काला कुत्ता बना काल भैरव का वाहन, क्या है इसके पीछे की कथा?
punjabkesari.in Friday, Nov 22, 2024 - 02:05 PM (IST)
नारी डेस्क: काल भैरव जयंती हिंदू धर्म में भगवान शिव के उग्र रूप, काल भैरव की पूजा के लिए समर्पित है। इस वर्ष यह पर्व 23 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने अपने क्रोध से काल भैरव को उत्पन्न किया था। ऐसा कहा जाता है कि जब ब्रह्मा जी ने शिव जी का अपमान किया, तब शिव जी का क्रोध इतना प्रचंड हो गया कि उनकी ऊर्जा से काल भैरव की उत्पत्ति हुई। कुछ कथाओं में इसे शिवजी के रक्त से जन्मा माना गया है।
काल भैरव का स्वरूप और उनकी सवारी काला कुत्ता
हिंदू धर्म में हर देवी-देवता का एक वाहन होता है, जो उनके गुणों का प्रतीक होता है। भगवान काल भैरव की सवारी काला कुत्ता मानी जाती है। हालांकि, भगवान काल भैरव कुत्ते पर सवार नहीं होते, लेकिन काला कुत्ता हमेशा उनके साथ रहता है। यह कुत्ता भगवान काल भैरव के उग्र और रक्षक स्वरूप का प्रतीक है। कुत्ते को तेज बुद्धि, वफादारी और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। कुत्ता अपने स्वामी के प्रति पूर्ण वफादारी दिखाता है और हमेशा उसकी रक्षा करता है। कुत्ता नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करने में भी सक्षम होता है। विशेष रूप से काला कुत्ता, जिसे शनि और काल भैरव दोनों के साथ जोड़ा जाता है, बुरी आत्माओं और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने का कार्य करता है।
काल भैरव के साथ काले कुत्ते का संबंध
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, काले कुत्ते के साथ भगवान काल भैरव का संबंध उनके रक्षक और संरक्षक रूप को दर्शाता है। काले कुत्ते को रोटी या भोजन खिलाने से भगवान काल भैरव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। यह परंपरा विशेष रूप से काल भैरव जयंती पर महत्व रखती है, जब लोग काले कुत्ते को भोजन देकर अपनी श्रद्धा और आस्था व्यक्त करते हैं।
काले कुत्ते का महत्व
काले कुत्ते को धार्मिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यह बुरी आत्माओं और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करने में सक्षम माना जाता है। काले कुत्ते को ‘शनि का वाहन’ भी कहा जाता है और इसे शनि देव के प्रभाव को कम करने के लिए पूजा जाता है। काले कुत्ते को खिला देने से, व्यक्ति की किस्मत में सुधार आ सकता है और जीवन में आने वाली परेशानियां दूर हो सकती हैं।
काल भैरव जयंती का महत्व
मार्गशीर्ष (अगहन) महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनाई जाती है। इस दिन भक्त भगवान काल भैरव की पूजा करके उनसे सुख, सुरक्षा और जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने का वरदान मांगते हैं। यह दिन खासतौर पर काल भैरव के रक्षात्मक स्वरूप को सम्मानित करने का दिन होता है। भक्त इस दिन काले कुत्ते को रोटी खिलाकर भगवान काल भैरव से उनके जीवन में आने वाली परेशानियों को दूर करने की प्रार्थना करते हैं।
काल भैरव के दर्शन
कहा जाता है कि काल भैरव के दर्शन से व्यक्ति की सारी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है और वह जीवन में शांति और समृद्धि प्राप्त करता है। भगवान काल भैरव को उग्र रूप में पूजा जाता है, क्योंकि उनका उद्देश्य केवल रक्षात्मक और नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करना है। उनकी उपासना से जीवन में भय और अशांति का नाश होता है।
कुल मिलाकर, काला कुत्ता भगवान काल भैरव की शक्ति, साहस और सुरक्षा का प्रतीक है। उसे भोजन कराना न केवल एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि भगवान की कृपा पाने का एक साधन भी माना जाता है।