस भी एक अच्छा ऑप्शन है।
डिजिटल डिटॉक्स और अच्छी नींद: रात को सोने से 1 घंटे पहलेमोबाइल और टीवी से दूरी बनाएं। 7-8 घंटे की अच्छी नींद लें ताकि मेटाबॉलिज्म सही रहे। दिनभर स्ट्रेस से बचेंऔर मेडिटेशन ट्राय करें।
इस चैलेंज को 21 दिन तक फॉलो करें और फर्क महसूस करें। वजन घटाने के साथ-साथ आप ज्यादाा एनर्जेटिक और हेल्दी महसूस करेंगे। छोटे-छोटे बदलाव ही बड़े रिजल्ट लाते हैं।