श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर व्रत रखा है तो ये नियम मानें, पावन कथा भी जरूर पढ़ें
punjabkesari.in Thursday, Aug 14, 2025 - 07:14 PM (IST)

नारी डेस्क: भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भक्तजन व्रत रखते हैं और भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना करते हैं। माना जाता है कि जन्माष्टमी के शुभ मुहूर्त में पूजा करने से घर-परिवार पर श्री कृष्ण का विशेष आशीर्वाद बना रहता है।
जन्माष्टमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
साल 2025 में कृष्ण जन्माष्टमी शनिवार, 16 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र अलग-अलग दिन हैं लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस दिन अष्टमी तिथि होगी, उसी दिन जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा। इसलिए इस वर्ष 16 अगस्त को ही व्रत और पूजा का आयोजन होगा।
जन्माष्टमी व्रत की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्वापर युग में मथुरा के राजा कंस के बारे में बताया गया है कि उसने आकाश में एक भविष्यवाणी सुनी थी। उस भविष्यवाणी में कहा गया था कि उसकी बहन देवकी की आठवीं संतान ही उसका संहार करेगी। कंस अपनी बहन देवकी से बहुत प्रेम करता था लेकिन भविष्यवाणी के डर से उसने देवकी और उसके पति वासुदेव को कारागार में बंद कर दिया। कारागार में ही देवकी ने सात संतानें दीं, जिन्हें कंस ने मार दिया। सातवीं संतान को योगमाया ने देवकी के गर्भ से बचाकर माता रोहिणी के गर्भ में डाल दिया। और फिर आठवीं संतान श्री कृष्ण का जन्म हुआ। जब आठवीं संतान का जन्म हुआ, तो कारागार के द्वार अपने आप खुल गए, चारों ओर प्रकाश फैल गया और सभी रास्ते खुल गए। वासुदेव ने भगवान कृष्ण को लेकर गोकुल में नंद और यशोदा के पास छोड़ दिया, और उनकी जगह योगमाया को कारागार में ले आया।
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नंद और यशोदा ने श्री कृष्ण को अपना पुत्र मानकर पाला और प्रेम दिया। बाद में भगवान कृष्ण ने अपने मामा कंस का वध किया और ब्रजवासियों को उनके अत्याचारों से मुक्त कराया। इस तरह भगवान कृष्ण का जन्म और उनका जीवन बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है।
कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन व्रत रखना, मध्यरात्रि को पूजा करना और भगवान कृष्ण की आरती करना शुभ माना जाता है। यह त्योहार भगवान कृष्ण के जीवन और उनके आदर्शों को याद करने का अवसर होता है, जिससे जीवन में खुशहाली और सकारात्मकता आती है। इस बार जन्माष्टमी 16 अगस्त 2025 को है, इसलिए आप सभी भक्तजन इस दिन विधि-विधान से पूजा करें और भगवान श्री कृष्ण के आशीर्वाद से अपने जीवन को सफल बनाएं।
जन्माष्टमी व्रत में क्या खाएं
इस दिन बहुत से लोग व्रत रखते हैं और पूजन करते हैं। खासकर जो लोग संतान प्राप्ति चाहते हैं वह जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं। इस व्रत के दौरान सात्विक भोजन ही खाया जाता है।
फल और मेवे
सेब, केला, अंगूर, अनार, अमरूद, पपीता।
काजू, बादाम, अखरोट, पिस्ता, किशमिश, मखाना।
अनाज (व्रत के लिए मान्य)
सिंघाड़े का आटा (पकौड़ी, पूड़ी, हलवा)
कुट्टू का आटा (पूड़ी, परांठा, चीला)
राजगीरा (रामदाना) (हलवा, लड्डू, चिवड़ा)
साबूदाना (खिचड़ी, वड़ा, खीर)
दूध और दूध से बनी चीजें
दूध, दही, पनीर, छाछ, लस्सी
माखन और मिष्री (कृष्णजी को प्रिय)
इसके अलावा सात्विक चीजें जैसे नारियल पानी, सेंधा नमक, घी, शहद, नींबू पानी, हर्बल चाय (बिना चायपत्ती के) पीएं।
जन्माष्टमी व्रत में क्या न खाएं
व्रत के नियमों के अनुसार वर्जित चीजें नहीं खानी चाहिए।
गेहूं, चावल, दालें, और आम आटे से बनी चीजें।
साधारण नमक (टाटा/आयोडीन वाला): सिर्फ सेंधा नमक खाएं।
प्याज, लहसुन ना खाएं।
मांस, मछली, अंडा ना खाएं।
शराब, सिगरेट, तंबाकू से परहेज करें।
पैकेज्ड और प्रोसेस्ड जंक फूड (चिप्स, बिस्किट, कोल्ड ड्रिंक)।
चाय और कॉफी (क्योंकि ये तामसिक मानी जाती हैं)।
कुछ खास टिप्स
व्रत में ज्यादा तैलीय और मसालेदार चीजें न लें, वरना अगले दिन पेट में भारीपन और गैस हो सकती है।
अगर आप पूरे दिन निर्जल व्रत नहीं कर रहे, तो हर 2-3 घंटे पर फल या ड्रिंक लेते रहें।
कृष्ण जन्म के समय (मध्यरात्रि) माखन-मिष्री का भोग लगाकर व्रत खोलें।