Pitru Paksha 2025: इस बार दो ग्रहण का साया, 100 साल बाद बन रहा दुर्लभ योग,रखें ये सावधानी
punjabkesari.in Thursday, Aug 21, 2025 - 04:35 PM (IST)

नारी डेस्क: पितृ पक्ष हिन्दू धर्म में पूर्वजों की आत्मा की शांति और आशीर्वाद पाने का एक पवित्र समय होता है। इस दौरान लोग श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे धार्मिक कर्म करते हैं। लेकिन 2025 का पितृ पक्ष बेहद खास होने वाला है, क्योंकि इस बार इसमें दो ग्रहण लगने वाले हैं एक चंद्र ग्रहण और एक सूर्य ग्रहण। यह संयोग 100 साल बाद बन रहा है।
पितृ पक्ष कब से कब तक रहेगा?
इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर 2025 से हो रही है और इसका समापन 21 सितंबर 2025 को होगा। इन 15 दिनों में पितरों की आत्मा की शांति के लिए विशेष पूजा-पाठ और दान करना शुभ माना जाता है।
पहला ग्रहण – चंद्र ग्रहण (पितृ पक्ष की शुरुआत पर)
पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर को चंद्र ग्रहण के साथ हो रही है। यह ग्रहण रात 9:58 बजे शुरू होगा और 1:26 बजे (8 सितंबर) तक चलेगा। यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य होगा। चंद्रमा इस दौरान लाल रंग में दिखेगा, जिसे “ब्लड मून” कहा जाता है।
दूसरा ग्रहण – सूर्य ग्रहण (पितृ पक्ष की समाप्ति पर)
पितृ पक्ष का समापन 21 सितंबर 2025 को सूर्य ग्रहण के साथ होगा। यह ग्रहण रात 10:59 बजे से शुरू होकर 3:23 बजे (22 सितंबर) तक रहेगा। चूंकि यह रात में लगेगा और भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक काल भारत में मान्य नहीं होगा।
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सूतक काल और ग्रहण के दौरान क्या सावधानियां रखें?
ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ, भोजन बनाना, खाना खाना, दान देना और ब्राह्मण भोज जैसे धार्मिक कार्य वर्जित माने जाते हैं। विशेष रूप से चंद्र ग्रहण के दिन जब भारत में ग्रहण दिख रहा हो, उस दिन इन सभी कार्यों से बचना जरूरी है। ग्रहण समाप्त होने के बाद ही श्राद्ध और दान करना चाहिए।
गर्भवती महिलाएं रखें विशेष ध्यान
ग्रहण के सूतक काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। इस दौरान विशेष ध्यान रखना जरूरी है, क्योंकि माना जाता है कि ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर पड़ सकता है। यदि संभव हो तो इस दिन डिलीवरी को भी टालना बेहतर होगा।
ग्रहण के दौरान श्राद्ध क्यों नहीं किया जाता?
जब ग्रहण भारत में दिखाई देता है, तब उसका सूतक काल लागू होता है। शास्त्रों के अनुसार, सूतक काल में किसी भी प्रकार की धार्मिक क्रिया निषिद्ध होती है। इसलिए अगर आप पितृ पक्ष में पिंडदान या श्राद्ध कर रहे हैं, तो ग्रहण और सूतक खत्म होने के बाद ही करें, ताकि उसका पूर्ण फल मिल सके।
100 साल बाद का दुर्लभ योग
यह पहली बार है कि पितृ पक्ष की शुरुआत और अंत दोनों पर ग्रहण लग रहे हैं। चंद्र और सूर्य दोनों ग्रहणों का पितृ पक्ष में होना एक अत्यंत दुर्लभ खगोलीय योग है, जो 100 वर्षों बाद हो रहा है। इससे इस बार पितृ पक्ष का धार्मिक महत्व और अधिक बढ़ गया है।
सावधानी से करें पितृ कार्य
यदि आप चाहते हैं कि पितरों का आशीर्वाद बना रहे, तो इस बार पितृ पक्ष में ग्रहणों को ध्यान में रखते हुए ही सभी धार्मिक कार्य करें। सूतक काल की मर्यादा रखें, भोजन से लेकर पूजा तक सभी कार्य सही समय पर करें। तभी आपके श्राद्ध और दान का पूर्ण फल मिलेगा और पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होगी।